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कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली नार्थ एमसीडी के डॉक्टरों और नर्सों को नहीं मिला 3 महीने का वेतन
जनज्वार, दिल्ली। नार्थ एमसीडी के कस्तूरबा गांधी और हिंदूराव अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिलने के चलते अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं। तीन महीने की एकमुश्त सैलरी की मांग को लेकर 14 सितंबर से हर रोज 2 घंटे के लिए काम ठप कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। नार्थ एमसीडी के अंतर्गत आने वाले अस्पताल और डिस्पेंसरी में काम करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं दी गई है। पिछले महीने भी सैलरी ना मिलने के कारण डॉक्टर और नर्सों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया, हमारी केंद्र सरकार ने हम लोगों के लिए थाली, ताली बजा ली फूल की बारिश भी करा दी, लेकिन संसद में सरकार को ये ही नहीं पता कि अब तक कितने डॉक्टरों की मौत हुई है। अभी तक केवल आम आदमी पार्टी की तरफ से डॉक्टरों और नर्सें को कुछ सहायता मिली है। लेकिन केंद्र सरकार को ये ही नहीं पता कि अब तक कितने कोरोना योद्धा मर चुके है, और उन्हें सैलरी भी दी जा रही है नहीं, तो वो क्या ही मदद करेंगे।
डॉक्टरों और नर्सों के लिए कोर्ट भी कह चुका है कि इन सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कोर्ट की है। क्या केंद्र सरकार इन निगमों को 500 करोड़ रुपए नहीं दे सकती? क्या नरेंद्र मोदी जी को पता नहीं कि हमें सैलरी नहीं मिल रही? हम लोगों को तीन महीने ही नहीं कोरोना के बाद से ही सैलरी नहीं मिली है। सैलरी ना मिल पाने के कारण हम लोग कहां से काम कर पाएंगे, हमारे भी परिवार और बच्चे हैं। उनकी शिक्षा से लेकर कई खर्चे कहा से करेंगे कुछ नहीं पता।
सेलरी न मिलने से आंदोलन करने को विवश डॉक्टर और नर्सें कहती हैं, जुलाई के महीनें में मेरे बच्चे की फीस देनी थी, आज अक्टूबर हो गया हम लोगों की सैलरी नहीं आई बताओ हम क्या करें। कॉलेज वाले अलग से 5000 हजार रुपए का जुर्माना लगा रहे हैं। ऐसा मेरे साथ ही नहीं हम सभी डॉक्टरों और नर्सों के साथ हो रहा है। हमारे डॉक्टर इस समय काफी ज्यादा दबाव में काम कर रहे है। हमारी लगभग हर टीमें एयरपोर्ट समेत अलग-अलग जगहों पर लगी हुई है। हर रोज मेडिकल स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव निकल रहा है। सरकार ने हमारे साथ इतना बुरा व्यवहार किया है कि बीमारी होने के बाद भी हमें किसी तरह की कोई मदद नहीं दी जा रही है। सरकार द्वारा कोरोना योद्धा बोल देने से काम नहीं चलेगा सरकार को हमारी मदद करनी होगी।
इस मामले पर दिल्ली हॉस्पिटल नर्सेज यूनियन की महासचिव मंजू लता का कहना है कि पिछले 4 महीने से हमें वेतन नहीं दिया जा रहा है, इसलिए मजबूरी में आकर हमें धरना- प्रदर्शन करने के लिए सामने आना पड़ रहा है। पिछले 14 सितंबर से हर रोज 2 घंटे के लिए अपने वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन ना तो एमसीडी की तरफ से कोई अधिकारी उनसे मिलने आया, ना ही दिल्ली सरकार की तरफ से किसी अधिकारी से आश्वासन मिला है। शायद उन्हें लगता है कि ये लोग 2 घंटे के लिए जो प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा। अगर ये अधिकारी ऐसा सोचते हैं तो गलत हैं।
भाजपा नेता हरीश खुराना से जब जनज्वार ने सैलरी ना देने की बात पूछी तो उनका कहना था कि हम भी चाहते है कि डॉक्टरों समेत नर्सों को समय मे सैलरी दी जाए, लेकिन दिल्ली सरकार की मंशा इस मामले में सही नहीं है। निगर निगमों को समय में पैसा ना दिए जाने के कारण डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिल पा रही है। जैसे ही पैसा आ जाएगा, डॉक्टरों और नर्सों की सैलरी को दे दिया जाएगा।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को उसके तहत आने वाले कस्तूरबा गांधी और हिंदू राव समेत छह अस्पतालों में रेजिटंड डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने निर्देश दिया था। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार को एमसीडी को धन जारी करने के लिए भी कहा, ताकि वह अपने अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को अप्रैल का वेतन 24 जून तक दे सकें
कोविड–19 मरीजों की इलाज में लगे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को उचित आवास और क्वारंटीन सुविधा मुहैया कराने दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को उचित व्यवस्था और वेतन नहीं मुहैया कराने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी।
सेलरी न मिलने से परेशान स्वास्थ्यकर्मी कहते हैं, कोर्ट ने कहा था कि कोरोना से जंग में हम योद्धाओं को असंतुष्ट नहीं कर सकते हैं। डॉक्टरों को पेमेंट नहीं किया जा रहा, ऐसी चीजें सामने आ रही हैं, ये सब क्या है? हमें नहीं लगता कि जो हो रहा है वो होना चाहिए। स्वास्थ्यकर्मियों की चिंताओं का समाधान जरूर किया जाना चाहिए।