Begin typing your search above and press return to search.
जनज्वार विशेष

Exclusive: 3 हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में अबतक कोई भी क्यों नहीं हुआ कोरोना से संक्रमित

Janjwar Desk
11 Dec 2020 8:53 AM GMT
Exclusive: 3 हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में अबतक कोई भी क्यों नहीं हुआ कोरोना से संक्रमित
x

File photo

सारण जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड के मीरपुर जुअरा गांव के लोगों की एकजुटता व जागरूकता ने एक सकरात्मक उदाहरण पेश किया है....

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। सभी लोग अपने-अपने घरों में थे। सारण जिले में भी कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी से बढ़ रहा था। लोगों में एक अलग डर कायम था।

सारण जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड के मीरपुर जुअरा गांव के लोगों की एकजुटता व जागरूकता ने एक सकरात्मक उदाहरण पेश किया है। लोगों की जागरूकता इस कदर है कि इस गांव अब तक एक भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है।

3 हजार से अधिक के आबादी वाले इस गांव में लोगों ने साबित कर दिया है कि कोरोना से बचना है तो सावधानी सर्तकर्ता बेहद जरूरी है। उसी का परिणाम है कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है

ग्रामीणों ने पूरे गांव की कर दी थी घेराबंदी

जब कोरोना संक्रमण अपना रौद्र रूप दिखा रहा था और देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। तब यहां के लोगों ने अपने गांव में अलग से लॉकडाउन लगाया था। गांव के मुख्य सड़क को बांस-बल्ले से घेराबंदी कर बाहरी लोगों की आवागमन पर रोक लगा दी थी, ताकि कोई भी व्यक्ति इस गांव में प्रवेश न कर सके और कोरोना संक्रमण से पूरा गांव सुरक्षित रह सके। लोगों की मेहनत, जारूकता एवं एकजुटता ने इस गांव को अब संक्रमण से दूर रखा है। लोगों का कहना है कि आगे भी कोरोना से बचाव के लिए जारी नियमों का पालन करते रहेंगे।

किसी ने घर तो किसी ने मठिया में क्वारन्टीन अवधि की पूरी

जब लॉकडाउन हुआ तो हर किसी की मंजिल थी कि किसी तरह अपने घर पहुंचे। किसी तरह मजदूर पैदल चलकर अपने घर भी पहुंचे लेकिन कोरोना के डर से पास होकर भी अपने परिवार के लोगों से दूर रहना ही मुनासिब समझा। बाहर से आने वाले व्यक्तियों में किसी ने खेत में मचान बनाकर, तो किसी ने गांव के बाहर मठिया में रहकर क्वारेंटाइन अवधि को पूरा किया। इस गांव में आने वाले हर किसी ने नियमों का पालन किया। जिनके घर में होम क्वारेंटाइन की सुविधा थी, वे लोग भी सख्ती से नियमों का पालन किये और पूरा गांव को सुरक्षित रखने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया।


मीरपुर जुआरा निवासी बबलू कुमार उपाध्याय कहते हैं 'जब देश में लॉकडाउन लागू हुआ तो मेरा काम भी बंद हो गया। फिर मैं दिल्ली से किसी तरह अपने गांव आया। गांव आने के बाद मैंने नियमों का पालन करते हुए 21 दिनों तक होम क्वारेंटाइन की अवधि को पूरा किया। अब में घर पर खेती-बारी का काम कर रहा हूं।'


मीरपुर जुआरा के पूर्व उपमुखिया उमाशंकर राय ने कहा 'कोरोना की लड़ाई में पूरा देश एक जुट है ऐसे में एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं हमेशा लोगों को जागरूक करता रहता हूं। जागरूकता का बेहतर उदाहरण हमारा गांव है। इससे यह साबित होता है कि जागरूकता ही बचाव का बेहतर उपाय है।'


बीएसएफ के सेवानिवृत्त जवान टुनेश्वर सिंह कहते हैं 'कोरोना से बचाव के लिए लगातार सरकार प्रयास किया जा रहा है। हमारे गांव के लोगों ने कोरोना से बचाव के प्रोटोकॉल का शत प्रतिशत पालन किया है।'


स्थानीय शिक्षिका करूणा सिंह ने कहा 'एक शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करें। मैं अपने आस-पास के लोगों को हमेश जागरूक करती हूं और खुद जब भी घर से बाहर जाती हूं तो नियमो का पालन करती हूं।'


मीरपुर जुआरा की गृहणी सरिता देवी कहतीं हैं 'जरूरत न हो तो घर की दहलीज को पार न करें। कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। ऐसे में बिना आवश्यक कार्य के घर की दहलीज को पार न करें। इससे हम खुद व हमारा समाज सुरक्षित रहेगा।'

Next Story

विविध