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कानपुर में 15 हजार की आबादी तरस रही पानी की बूंद-बूंद को, नगर निगम की लापरवाही या मिल रही मुस्लिम बहुलता की सजा
पानी की बूंद-बूंद को मोहताज कानपुर के 15 हजार लोग
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। कानपुर नगर निगम के ठेकेदारों की मनमानी खुदाई के चलते तकरीबन 15 हजार से जादा लोग प्यासे रहने को मजबूर हो रहे हैं। निराला नगर, उस्मानपुर, जूही लाल कालोनी, हरी कालोनी, सफेद कालोनी में रहने वाले लोग इस बरसात के सीजन में भी पानी को तरस रहे हैं।
दरअसल कानपुर दक्षिण के साकेत नगर निगम डंप के सामने ठेकेदार नाली निर्माण कराया गया है। ठेकेदार ने नाली क्षतिग्रस्त कर दी। जिसके बाद मरम्मत कराय़े बगैर ही उपर से ही नाली बनवा दी गई। अब जब लीकेज बड़ा हो गया तो हजारों की संख्या में यहाँ लोगों के घरों में पानी जाना बंद हो गया। जल निगम के जेई राहुल तिवारी का कहना है कि नाली भी एक जगह से लीकेज है। लीकेज को सही करवाने के लिए गड्ढा खुदवाया तब नाली का पानी भर जाने से समस्या हो रही है।
जूही लाल कॉलोनी से लगाकर किदवई नगर तक इन सभी कॉलोनियों में हिंदू और मुस्लिम की आबादी का जो प्रतिशत है, वह 65 और 35 का होगा। यानी 65 प्रतिशत मुस्लिम और 35 प्रतिशत हिंदू परिवार यहां रहते हैं। ऐसे में मुस्लिम बहुल इलाके के लोग कहते हैं कि हम इतनी परेशानी इसलिए झेल रहा हैं, क्योंकि यह इलाका मुस्लिम बहुल है। मुस्लिमों के प्रति योगी सरकार का रवैया दोहरा है।
लगभग 25 मीटर की दूरी पर एक और लीकेज है। अब नाली का पानी रोककर वॉटर लाईन ठीक की जाएगी। नगर निगम को नाला तोड़ने के लिए सूचना दी थी, लेकिन विभाग ने हाथ खड़े कर लिए। जेई का कहना है इस काम को करने में 5 दिन लगेंगे। इसके बाद ही पानी की सप्लाई ठीक हो पाएगी।
पानी की किल्लत से आजिज आ चुके यहाँ के निवासियों ने कई बार सम्बंधित विभागों को मौखिक सहित लिखित शिकायत भी दी लेकिन जिम्मेदारों पर कोई भी असर नहीं होता दिख रहा है।
हरी कालोनी निवासी 68 वर्षीय कमलादेवी कहती हैं, यहाँ हफ्ते भर से पानी नहीं आ रहा है। भूले से कभी आ भी जाता है तो इतना गंदा आ रहा है कि कपड़े तक धोने में बदबू आती है। यहीं के निवासी रोहित कहते हैं कि 15 हजार की आबादी के बीच आज 6 दिनों से पानी नहीं आ रहा है। कोई भी विभाग का आदमी इसपर ध्यान नहीं दे रहा है। हम लोग इनसे अब पूरी तरह से तंग हो चुके हैं।
लाल कालोनी निवासी हसमत कहते हैं कि हम लोगों ने चक्कर पर चक्कर मारे, लेकिन सब अफीम सी चाटे पड़े रहते हैं। हम लोग कोई मशीन तो हैं नहीं आदमी हैं अब कितने चक्कर मारे जो इन्हें होश आए। गंदगी देखिए आप कितनी गंदगी है, कहीं कुत्ता मरा पड़ा बदबू कर रहा है। शिकायत करने जाओ तो तो अधिकारी कानो में रूई लगाए बैठे रहते हैं, सुनता ही नहीं है कोई। एक टंकी बनी हुई है जिसके सहारे हम लोग ये कहिए जिंदा हैं। यहाँ लोग एक-एक किलोमीटर दूर से पानी भरने आते हैं।
पीली कालोनी निवासी आकिब जावेद कहते हैं, यहाँ समस्याएं इतनी हैं कि पूछिए मत। गंदगी, पानी एक समस्या हो तो गिनाई जाए, समस्याओं का अंबार है यहाँ। हमारे मुहल्ले में पानी की लाईन नगर निगम वाले डाल कर गए थे वह ठीक से काम नहीं कर रही है। कई बार कम्प्लेंट भी की मेरे पास कम्प्लेन नम्बर भी है। किसी भी अधिकारी के पास जाओ तो वो सुनते ही नहीं हैं। न ही किसी अधिकारी ने आज तक कोई निरीक्षण किया। नगर निगम में शिकायत करो तो कहते हैं हो जाएगा। निगम पार्षद झांकने तक नहीं आता। कोई सफाई कर्मचारी ठीक से काम नहीं करता। आनलाईन शिकायत करो तो कहते हैं हमारे यहां लिखित में शिकायत करो। तो जब लिखित में देना है फिर ऑनलाईन का क्या मतलब है। सरकार कहती है की अच्छे दिन आ रहे हैं। कहाँ से और कैसे अच्छे दिन आएंगे। मुझे तो नहीं लगता कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो दुबारा इस सरकार को कोई वोट भी देगा।
वहीं रोशन आरा कहती हैं कि कई दिन से पानी नहीं आ रहा है। कभी सभासद नहीं आते। सभासद का पूछने पर पता चला कोई बिल्लू सभासद है ये दुबारा सभासद बने हैं, लेकिन वोट लेकर गायब हो गए। एक अन्य महिला कहती है कि विधायक महेश त्रिवेदी से शिकायत करने पर वो सुनते ही नहीं हैं। कहते हैं स्टॉफ ही नहीं है। महिला का कहना है कि स्टॉफ की कमी भी बताई जाने लगी। इतने कर्मचारी हैं जिनको बुलाकर लाने पर भी हमारी समस्याओं का निजात नहीं हो पा रहा है।
सफेद कालोनी निवासी शमसाद का कहना है कि यहां गंदगी का तो पुराना रोना है, अब पानी भी रूला रहा है। कोई भी अघिकारी अफसर ध्यान नहीं दे रहा है। ध्यान देना तो दूर सुनने तक को राजी नहीं है। बदबूदार पानी आता है जब-कब वो भला किस काम का है। मोदी जी कह रहे सब लोग देशी कुत्ता पाल लो, पहले ही इतने देशी कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं उन्हें ही खाने को नहीं मिल रहा है। यहाँ तो आदमी मरा जा रहा है कुत्ता पाल के खिलाएंगे क्या।