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जनज्वार विशेष

Anand Pal Singh Death: वो गैंगस्टर जिसके एनकाउंटर के बाद राजस्थान की सत्ता से बेदखल हो गई थी वसुंधरा सरकार

Janjwar Desk
23 Oct 2022 3:08 PM GMT
Anand Pal Singh Death: वो गैंगस्टर जिसके एनकाउंटर के बाद राजस्थान की सत्ता से बेदखल हो गई थी वसुंधरा सरकार
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Anand Pal Singh Death: राजस्थान को वो लड़का जो एक समय पढ़ना चाहता था। गांव का वो युवक जो अध्यापक बनने की चाहत रखता था। एक नौजवान जो सियासतदार बनते-बनते प्रदेश का सबसे बड़ा गैंगस्टर बन गया। उस गैंगस्टर की कहानी, जिसने जीते जी पुलिस की नींद हराम कर दी और उसकी मौत ने प्रदेश की सरकार को हिला कर रख दिया....

मनीष दुबे की रिपोर्ट

Gangster Anand Pal Singh: साल 2017 का 24 जून। अमावस की उस काली रात में करीब 10 बजे के आसपास का समय था। जगह शेखावटी के चूरू का मौलासर गांव। कुछ नींद के आगोश में जा चुके थे तो कुछ सोने की तैयारी कर रहे थे। सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक पूरा गांव ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज से गांव दहल उठा। नींद में सो रहे लोग अचानक हड़बड़ाकर जाग बैठे। खिड़कियों दरवाजों से झांककर देखा तो चारों तरफ पुलिस और SOG की गाड़ियों का काफिला था। एसओजी और पुलिस की टीमों ने एक मकान को निशाने पर ले रखा था। दोनों तरफ से जबरदस्त फायरिंग हो रही थी।

दोनों तरफ से जमकर हो रही गोलीबारी की वजह से किसी की आगे जाने की जुर्रत नहीं हुई। यह मकान श्रवण सिंह का था, जिसमें उस समय राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर आनंदपाल ने अपने साथियों के साथ शरण ले रखी थी। एसओजी टीम ने आईजी दिनेश एमएन (IG SOG Dinesh MN) की दिशा-निर्देशन में आनंदपाल को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन जवाब में उसकी तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। जवाबी फायरिंग में रतनगढ़ तहसील के गांव मालासर में श्रवण सिंह के घर पर आतंक का पर्याय रहे आनंदपाल का अंत हो गया।

राजस्थान को वो लड़का जो एक समय पढ़ना चाहता था। गांव का वो युवक जो अध्यापक बनने की चाहत रखता था। एक नौजवान जो सियासतदार बनते-बनते प्रदेश का सबसे बड़ा गैंगस्टर बन गया। उस गैंगस्टर की कहानी, जिसने जीते जी पुलिस की नींद हराम कर दी और उसकी मौत ने प्रदेश की सरकार को हिला कर रख दिया....

गैंगस्टर आनंद पाल सिंह (Gangster Anand Pal Singh) जिसका नाम जीते जी कानून के सबसे बड़े बहीखातों में सूबे के बड़े मुलजिम के तौर पर शुमार हुआ। वो मरने के बाद अचानक गरीबों का सबसे बड़ा मसीहा यानी रॉबिनहुड बन गया। एक ऐसा राबिनहुड जिसके एनकाउंटर में मौत के बाद उसके जिस्म को भी पुलिस हाथ लगाने से घबरा रही थी। उसके समर्थकों ने एनकाउंटर पर सिर्फ सवाल ही नहीं उठाए बल्कि उसके एनकाउंटर के लिये जमकर बवाल भी काटा। उनकी जिद थी कि आनंदपाल के मुर्दा शरीर को तब तक सुपुर्दे-खाक न किया जाये, जब तक उसकी मौत का सच पता नहीं चल जाता।

शारीरिक कदकाठी में मजबूत था आनंद पाल सिंह

लिहाजा, अपनी मौत के बाद भी गैंगस्टर आनंदपाल का मु्द्दा सबसे बड़ा बवाल बन गया था। आधा दर्जन से ज्यादा कत्ल के इल्जाम वाले आनंद पाल पर 37 से ज्यादा गंभीर गुनाहों की फेहरिस्त उसके नाम दर्ज थी। इल्जाम, बेगुनाहों से पुलिसवालों तक के खून बहाने का। तस्करी से लेकर फिरौती और वसूली तक की तोहमत थी उस पर। लेकिन फिर भी उसके लिए एक सूबा इतना सुलगा कि मौत के 20 दिनों बाद जाकर उसका अंतिम संस्कार हो सका। जिसमें राज्य के 50 हजार से ज्यादा पुलिसवाले मजबूरन शरीक हुए।

राजस्थान के सबसे बड़े और खौफनाक गैंगस्टर आनंद पाल का ताल्लुक नागौर इलाके से था। लेकिन किसी गांव के रहने वाले अन्य आम लड़के के मुकाबले आनंदपाल ने जुर्म की दुनिया में ऐसा नाम पैदा किया कि कब राजपूत समाज की एक पूरी की पूरी पुश्त ही उसकी दीवानी हो गई, किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी। उसकी मौत के बाद नागौर से लेकर राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में बड़ी तादाद में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।

असल में आनंदपाल दूसरे गैंगस्टर्स से कई मायनों में अलग था। लॉ ग्रेजुएट और बीएड होने के बाद भी उसने न सिर्फ जुर्म का रास्ता चुना बल्कि जरायम की स्याह दुनियां में फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर एक अलग ही इमेज बनाने में कामयाब रहा। नागौर जिले के सांवराद गांव का आनंदपाल कभी शिक्षक बनना चाहता था। लेकिन जिंदगी उसे किसी और रास्ते पर ले गई। बीएड की पढ़ाई करते-करते उस पर सियासत का भूत सवार हुआ। 2000 में जिला पंचायत के चुनाव हुए। आनंदपाल ने पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और जीत गया। इसके बाद पंचायत समिति के प्रधान का चुनाव होना था।

आनंदपाल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भर दिया। उसके सामने था कांग्रेस का कद्दावर नेता हरजी राम बुरड़क का बेटा जगनाथ बुरड़क। ये चुनाव आनंदपाल महज 2 वोट के अंतर से हार गया। सियासत करते-करते उसने शराब की तस्करी भी शुरू कर दी। लेकिन तस्करी के साथ ही उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा और जातीय समीकरण कुछ ऐसे साधे कि देखते ही देखते राजपूतों का हीरो बन गया। कहते हैं आनंदपाल ने सबसे पहले अपने करीबी दोस्त जीवनराम को ही मौत के घाट उतार दिया था।

दरअसल, जीवनराम की मौत, मदन सिंह राठौड़ की हत्या का बदला था। बताते हैं कि कुछ ही महीने पहले फ़ौज के जवान मदन सिंह की हत्या जीवनराम ने कर दी थी। हत्या का तरीका दिल दहलाने वाला था। उसके सिर पर सीमेंट की पट्टी मार-मारकर खत्म कर दिया गया था। इस हत्या ने जातीय रूप ले लिया और सारा मामला राजपूत बनाम जाट में बदल गया। कहा जाता है कि, आनंदपाल ने राजपूतों के 'मान' के लिए ये बदला लिया था। फिर तो एक के बाद एक लाशें बिछाई और हर कत्ल के साथ उसका नाम बड़ा होता गया। उसकी महत्वाकांक्षा लिकर किंग बनने की बताई जाती थी। जिसके कारण विरोधी गैंग से उसकी लड़ाई होती रही।

पुलिस कस्टडी में आनंद पाल का अंदाज

साल 2015 में बीकानेर जेल में उसका गैंगवार हुआ था। आनंदपाल को भी गोली लगी थी। पहले वह बीकानेर और फिर अजमेर जेल में बंद रहा था। 3 सितंबर 2015 को आनंदपाल और उसके साथी सुभाष मूंड की नागौर कोर्ट में पेशी थी। पुलिस वैन से उसे फिर अजमेर सेंट्रल जेल लाया जा रहा था। लौटते हुए आनंदपाल ने पुलिस वालों को मिठाई खिलाई जिससे उन्हें नशा आ गया। आगे उसके साथियों ने सड़क रोक ली और गोलियां चलाते हुए उसे भगाकर ले गए। इसमें एक पुलिसकर्मी मारा गया था। इस फरारी के बाद पुलिस महकमे की तमाम सक्रियता के बावजूद वह किसी के हाथ नहीं आया।

जुर्म के रास्ते पर होने के बावजूद वो अपने समाज के साथ खड़ा रहा और करीब दो सालों तक वो पुलिस के लिए छलावा बना रहा। वहीं, दूसरी तरफ उसकी रॉबिनहुड वाली छवि पुलिस औऱ प्रशासन के आड़े आती रही। 21 महीने से फरार चल रहे आनंदपाल को पकड़ने की नाकामी पुलिस पर भारी पड़ रही थी। तभी अचानक 24 जून की रात साढे 11 बजे खबर आई की आनंदपाल एनकाउंटर में मारा गया। लेकिन उस रात आखिर हुआ क्या था ये सवाल सवालों के घेरे में है। पुलिस के मुताबिक मकान की ऊपरी छत पर मौजूद मोस्ट वांटेड अपराधी आनंदपाल सिंह को एक्शन से पहले सरेंडर की चेतावनी दी गई। मगर जवाब में आनंदपाल ने एके 47 से गोलियां बरसानी शुरू कर दी।

पुलिस और SOG ने जवाबी फायरिंग की और आनंदपाल मारा गया। दरअसल, एसओजी आनंदपाल के भाई रूपेश और उसके गुर्गे देवेंद्र का पीछा कर रही थी। सिरसा में दोनों को SOG ने धर दबोचा। पुलिस ने रूपेश को एनकाउंटर की धमकी दी। जिसके बाद आनंदपाल का पता मिला। पुलिस ने पहले ही पूरी जानकारी जुटा ली थी कि, आनंदपाल के पास एके 47 और करीब 400 राउंड गोलियां हैं। कई बार गच्चा खा चुकी पुलिस ने छत के ऊपर से मकान में चढ़कर पीछे से आनंदपाल पर छह गोलियां दाग दी। इस मुठभेड़ में सूर्यवीर और कान्स्टेबल सोहन घायल हो गए। एनकाउंटर के बाद सवाल उठे कि क्या आनंदपाल को जिंदा नहीं पकड़ा जा सकता था, क्या आनंदपाल को जिंदा पकड़ने की कोशिश नहीं हुई?

आनंद पाल के गैंग में करीब 100 बदमाश शामिल थे, जो उसके इशारे पर काम करते थे। आनंद पाल को पकड़ने के लिए पुलिस को भारी नाकाबंदी करने के साथ-साथ स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलिस ने कई बार उसे पकड़ा लेकिन हर बार वह फरार हो जाता। साल 2015 में वह पुलिस वालों को नशीली मिठाई खिला के फरार हो गया और इसके बाद जमकर अपराधों को अंजाम दिया। कोर्ट ने आनंद पाल को 8 मामलों में भगोड़ा घोषित किया हुआ था। सालों तक आनंद पाल को ढूंढने वाली पुलिस को 2017 में 24 जून को सूचना मिली कि, आनंद पाल सिंह चुरू के मौलासार गांव में छिपा हुआ है। पुलिस ने एक स्पेशल ऑपरेशन में आनंद पाल को ढेर कर दिया, लेकिन असली खेल तो अभी बाकी था। आनंद पाल सिंह की मौत के बाद राजस्थान में गुस्से का ज्वार फूट पड़ा और उसके घर वालों ने शव लेने से मना कर दिया। आनंद पाल सिंह के गृह जनपद में सरकार का भारी विरोध हुआ, वहीं अधिकारियों ने परिवार व गांव वालों को मनाने की बहुत कोशिश की थी पर सारे प्रयास असफल रहे।

आनंद पाल और उसकी गर्लफ्रेंड लेडी डॉन अनुराधा चौधरी

एनकाउंटर के बाद आनंद पाल सिंह का शव करीब 3 हफ्तों तक डीप फ्रीज करके रखा रहा लेकिन उसके चाहने वालों ने दम नहीं छोड़ा। इसके बाद जब 12 जुलाई 2017 को 2 लाख लोग एनकाउंटर के विरोध में उतरे तो सरकार हिल गई। अगले ही दिन परिवार को अंतिम संस्कार की इजाजत के लिए बुलाया और आनंद पाल सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया। इस बार फिर परिवार ने कहा कि अंतिम संस्कार जबरदस्ती किया गया और मामला गर्मा गया, लेकिन थोड़े ही दिनों में सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में तब की वसुंधरा राजे सरकार का तख्ता पलट चुका था।

आनंद पाल सिंह अपराध के अलावा अपने स्टाइल को लेकर भी चर्चा में बना रहता था। सिर पर काऊबॉय हैट, लेदर जैकेट और आंखो पर चश्मा उसकी पहचान बन गई थी। कोर्ट में सुनवाई के लिए आता तो बाकायदा फोटो शूट कराता और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता था। हालांकि, आनंद पाल पहले इस तरह का नहीं था, लेकिन लेडी डॉन अनुराधा चौधरी के संपर्क में आने के बाद वह बिल्कुल बदल गया था। इसके अलावा आनंद पाल सोशल मीडिया पर भी काफी फेमस था। आनंद पाल पर जी5 पर आई वेब सीरीज 'रंगबाज फिर से' भी बनी थी। लोगों को बाद में पता चला कि, यह वेब सीरिज मशहूर गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के जीवन पर ही बनी है और वेब सीरिज में नाम बदलकर अमरपाल सिंह कर दिया गया है। जिसका किरदार जिमी शेरगिल ने निभाया था।

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