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स्वास्थ्य

कोरोना के टेस्ट में इंफ्लुएंजा की रिपोर्ट कैसे आ रही, सोशल मीडिया पर इस दावे का क्या है सच

Janjwar Desk
11 Aug 2021 2:03 PM GMT
कोरोना के टेस्ट में इंफ्लुएंजा की रिपोर्ट कैसे आ रही, सोशल मीडिया पर इस दावे का क्या है सच
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अभी हाल में ही सोशल मीडिया पर एक खबर आई थी कि ।RT-PCR टेस्ट करोना वायरस (Coronavirus) और इंफ्लुएंजा वायरस (Influenza virus) में अंतर नहीं कर पा रहा है....

मोना सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। कोरोना का कहर भले ही आज कम है। लेकिन इसका ख़ौफ अभी भी बना हुआ है। कारण है कोरोना की तीसरी लहर की आशंका। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर कई तरह की ख़बरें आ रही हैं। सोशल मीडिया पर आने वाली कई खबरें सच भी होती हैं और अफवाह भी। लेकिन अफवाह वाली खबरों की पहचान करना इतना आसान नहीं होता।

अभी हाल में ही सोशल मीडिया पर एक खबर आई थी कि ।RT-PCR टेस्ट करोना वायरस (Coronavirus) और इंफ्लुएंजा वायरस (Influenza virus) में अंतर नहीं कर पा रहा है। ये फेसबुक पर 25 जुलाई 2021 को पोस्ट किया गया था। इसी तरह के तमाम पोस्ट इंस्टाग्राम और फेसबुक पर वायरल हुए। तो सवाल उठता है कि इन खबरों की सच्चाई क्या है?

क्या हमें RT-PCR टेस्ट अब नहीं कराना चाहिए। एक लाइन में समझ लीजिए कि भारत के लिए ये खबर पूरी तरह सच नहीं है। देश में RT-PCR टेस्ट से कोरोना की सही रिपोर्ट मिल रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है। अब रही बात सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज की तो आपको बता दें कि उस मैसेज की भी सच्चाई है। लेकिन वो दूर देश के लिए है।

इसकी शुरुआत अमेरिका से होती है। यहां फरवरी 2020 में कोरोना का कहर टूटा था। लेकिन कोरोना की तुरंत कैसे पहचान हो। तब इसके लिए कोई टेस्ट किट TEST KIT नहीं थी। इसलिए अमेरिका की एफडीए यानी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने RT-PCR से कोरोना की पहचान करने का तरीका निकाला।

इस तरीके में केमिकल की मदद से कोरोना की पहचान की जा सकती थी। इसके परिणाम भी अच्छे आए। और अमेरिका की सीडीसी यानी सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन कुछ महीनों बाद अमेरिका में इंफ्लूएंजा के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे। अब इंफ्लूएंजा और कोरोना वायरस दोनों के लक्षण में काफी समानता मिली। दोनों में फीवर के समान लक्षण होते हैं। अब इंफ्लूएंजा भी अमेरिका में बढ़ने लगा।

ऐसे में लोगों की परेशानी ये सोचकर बढ़ने लगी कि क्या उन्हें कोरोना है या फिर इंफ्लूएंजा। अब दोनों बीमारियों के लिए अलग-अलग टेस्ट थे। लिहाजा, दोनों की जांच कराने में लोगों का समय और पैसे दोनों का नुकसान होने लगा। इसे ही ध्यान में रखते हुए ये रिसर्च की गई कि क्यों ना एक ही टेस्ट से ये पता लगा लिया जाए कि कोरोना है या फिर इंफ्लूएंजा।

इसलिए अमेरिका की सीडीसी ने कोरोना के पुराने प्रोटोकॉल को वापस ले लिया। यानी सिर्फ कोरोना टेस्ट करने वाले तरीके को वापस ले लिया गया। इसकी जगह पर दूसरा नया प्रोटोकॉल जारी किया गया। RT-PCR के इस नए तरीके से कोरोना वायरस के साथ-साथ दूसरे वायरस को भी पहचाना जा सकता है।

यानी टेस्ट सिर्फ एक और रिजल्ट दो। मतलब ये कि एक ही टेस्ट कराने से किसी में कोरोना के लक्षण हैं या फिर इंफ्लूएंजा के। इसका पता लगाना आसान हो गया। विज्ञान की भाषा में इसे मल्टीप्लेक्स विधि कहते हैं। इसी मल्टीप्लेक्स विधि को लेकर ये खबर आई कि कोरोना की जांच कराने पर कई बार रिपोर्ट इंफ्लूएंजा की आ रही है।

ये ऐसा इसलिए होता है कि जिस मरीज में जो लक्षण थे, RT-PCR से वही रिपोर्ट आती थी। लेकिन इसे सोशल मीडिया पर भ्रामक तरीके से फैलाया गया। जिसकी वजह से कई जगहों पर लोग RT-PCR कराने से झिझकने लगे थे। लेकिन अब तो आप पूरा समझ गए होंगे। आखिर ये गफलत आई तो कैसे आई।

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