Begin typing your search above and press return to search.
स्वास्थ्य

झाड़-फूक, तंत्र-मंत्र, जड़ी बूटी और करामाती अंगूठी नहीं, सर्पदंश से बचना हो तो जरूर अपनायें ये उपाय !

Janjwar Desk
14 July 2024 12:01 PM GMT
झाड़-फूक, तंत्र-मंत्र, जड़ी बूटी और करामाती अंगूठी नहीं, सर्पदंश से बचना हो तो जरूर अपनायें ये उपाय !
x

file photo

भारत में जून से लेकर सितम्बर तक बारिश का मौसम रहता है। इन चार माह के दौरान सांप काटने के मामले बेतहाशा बढ़ जाते हैं। देश में हर साल 10 लाख लोगों को सांप काटते हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 50-60 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है...

सर्पदंश से कैसे बचें बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार हुसैन ताबिश

भारत में जून से लेकर सितम्बर तक बारिश का मौसम रहता है। इन चार माह के दौरान सांप काटने के मामले बेतहाशा बढ़ जाते हैं। देश में हर साल 10 लाख लोगों को सांप काटते हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 50-60 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है।

ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि सांप किसी को दौड़कर नहीं काटता है, न किसी से बदला लेता है, न आदमी से उसकी कोई दुश्मनी है। वो जान-बूझकर इंसान को कभी नहीं काटता है (करैत को छोड़कर)। सांप पाँव से दबने या हाथ से सटने के बाद ही इंसान को काटता है।

सांप का काटना एक दुर्घटना माना जाता है। दुर्घटना से बचने के लिए आज तक कोई तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका, करामाती अंगूठी, कलमा, बंगाली बाबा की तावीज या जड़ी- बूटी दुनिया में नहीं बनी है। किसी दुर्घटना को जैसे सतर्कता से रोका जा सकता है, ठीक वैसे ही सांप के काटने से आप सतर्कता से बच सकते हैं। भारत में सर्पदंश के 95 फीसदी मामले गाँव में होते हैं। यहाँ हम सर्पदंश से बचने के लिए कुछ सावधानियों पर चर्चा कर रहे हैं;

1. सांप को इन्सान का गाल नहीं, बल्कि पाँव और हाथ चूमना पसंद है। सर्पदंश के 67 फीसदी मामले इंसानों के पाँव में होते हैं, बाकी हाथ की कलाई के नीचे। इसलिए जिस स्थान पर आपकी नज़र (आँख) न पहुँचती हो, वहां अपना पाँव या हाथ हरगिज़ न ले जाएँ। ये फार्मूला दिन-रात दोनों पर लागू होता है।

2. सांप इन्सान से डरता है। उससे छिपकर रहना पसंद करता है, लेकिन सामना होने पर, जाने-अनजाने उससे टच होने पर उससे जान बचाने के लिए उसपर हमला कर देता है। जब भी सांप अंग्रेजी का S मुद्रा बनाए उससे दूर हट जाएं। वो हमले के पहले ऐसी मुद्रा बनाता है।

3. सांप को काले रंग और उसके सामने हिलती- डूलती चीज़ों से चिढ़ होती है। इसलिए उसके सामने काली टोपी, काला झोला, कपड़ा न लहराए। अक्सर सपेरा सांप का खेल दिखाने के लिए काले कपड़े और बीन को उसके सामने हिलाता है। सांप इसी से चिढ़ता है, न कि बीन की धुन से... उसके पास कान नहीं होता है।

4. दुनिया में जितने जहरीले सांप होते हैं, वो सभी निशाचर होते हैं। रात में भोजन की तलाश में निकलते हैं। इसलिए सबसे ज्यादा सर्पदंश की घटना रात में होती है। रात के अँधेरे में जंगल, खेत, खलिहान, घास के मैदान, भुस्कार, गौशाल, लकड़ी के ढेर के पास न जाएँ। जाना ही पड़े तो पर्याप्त रौशनी के इंतजाम के साथ जाएं। बिना चप्पल और जूते के भी ऐसे स्थानों पर जाने से बचें।

5. घर का किचन, शौचालय, बाथरूम और अन्य स्थान जो खाली रहता हो, और जहाँ चूहे, छिपकली के साथ आस-पास पानी का भी इंतज़ाम हो, जहरीले साँपों का पसंदीदा अड्डा होता है। चूहे के मल-मूत्र का गंध उसे आकर्षित करता है। ऐसे स्थानों पर रात के अँधेरे में जाने से बचें।

6. गाँव में सर्पदंश के अधिकांश मामले खेत- खलिहान में होते हैं। कोबरा, करैत और रसेल वाईपर, भारत के तीनों विषैले सांप घर के अलावा यहाँ भी पाए जाते हैं। किसानी-मजदूरी करने वाले लोग। गर्मी और बरसात में बिना चप्पल और पाँव को ढकने वाले जूते के ऐसे खेतों में प्रवेश ने करें। जहाँ आपको खेत की ज़मीन या जहाँ आप पाँव रख रहे हैं, वो जगह दिखाई न दे रही हो। ऐसे जगह पर फसलों की रोपनी, तोड़ाई और कटाई करने पर हाथ में सेफ्टी दस्ताने का भी उपयोग करना चाहिए।। जूते-दस्ताने सांप के काट और विष के असर को कम कर सकते हैं।

7. भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतों में 30 फिसदी भुक्तभोगी 1 से 16 साल तक के बच्चे होते हैं। इसकी वजह इस उम्र के लोगों का अधिक चंचल होना है। वो बिना देखे, सोचे- समझे कहीं भी कूद-फांद जाते हैं, हाथ डाल देते हैं। सर्पदंश होने के बाद समझ नहीं पाते हैं, और अभिभावक को बता नहीं पाते हैं। उनका विशेष ध्यान रखना आपकी जिम्मेदारी है।

8. जून से सितम्बर तक जमीन पर न सोएं। भारत में सांप काटने के 10 फीसदी मामले रात में सोते हुए इन्सान को काटने के होते हैं। UP, बिहार सहित भारत में पाए जाने वाला करैत अक्सर नींद में सोये हुए इंसान को काट लेता है। (ऐसी मान्यता है कि इसे इंसानों का गंध पसंद है, जिस पर शोध जारी है।) करैत और रसेल वाइपर अकसर इन्सान के बिस्तर में घुसकर बैठ जाते हैं। सोये हुए इंसान को पेट दर्द और उलटी होती है, और मौत हो जाती है। इसके लिए करैत जिम्मेदार होता है। ज़मीन पर सोना मजबूरी हो तो बिस्तर में दबाकर मच्छरदानी ज़रूर लगाएं। मच्छरदानी भी न हो तो रात में सोने की जगह पर रोशनी का इंतज़ाम रखें। हमेशा बिस्तर झाड़कर सोयें।

9. खेत-खलिहान से ज्यादा घरों में सांप काटते हैं। WHO के मुताबिक, सर्पदंश की 60 फीसदी मामले घरों के अंदर होते हैं। भारत के दो जहरीले सांप करैत और कोबरा (गेहुमन) भोजन की तलाश ( चूहे- छिपकली) और बारिश में सूखी जगह के मोह में इंसानों के घरों में और उसके आसपास रहना पसंद करते हैं। करैत का 99 फीसदी बाईट घरों के अन्दर होते हैं। भारत में सर्पदंश के दो तिहाई मामले, बिहार, झारखण्ड, UP, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में होते हैं। सरकार ने इसे रेड जोन में रखा है।

10. गाँव में पुराना खपरैल वाला घर, कच्चा फूस का घर, मिटटी की दीवार वाले घर, शहतीर वाल पुराना घर, आधा खाली पड़ा घर, ठसा-ठस भरे हुए सामान वाला घर, बेतरतीब रखे गए सामान वाला घर, बिना रोशनी वाले घरों में रहने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है। घर या उसके आसपास जंगल, झाड़, लकड़ी का ढेर, ईंट का ढेर, रेत का ढेर, भूसे का ढेर, चूहे के रहने की जगह, ईंट की बनी नालियाँ साँपों के रहने के लिए राजा जैसी हवेली होती है। ऐसे जगहों पर रहने वाले लोगों को गर्मी और बरसात में बेहद सतर्क रहना चहिये।

(यहाँ दी गई जानकारी सर्प विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंक्रेटिक की किताब 'समथिंग सर्पिला' के तथ्यों पर आधारित है।)

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध