साल 2030 तक भारतीय सामान्य बीमा प्रीमियम के 5000 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद, 2040 तक देश की 20 फीसदी से ज्यादा होगी 60 साल से ज्यादा उम्र की
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Indian general insurance premium : भारतीय सामान्य बीमा प्रीमियम को लेकर इंडिया इंश्योरेंस रिपोर्ट जारी हुई है, जिसे बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) ने जारी किया है। रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक यह भी है कि 20 वर्षों के ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर सामान्य बीमा प्रीमियम 2030 तक 3,91,216 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। हालाँकि, उद्योग का प्रीमियम वॉल्यूम 2030 तक 5,00,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। 2047 तक हर घर के लिए पूर्ण बीमा कवरेज हासिल करने और बाजार सहभागियों और बिचौलियों में अनुमानित वृद्धि के उद्देश्य से नियामक सुधारों को ध्यान में रखते हुए, 2030 तक 5,00,000 करोड़ रुपये को आदर्श प्रीमियम स्तर माना जाएगा। यह अध्ययन, एनआईए पुणे में प्रोफेसर स्टीवर्ड डॉस और प्रोफेसर अभिजीत के चट्टोराज, डीन (एसडब्ल्यू और एसएस) बिमटेक में पीजीडीएम - (बीमा व्यवसाय प्रबंधन) के प्रोफेसर और अध्यक्ष द्वारा आयोजित किया गया; यह 2001-2022 के बीच जनरल इंश्योरेंस से संबंधित समस्त महत्वपूर्ण पहलुओं के ऐतिहासिक प्रीमियम डेटा पर आधारित है।
यह रिपोर्ट जनसांख्यिकीय परिवर्तन, ग्राहक व्यवहार को समझना, वित्तीय साक्षरता और मानसिकता में बदलाव, एआई और मशीन लर्निंग का लाभ उठाना, वेलनेस इंश्योरेंस और इंश्योरटेक इंटीग्रेशन, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, ग्रोथ प्रोजेक्शन, वीआर, एआर और ब्लॉकचेन एडॉप्शन, आईओटी और पैरामीट्रिक इंश्योरेंस पर केंद्रित है।
बिमटेक इंडिया इंश्योरेंस रिपोर्ट के संपादक डॉ. अभिजीत के. चट्टोराज के अनुसार, ‘भारत में बुजुर्गों की आबादी बढ़ने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2040 तक 20 प्रतिशत से अधिक आबादी 60 और उससे अधिक उम्र की होगी। साथ ही इस दौर में मध्यम आय और उच्च आय वाले परिवारों की वृद्धि होगी और इस तरह 2030 तक बीमा मांग में और बढ़ोतरी होने की संभावनाएं हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के बढ़ते उपयोग से बीमाकर्ताओं को बदलती जोखिम से संबंधित पहलुओं और ग्राहकों की जरूरतों को समझने में मदद मिल सकती है। 2024-25 तक जोखिम-आधारित पूंजी (आरबीसी) के कार्यान्वयन से जोखिम-आधारित प्रीमियम दरों और नए किस्म के प्रोडक्ट्स जारी होने की संभावनाओं को बल मिल सकता है। डिजिटल तौर-तरीकों का उपयोग बढ़ने से ग्राहक अब बीमा प्रक्रिया में भी पूरी तरह से डिजिटल अनुभव करते हुए तकनीकी एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करेंगे। ऐसे दौर में बी2सी, बी2बी और बी2बी2सी जैसे नए ऑनलाइन डिस्ट्रीटयूशन मॉडल विकास यात्रा को आगे बढ़ाने में प्रमुख सहायक साबित होंगे।’
बिमटेक इंडिया इंश्योरेंस रिपोर्ट ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भी सुझाव देती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में बीमाकर्ताओं, दलालों, सर्वेक्षणकर्ताओं और इंश्योरटेक के लिए मजबूत स्व-नियामक संगठनों की स्थापना आवश्यक है। ये संगठन विमानन, तेल और ऊर्जा, लायबिलिटी, व्यापार ऋण और राजनीतिक जोखिम जैसी नई व्यावसायिक लाइनों को प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं, जिससे सामान्य ‘विविध’ श्रेणी के रूप में समूहीकृत करने के बजाय उनकी अलग निगरानी सुनिश्चित की जा सके।
इसके अतिरिक्त, कई प्रमुख कारक उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं और इसके भविष्य को आकार देने की महत्वपूर्ण क्षमता रखते हैं, जैसे- निरंतर जागरूकता अभियानों द्वारा संचालित बीमा खरीदारों की प्रोफाइल बदलना, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के कारण। विकसित होती प्रोफ़ाइल के कारण लोगों की अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पहले से अधिक अनुकूलित बीमा उत्पादों की आवश्यकता है। बीमा व्यवसाय के विस्तार और बीमा पैठ बढ़ाने के लिए पूंजी निवेश भी एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रत्याशित वृद्धि को बनाए रखने के लिए उद्योग को अधिक संख्या में मध्यस्थों और बीमा खिलाड़ियों की आवश्यकता है।
बीमा उद्योग को टैक्नोलॉजी का भी एक महत्वपूर्ण सहारा मिल रहा है, जो अंडरराइटिंग और क्लेम मैनेजमेंट से संबंधित प्रक्रिया को बेहतर बना रही है। नियामक और सरकारी समर्थन ने व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है, नियामक अनुपालन बोझ को कम किया है और नए प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने की सुविधा प्रदान की है।
बिमटेक के डायरेक्टर और बिमटेक इंडिया इंश्योरेंस रिपोर्ट के संयुक्त संपादक हरिवंश चतुर्वेदी ने सामान्य बीमा उद्योग के विस्तार के बारे में चर्चा करते हुए कहा, ‘नियामक द्वारा प्रस्तावित ‘बीमा ट्रिनिटी’ जैसी पहल बीमा व्यवसाय के विकास को चलाने और बनाए रखने में सहायक हो सकती है। म्यूचुअल बीमा कंपनियां देश भर में माइक्रो इंश्योरेंस को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। ग्राहक-केंद्रित पहल जैसे ग्राहक सूचना पत्र (सीआईएस) और चिकित्सा खर्चों के लिए 100 प्रतिशत कैशलेस निपटान करना दरअसल विश्वास बनाने और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। ये उपाय और विचार सामूहिक रूप से सामान्य बीमा उद्योग को एक ऐसी रणनीति बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिसके सहारे बीमा उद्योग एक कामयाब भविष्य की ओर आसानी से कदम उठा सकता है।’
बिमटेक की इंश्योरेंस इंडिया रिपोर्ट में उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों के लेख भी शामिल हैं। इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं- जी.एन. बाजपेयी, पूर्व अध्यक्ष सेबी और एलआईसी; खेतान लीगल एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार साकाते खेतान; तपन सिंघल, प्रबंध निदेशक और सीईओ बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा, अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता नीति विशेषज्ञ, भार्गव दासगुप्ता आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ; डॉ डेविड मार्क ड्रोर, रिटायर्ड स्कॉलर और यूनिवर्सल सोशल प्रेक्टिशनर पर केंद्रित विशेषज्ञ, अरूप चटर्जी, एशियाई विकास बैंक में वित्त क्षेत्र कार्यालय के प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्टर स्पेशलिस्ट, अमित कालरा, प्रबंध निदेशक और प्रमुख स्विस रे जीबीएस सेंटर्स इंडिया; वोरावेट चोनलासिन, कार्यकारी निदेशक, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (एआईटी एक्सटेंशन) और श्री अरुण अग्रवाल - लेखक और पूर्व सीईओ।
रिपोर्ट बीमा व्यवसाय प्रबंधन में अपने पीजीडीएम कार्यक्रम के साथ बीमा शिक्षा के प्रति बिमटेक की प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए बीमा क्षेत्र के लिए नियामक सुधारों से संबंधित सुझाव भी देती है।