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देश को लूटकर अपना धंधा बढ़ा रहा है अमेज़न, सरकार के इशारे पर खामोश हैं जांच एजेंसियां ?
(ऑनलाइन गांजा बेचने के आरोप में फंसा Amazon)
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
कुछ दिनों पहले ही खबर आयी थी की एक बार फिर अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजोस दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। इतना तो सबको पता है कि ईमानदारी से कोई व्यापार कर आज के दौर में आप अमीर नहीं बनते, बल्कि अमीर वे हैं जो कदम-कदम पर जनता और सरकारों को धोखा देते हैं। जिस अमेज़न का विज्ञापन लगातार देश के छोटे व्यापारियों के व्यापार को बढ़ाने का दावा करता है, उसकी हकीकत कुछ और ही है और सरकारी जांच एजेंसियां इन हकीकतों को जानती भी हैं, पर शायद सरकार के इशारे पर खामोश हैं।
आपने गौर किया होगा की बीजेपी ने 2014 और 2019 के चुनावों के ठीक पहले स्वदेशी का राग अलापते हुए अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के विरुद्ध बड़ी मुहीम चलाई थी, पर चुनाव होते ही सबकुछ अचानक शांत हो गया। वैसे भी जेफ बेजोस हमारे प्रधानमंत्री के करीबी लोगों में शामिल हैं और इन दोनों की अबतक अनेकों मुलाकातें हो चुकी हैं।
अप्रैल 2019 में भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा निवेश पर एक नया दिशा-निर्देश जारी किया था, जो अमेज़न के कारोबार पर चोट कर सकता था। इसी महीने अमेज़न के एग्जीक्यूटिव जे करने ने अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाक़ात की थी। मुलाक़ात के लिए जे करने को कंपनी की तरफ से एक मेमो दिया गया था, जिसपर स्पष्ट लिखा था की उन्हें मीटिंग में क्या बताना है और क्या किसी भी कीमत पर नहीं बताना है। बाताने की सूची में प्रमुख था, कंपनी की तरफ से भारत में 5.5 अरब डॉलर का निवेश, और 4 लाख से अधिक स्थानीय छोटे कारोबारियों को अपना उत्पाद बेचने के लिए एक प्लेटफोर्म मुहय्या कराना।
जो कुछ जे करने को बिलकुल नहीं बताना था, वह था की देश में अमेज़न द्वारा पूरे कारोबार का एक-तिहाई अमेज़न की ही महज 33 कंपनियों के खाते में जाता है। इसके अलावा अमेज़न से जुड़े दो दूसरे इ-कॉमर्स प्लेटफोर्म कुल 35 प्रतिशत विक्रय कर रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब है की अमेज़न का देश में कुल कारोबार में से दो-तिहाई अमेज़न से जुडी 35 कंपनियों के खाते में आता है, और जून 4 लाख से अधिक देश के छोटे कारोबारियों के बारे में कहा जाता है, उनके हिस्से कुल बिक्री का महज एक-तिहाई हिस्सा ही आता है।
अमेज़न का विज्ञापन आता है, ट्रांस्फोर्मिंग लाइव्स – वन क्लिक ऐट अ टाइम। इसके लिए, देश के 4 लाख से अधिक छोटे कारोबारियों में से एक बहुत छोटे वर्ग को आगे बढाने की मुहीम रहती है, जिससे जरूरत पड़ने पर उन्हें आगे किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेज़न के सीईओ जेफ़ बेजोस को वाशिंगटन जाकर वर्ष 2016 में ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड दिया था। अमेज़न हरेक समय कारोबार में पारदर्शिता और सभी कारोबारियों में समानता की बात करता है, पर वास्तविकता इससे बहुत दूर है।
अमेज़न के एक इंटरनल नोट में प्रधानमंत्री के बारे में लिखा है कि वे बुद्धिमान नहीं हैं। स्मार्टफोन की बिक्री के लिए अमेज़न ने इनफ़ोसिस की मदद से क्लाउडटेल नामक एक कंपनी का गठन अगस्त 2014 में किया था, इसके तीन महीनों बाद प्रधानमंत्री और अमेज़न के सीईओ के बीच मीटिंग आयोजित की गयी पर प्रधानमंत्री को इस नई कंपनी के बारे में कुछ नहीं बताया गया।
जनवरी 2020 में अनेक व्यापारिक संगठनों की शिकायत पर अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारत सरकार के कम्पीटीशन कमीशन ने जांच की थी और रिपोर्ट में चार बातें कहीं थीं – स्मार्टफोन के लांच करने का विशेषाधिकार, चुनिन्दा कारोबारियों को प्रोत्साहित करना, उम्मीद से परे डिस्काउंट का ऐलान करना और विक्रेताओं की सुचिं में उलटफेर करना। पर, आश्चर्य तो इस बात का है की इसकी बाद इस जांच को वहीं रोक दिया गया और भारत सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की की गयी। अमेज़न के विरुद्ध एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट ने भी निवेश कानूनों के उल्लंघन के सन्दर्भ में जांच की थी, पर उसका नतीजा कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।