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Janjwar Ground Report: गांजा-अफीम की तस्करी में फंसाने का डर दिखाकर पुलिस ने उजाड़ा गरीब छात्रों का जैन छात्रावास
Janjwar Ground Report: गांजा-अफीम की तस्करी में फंसाने का डर दिखाकर पुलिस ने उजाड़ा गरीब छात्रों का जैन छात्रावास
वाराणसी से उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट
Janjwar Ground Report: इलाहबाद विविश्विद्यलय में 300 गुणा से अधिक की फीस वृद्धि के बाद हजारों छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है, और पूर्वांचल की छात्र राजनीति में उबाल और आक्रोश है। वहीं, बनारस में छात्र आंदोलन के विरोध के स्वर फूटने से पहले ही पहले ही भूमाफिया के गठजोड़ कर पुलिस ने जैन छात्रावास को निशाने पर ले लिया। बनारस का एकमात्र निशुल्क बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पास नरिया इलाके में स्थित जैन छात्रावास भी अब भूमाफिया की भेंट चढ़ गया है। 23 सितंबर, शुक्रवार को करीब शाम लगभग 6 : 30 बजे 15 -20 की संख्या में अज्ञात पुलिसकर्मी छात्रावास पर चढ़ाई कर छात्रों को भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए कमरों में घुसकर छात्रों को मारने-पीटने करने लगते हैं। छात्रों के मोबाइल फोन छीन लेते हैं।
इतना ही नहीं बीएचयू में बीए, एमए, बीपीएड, पीएचडी और प्रतियोगी छात्रों के साथ पुलिस द्वारा अपराधियों जैसा सुलूक किये जाने से छात्र डर-सहम गए। घटना के दौरान छात्रों में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस की बर्बरता यहीं नहीं रूकी, पुलिस ने छात्र विनय, बृजेश, मनु और सुरेश समेत कई छात्रों को थाने में ले जाकर गैर-कानूनी तरीके से बंद कर दिया। साथी ही हॉस्टल नहीं खाली करने पर गांजा, अफीम, असलहा और अन्य आपराधिक मुकदमों में फंसाने की धमकी देने लगी। पुलिसया डर की वजह से सभी छात्र पलायन करने लगे हैं। लिहाजा, पहले ही ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे इन छात्रों को पढ़ाई और परीक्षा अधर में ही छूटने की आशंका है।
नरिया स्थित जैन छात्रावास में कुल 26 कमरे हैं। ये कमरे काफी पुराने और काम-चलाऊ हालत में हैं। आसपास 10-12 पेड़ों का छोटा सा बगीचा है। पास में ही कुआं है, जहां छात्र स्थान और कपड़ें आदि साफ़ करते हैं। छात्र भोजन स्वयं बनाते हैं. ज्यादातर समय छात्र अध्ययन में जुटे रहते हैं। शौचालय और यूरिनल की स्थिति को बेहतर नहीं कहा जा सकता है। घटना के तुरंत बाद शनिवार को दिन में 12 बजे "जनज्वार" की टीम छात्रावास में हालात जानने पहुंचती है।
डरे-सहमे छात्र शनिवार को अपने-अपने कमरों में से किताब, चौकी, बेड-बिस्तरा, बर्तन व अन्य सामान समेट कर किराये के कमरे और दोस्तों के कमरे पहुंचाने में व्यस्त रहे। राजीव सिंह कहते हैं कि चुकी इनके पास उतने भी पैसे नहीं है कि तत्काल नए फ़्लैट या कमरे किराये पर ले सके। गरीबी-ग़ुरबत में जैसे-तैसे चल रही पढ़ाई अब मुश्किल में आ गई है। कई छात्रों की यह डर सता रहा है कि जब पैसे और शहर में रहने के ठिकाने ही नहीं होंगे तो पढ़ाई बीच में छोड़कर घर तो लौटना ही होगा। गौर करने वाली बात यह है कि समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है, और कोई बोलने को तैयार नहीं है। यह बहुत शोचनीय स्थिति है।
जानकारी जुटाने पर मालूम हुआ कि जैन छात्रावास का अपना इतिहास रहा है। बीएचयू में फीस वृद्धि, बीएचयू प्रशासन की मनमानी का विरोध, हॉस्टल में आरक्षण की मांग, जाति-महजब के मामलों में न्याय की मांग, छात्र आंदोलन और किसान आंदोलन को समर्थन आदि समते सैकड़ों मुद्दों पर इस छात्रावास के तकरीबन 50 से अधिक छात्र अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर आंदोलन को धार देने का काम करते थे। जो स्थानीय बीजेपी नेता, दिगंबर जैन समाज काशी, पुलिस प्रशासन और बीएचयू प्रशासन के लिए आंख की किरकिरी बने हुए थे। सन 1953 में बने छात्रावास में पिछले छह दशकों से 50 से अधिक छात्र रहकर पढ़ाई व परीक्षाओं की तैयारी करते आ रहे हैं। बैगर सूचना और नोटिस के शुक्रवार की रात जैन मंदिर में बने गरीब छात्रों के लिए छात्रावास से छात्रों को पुलिस ने जबरन उठा लिया।
छात्रों का आरोप है कि छात्रावास को खाली कराने के लिए लंका पुलिस और दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी ( शांति प्रसाद द्वारा बनवाए गए छात्रावास का ट्रस्ट अलग है ) से जुड़े लोग अवैध तरीके से उक्त छात्रावास पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं, जबकि शांति प्रसाद द्वारा बनवाए गए छात्रावास के ट्रस्ट ने उक्त छात्रावास को दूर-दराज से बीएचयू में पढ़ने आए गरीब छात्रों को दिया गया था। अब इस छात्रावास की भूमि पर सत्ता से जुड़े लोंगो और भूमाफियाओं की नजर लंबे समय से थी। जो स्थानीय पुलिस की मदद से अवैध तरीके से उक्त छात्रावास को खाली करा रहे हैं। शनिवार की रात में चुपके से एक नोटिस भी चिपका दिया गया है। जिसमें बिना आधार के कानूनी कार्रवाई का डर दिखाया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके साहू शांति प्रसाद जैन द्वारा बनवाए जैन छात्रावास में एक लंबे अरसे से रहकर छात्र पढ़ाई लिखाई व तैयारी करते हैं। उक्त छात्रावास निर्धन छात्रों और असहाय गरीब लोगों के लिए बनाया गया है। छात्रावास पर लगे शिलापट्ट पर छात्रावास के बारे में इस प्रकार उल्लेख किया गया है। 'साहू शांति प्रसाद जैन छात्रावास, सन्मति जैन निकेतन काशी, निर्माण वर्ष 11 अप्रैल सन 1953 अंकित है। संस्कृत में लिखे श्लोक में यह कहा गया है कि यह आर्थिक रूप से कमजोर और दूर-दराज से आये छात्रों के लिए इस छात्रावास की व्यवस्था निशुल्क की गई है। छात्र यह रहकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं, अध्ययन के बाद सम्मान, पद और आर्थिक उन्नति को प्राप्त हो सकते हैं।'
बहरहाल, छात्र विनय ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कुछ संदिग्ध भू- माफिया, दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी व बदमाश किस्म के लोग लंका पुलिस से मिलीभगत करके हम सभी लोगों को गैर कानूनी तरीके से छात्रावास से बेदखल के फिराक में थे। उनके मसूबों के बारे में जानकारी होते ही इस संदर्भ में मंडलायुक्त वाराणसी को पत्र भी दिया है। इसके बाद भी छात्रों द्वारा यह पूछने पर कि आप लोग बिना किसी नोटिस या सूचना के किस आधार पर कमरा खाली कराने की बात कर रहे हैं। बिना इसका कोई उचित कारण बताए छात्रों को देर रात तक लंका थाने पर बैठाए रखा गया। लंका पुलिस छात्रों को एसीपी भेलूपुर के यहां देर रात्रि में उनके कार्यालय में ले गई और गैर कानूनी तरीके से पुलिस हिरासत में रखी रही। जहां हमलोगों को डराया और धमकाया गया। पुलिस गुंडई पर उतारू हो गई है। छात्रावास खाली कराने के लिए जबरिया चौरतफा दबाव बना रही है। घर भी फोन कर भविष्य चौपट करने की धमकी दे रही है।
छात्र हर्ष पटेल ने बताया कि एसीपी भेलूपुर प्रवीण सिंह ने हम सभी छात्रों को जबरन डरा कर हस्ताक्षर करा लिया है। कागज में लिखवाया है कि अगले दिन शनिवार को दोपहर 12 बजे छात्रावास छोड़ दें। इसके साथ ही यह भी धमकी दी गई कि यदि छात्रावास खाली नहीं किया गया तो फर्जी केस में छात्रों को जेल में डाल दिया जाएगा। उक्त छात्रावास 'सन्मति ज्ञान प्रचारिणी जैन समिति' द्वारा गरीब छात्रों के लिए बनाकर दान किया गया है। इसका शिलापट्ट भी छात्रावास पर लगा हुआ। उक्त छात्रावास को बिना किसी कागजी साक्ष्य के छात्रावास के मुख्य ट्रस्टी के परिजनों को सूचित किये बगैर आपसी मिली-भगत व धांधली करके सत्ता सरंक्षित भू- माफिया अवैध तरीके से उक्त छात्रावास पर कब्जा करना चाहते हैं। भूमाफिया और पुलिस की गठजोड़ में पढ़ाई-लिखाई हम छात्रों की चौपट हो रही है।
अपना सामान समेट कर किराए के मकान में जा रहे छात्र रामेन्द्र कुमार ने बताया कि साहू शांति प्रसाद जैन छात्रावास के स्थापनाकर्ता से जुड़ा कोई भी व्यक्ति लंका थाने में पुलिस द्वारा कराई गई उक्त वार्ता में मौजूद नहीं था। न ही छात्रावास सम्बंधित कोई दस्तावेज कथित तौर पर ट्रस्ट से जुड़े लोगों के पास पुलिस को दिया गया है। इसके बावजूद मात्र शिकायत के आधार पर पुलिस द्वारा हमलोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है। हमलोग भी क़ानूनी प्रक्रिया अपना कर उचित जवाब देने की रणनीति बना रहे हैं। पुलिस नागरिक अधिकारों को नहीं मान रही है। हम लोगों को गांजा और अफीम की तस्करी में फंसाने की धमकी रही है। हमलोग तस्कर हैं आप ही बताइये ? सोचिए पीएम मोदी के लोकसभा वाराणसी में यह सब खेल खेला जा रहा है। इलाहबाद विवि की तरह हमलोगों भी टारगेट किया गया है।
वरिष्ठ समाजसेवी व गांधीवादी नेता राजेंद्र चौधरी, छात्रावास पर पुलिसिया जुल्म और मारपीट की तल्ख़ लहजे में विरोध करते हैं। जैन धर्मशाला और दिगंबर जैन समाज काशी मंदिर भी हॉस्टल की सम्पति है। यहां के बच्चे नागरिक कार्यों में सहयोग करते रहे हैं। दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी के लोग छात्रावास के छात्रों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जो वर्तमान समय में पुलिस ने रूख अख्तियार किया है, इस तरह की ज्यादती अंग्रेजों के समय में भी नहीं हुआ है। जैन मंदिर द्वारा छात्रों को लीगल नोटिस नहीं दिया गया है।
राजेंद्र चौधरी आगे कहते हैं कि छात्रावास के ट्रस्टी बनारस में मौजूद नहीं हैं, और जैन समाज के नाम पर गैर क़ानूनी तरीके से काशी जैन समिति करोड़ों की प्रापर्टी को हथियाना चाहती हैं। यहां के छात्र सामाजिक और सरोकारी मुद्दों पर आंदोलित होते हैं। यह प्रशासन को मंजूर नहीं था। देखिये, यहां सभी गरीब, किसान और मजदूर के बच्चे मजबूरी में यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। अब इन्हें भी उजाड़ दिया गया है। नया समाज कैसे बनेगा ? सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि इनके पास न कोई विजन है और न ही छात्र, महिला, किसान हित का ब्लू प्रिंट। यहां छात्र आते हैं और पढ़कर चले जाते हैं। बनारस में इस तरह की छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई निंदनीय है।
लंका के नरिया में स्थित दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी स्थित साहू शांति प्रसाद जैन छात्रावास से छात्रों को हिरासत में लेने के बाबत जब सवाल पूछा गया कि छात्रों को किस आधार पर हिरासत में लिया गया है तो लंका पुलिस ने बताया कि दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी से जुड़े कुछ लोगों के शिकायत पर उन्हें हिरासत में लिया गया है। लोगों से वार्ता करने के बाद छोड़ दिया गया है। दिगंबर जैन मंदिर-समाज काशी के भेलूपुर जैन धर्मशाला के मैनेजर यादव ने बताया कि पहले छात्रावास को बीएचयू संचालित करता था। फिर छोड़ दिया। इसके बाद से जैसे-तैसे चलता आ रहा है। अब इसे दोबारा कैंसर के मरीजों और छात्रों के लिए ने सिरे से आवंटित किया जाएगा। छात्रावास से जुड़े दस्तावेज जानकारी और प्रतिलिपि मांगने पर मैनेजर यादव बगले झांकने लगे, संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। छात्रावास पर अधिकार और कानूनी दस्तावेजों की प्रतिलिपि भी उपलब्ध नहीं करा पाए।
पुलिस कमिश्नर को पत्र
समाजवादी जन परिषद के विनीत और अफलातून ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर छात्रावास बचाने की मांग की है। पत्र के मुताबिक टाइम्स ग्रुप के अध्यक्ष रहे स्व. शांतिप्रसाद जैन के सहयोग से 'सन्मति जैन निकेतन काशी' के लिए गरीब छात्रों के लिए इस छात्रावास की स्थापना 1953 में हुई थी। तब से अब तक यह भवन छात्रावास रहा है। इसका संचालन' सन्मति ज्ञानप्रचारिणी जैन समिति काशी' करती है। छात्रावास निर्माण का उद्देश्य तथा उद्घाटन की सूचना छात्रावास भवन में लगे संगमरमर के शिलालेख पर अंकित है। इस परिसर में तीन प्रतिष्ठान हैं -एक छात्रावास, एक मंदिर तथा ग्रंथालय। इनमें सबसे पुराना छात्रावास ही है। 'दिगंबर जैन समाज वाराणसी' द्वारा पुलिस की मदद से कब्जा लेने की जो नोटिस लगाई गई है वह पूरी तरह से अवैध और गैर कानूनी है। सन्मति ज्ञानप्रचारिणी जैन समिति द्वारा छात्रावास को हस्तांतरित करने तथा छात्रावास को धर्मशाला बनाने का विधिक प्रमाण है ही नहीं। आपके मातहतों द्वारा 'दिगंबर जैन समाज वाराणसी' के गैर कानूनी हित में सहयोग दिया गया है। सिविल मामलों में पुलिस का इस प्रकार का हस्तक्षेप अवैध, अनुचित और अनैतिक होता है, यह मुझे एक उच्च पदस्थ भारतीय पुलिस सेवा पदाधिकारी ने बताया था। आप से सविनय निवेदन कि नोट में दिए गए तथ्यों की जांच करवा कर न्याय करें।