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स्वास्थ्य

कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का आरोप लगाने वाले व्यक्ति के वकीलों ने कहा, सीरम का 100 करोड़ का मुकदमा धमकी

Janjwar Desk
30 Nov 2020 6:20 PM GMT
कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का आरोप लगाने वाले व्यक्ति के वकीलों ने कहा, सीरम का 100 करोड़ का मुकदमा धमकी
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पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने चेन्नई के एक व्यापारी के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसने कोविड-19 वैक्सीन परीक्षण के गंभीर दुष्प्रभाव का आरोप लगाया है...

प्रियंका थिरूमूर्ति

ऑक्सफोर्ड कॉविशिल कोविड-19 वैक्सीन परीक्षण के चेन्नई स्थित एक वोलंटियर के वकीलों ने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पर अपने क्लाइंट को डराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। कोरोना वैक्सीन बना रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने ही एक 40 वर्षीय बिजनसमैन वालंटियर पर इस वजह से 100 करोड़ रुपये का मुकदमा कर दिया, क्योंकि उन्होंने एक कानूनी नोटिस भेज कर कहा था कि वैक्सीन परीक्षण के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सीरम इंस्टीट्यूट ड्रग मैन्युफेक्चरर एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ देश में कोविडशील्ड वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए देश में साझेदारी की है। वालंटियर पर चेन्नई के रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुडकेशन एंड रिसर्च में एक अक्टूबर को वैक्सीन का परीक्षण किया गया था। इसके 10 दिन बाद कथित रूप से उस युवक ने न्यूरोलाॅजिकल व साइकोलाॅजिकल दिक्कतें महसूस करना शुरू किया और वह रोजमर्रा के कार्याें को पूरा करने में असमर्थ था। इसके बाद एक कानूनी नोटिस के जरिए उसने वैक्सीन निर्माण व वितरण की सभी योजनाओं को रोकने के अलावा पांच करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की।

कोरोना वैक्सीन परीक्षण के उक्त वालंटियर के वकील एनजीआर प्रसाद और आर राजाराम ने खुद के द्वारा इस संबंध में जारी कानूनी नोटिस में कहा: हमारे मुवक्किल को एक अक्टूबर 2020 को टीका परीक्षण के बाद काफी गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतों का सामना करना पड़ा। नोटिस में कहा गया है: हमारे मुवक्किल की पत्नी ने बताया है कि वह अभी भी स्थिर नहीं हैं, उनकी तबीयत गंभीर है, उन्हें चीजों को समझने और उस पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या है और आॅनलाइन भुगतान करने जैसी सरल दैनिक कामकाज भी उन्हें दिक्कतें आ रही हैं, उन्होंने अपने काम पर ध्यान केंद्रित करना छोड़ दिया है।

सीरम इंस्टीट्यूट ने हालांकि इन आरोपों पर अपने बयान में इन दावों को दुर्भावनापूर्ण और कंपनी की प्रतिष्ठा को खराब करने के प्रयास के रूप में चिह्नित किया है।

बयान में कहा गया है, यह दावा दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि वालंटियर को विशेष रूप से मेडिकल टीम द्वारा सूचित किया गया था कि उसे जिन जटिलताओं का सामना करना पड़ा था, वे परीक्षण से अलग हैं। वोलंटियर कोविड टीका परीक्षण को लेकर अपनी चिकित्सा समस्याओं को लेकर झूठ बोल रहा है। जबकि उसे इस बारे में चेताया गया था, बावजूद इसके उसने इसे सार्वजनिक करना व कंपनी की प्रतिष्ठा को खराब करने का विकल्प चुना।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वालंटियर के वकील ने इस बयान के पीछे सीरम के उद्देश्यों पर सवाल उठाया है :

यह हमारे मुवक्किल को डराने का स्पष्ट प्रयास है। क्योंकि वे 100 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा करेंगे। हमारा क्लाइंट मात्र पांच करोड़ रुपये स्वास्थ्य समस्याओं के लिए मुआवजे के में मांग रहे हैं और वे अपने परिवार की देखभाल के लिए कह रहे हैं। वकील प्रसाद कहते हैं, यदि आप उनके बयान को देखते हैं तो यह स्पष्ट है कि वे जांच के लिए तैयार नहीं हैं कि वास्तव में क्या हुआ और क्या वह वैक्सीन के कारण उत्पन्न हुआ साइड इफेक्ट था। हमारा क्लाइंट चाहता है कि वैक्सीन का निर्माण रोक दिया जाए क्योंकि उन्हें डर है कि दूसरे लोगों को भी इस तरह की परेशानी हो सकती है।

इस बीच अधिवक्ता राजाराम ने द न्यूज मिनट्स को बताया कि न्यूरोलाॅजिकल और मनोवैज्ञानिक दुष्परिणामों का कभी भी वैक्सीन के संभावित नुकसान में उल्लेख नहीं किया गया है।

10 दिन के बाद आने वाले दुष्प्रभावों के बारे में ग्राहक को चेतावनी देने या शिक्षित करने के लिए वालंटियर को दिए जाने वाले सूचना पत्र में ऐसा कुछ उल्लेख नहीं था। वास्तव में यह दावा किया गया था कि टीका सुरक्षित था और हमारे मुवक्किल ने यह माना।

वालंटियर को प्राप्त सूचना पत्र द न्यूज मिनट के पास है, जिसमें उल्लेखित कुछ दुष्प्रभाव हैं :

वैक्सीन के कारण आपको कुछ रिएक्शन हो सकती हैं, जैसे वैक्सीन साइट पर दर्द, कोमलता, लालिमा, गर्मी, खुजली, सूजन या सख्त हो जाना।

कुछ अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे बुखार, ठंड लगना, थकान, बेचैनी का भाव, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द और मिचली।

इसके अलावा एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार की संभावना है कि टीकाकरण के तुरंत बाद आपको एलर्जी की प्रतिक्रिया विकसित हो सकती है। इसमें दाने, पित्ती, सांस लेने में कठिनाई और बहुत दुर्लभ उदाहरण शामिल हो सकते हैं और अगर उसका इलाज न किया जाए तो वह घातक हो सकता है। इसलिए डाॅक्टर प्रत्येक टीकाकरण और उपचार के बाद कम से कम 30 मिनट तक आपकी निगरानी करते हैं ताकि ऐसी स्थिति होने पर तुरंत उससे निबटा जाए।

(द न्यूज मिनट्स में प्रकाशित मूल खबर से अनूदित)

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