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जनज्वार विशेष

Kaun Tha Veerappan: कौन था वीरप्पन, जिसका फिल्म 'पुष्पा' से जोड़ा जा रहा नाम, सुपरस्टार रजनीकांत के लिए भी रची थी साजिश

Janjwar Desk
1 Feb 2022 10:20 AM IST
Verappan
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(कौन है वीरप्पन जिसकी जिंदगी से मिलती है पुष्पा की कहानी)

Veerappan: इस अपहरण की फिरौती में वीरप्पन (Veerappan) ने 50 करोड़ की रकम मांगी थी। कहा जाता है कि इस अपहरण के बाद राज्य का हर कैमरा व कलम वीरप्पन की तरफ घूम गया था...

Kaun Tha Veerappan: सिनेमाघरों में गदर मचा रही सुपरस्टार अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) की फिल्म 'पुष्पा' (Pushpa)चर्चा में हैं। फिल्म की कहानी की बात करें तो यह जंगल और जंगल के रास्तों से होने वाली तस्करी के आसपास घूमती दिखाई देती है। जिन्हें देखकर लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि अल्लू अर्जुन पुष्पा में खूंखार डकैत वीरप्पन (Veerappan) का किरदार निभाते दिख रहे हैं। वीरप्पन का नाम एक जमाने में खूब छपता था और लोग उससे खौफ खाते थे।

कहा जाता है कि वीरप्पन (Veerappan) को मशहूर होने का बड़ा शौक था। वह चाहता था कि उस दौर के अखबार और टीवी चैनल रात-दिन उसके ही चर्चे छापें व चलाएं। जिसके लिए उसने साऊथ के सबसे बड़े सुपरस्टार रजनीकांत (Superstar Rajnikant) तक को किडनैप करने की साजिश रच डाली थी। वीरप्पन अपने दौर में हाथी का अवैध शिकार, जंगल के माध्यम से चंदन की तस्करी जैसे बिजनेस में लिप्त था। इसके साथ-साथ वीरप्पन का नाम अपहरण, चोरी और डकैती जैसे कांडों में भी खूब सुर्खियों में रहा।

अल्लू अर्जुन के किरदार को पुष्पा में देखकर लोग यही मान रहे है कि अल्लू अर्जुन ने इसमें जो किरदार निभाया है, वो कहीं ना कहीं वीरप्पन (Veerappan) की जिंदगी से ही प्रेरित है। हालांकि मेकर्स ने अभी तक इस बात का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। तो चलिए हम आपको बताते हैं, कुख्यात वीरप्पन के बारे में कुछ सच्चे तथ्य....

कौन था वीरप्पन | Kaun Tha Veerappan In Hindi

कूज मुनिस्वामी वीरप्पन साधारणत (Veerappan) वीरप्पन के नाम से ही जाना जाता था। वीरप्पन एक कुख्यात डाकू था। तक़रीबन 30 वर्षो तक वो कर्नाटक, केरला और तमिलनाडु के जंगलो में रहा था। वीरप्पन ने अपने अपराधो की शुरुवात अपने रिश्तेदार सेवी गौंदर का असिस्टेंट बनकर की, जो चन्दन की लकड़ी के कुख्यात तस्कर था। वीरप्पन ने 1970 से अपने अपराधिक जीवन की शुरुवात की और 1972 में पहली बार उसे गिरफ्तार किया गया था।

बाद में वीरप्पन ने भी चन्दन की लकडियो और हाथी के दातों की तस्करी शुरू कर दी, बाद में उन लोगो को भी मारने लगा, जो उसके अपराधिक कामों के बीच में आता था। उसने 17 साल की उम्र में ही पहला मर्डर किया था। खास बात यह होती थी कि उसके द्वारा शिकार किया गया इंसान या तो पुलिस ऑफिसर होता, फारेस्ट ऑफिसर या की खूफिया जानकार ही होता था।

1987 में वीरप्पन ने एक फॉरेस्ट ऑफिसर चिंदम्बरम, तमिलनाडु को किडनैप कर उनका मर्डर भी कर दिया था। तब उसकी इस हरकत पर भारत सरकार तक की नज़र घूमी थी। उसके द्वारा मारे गये लोगो में वरिष्ट आईएफएस अधिकारी पन्दील्लापल्ली श्रीनिवास भी शामिल है, जिनको उसने नवम्बर 1991 में मारा था। इसके बाद वीरप्पन ने अगस्त 1992 में सीनियर IPS अधिकारी हरिकृष्णा पर भी हमला किया था।

वीरप्पन अपने स्थानिक गांव के लोगो का भी मर्डर करता था। एक बार वीरप्पन ने अपने पास वाले गांव के ही एक इंसान का मर्डर किया था। साधारणतः जिस भी इंसान पर उसे शक होता वो उसे मौत के घाट उतार देता था। और पुलिस की अनदेखी से वो आसानी से मर्डर करने के बाद फरार होने में सफल हो जाया करता था।

वीरप्पन का परिवार : Family OF Veerappan

वीरप्पन का विवाह मुथुलक्ष्मी से हुआ था और कहा जाता है की जन्म के बाद ही उनके एक बच्चे को दबा दिया गया था क्योकि वह उनकी लगातार तीसरी होने वाली बेटी थी। उनकी पत्नी को वीरप्पन की कुख्याति और मुछ काफी पसंद थी और इसीलिये उन्होंने वीरप्पन से शादी भी की थी। 2004 से उनकी दो बेटियाँ तमिलनाडु में पढाई कर रही थी।

वीरप्पन की डेथ : Death OF Veerappan

18 अक्टूबर 2004 को वीरप्पन और उसके दो साथियो को तमिलनाडु स्पेशल टास्क फाॅर्स (STF) के विजय कुमार के नेतृत्व में मार गिराया गया था। वीरप्पन को तमिलनाडु के धरमपुरी जिले के पप्परपत्ति गांव के पास मारा गया था। मारने के बाद उन्हें और उनके साथियों को एम्बुलेंस में लादकर मेडिकल जांच के लिये भी ले जाया गया था।

तमिलनाडू स्पेशल टास्क फाॅर्स महीनों से उनके कामो पर निगरानी कर रही थी। इस पूरे ऑपरेशन को 'ऑपरेशन कोकून' का नाम दिया गया था। और वीरप्पन के सहकर्मी सेठुकुली गोविंदन, चन्द्रे गोवदर और सेठुमानी भी इसी ऑपरेशन में मारे गये थे। ग्रामीणों ने उनकी मौत की 'राक्षस-शैतान की मौत' बताया। उनके मौत की खबर सुनते ही गोपीनाथम के ग्रामवासियों ने उत्सव मनाया और सभी बड़े खुश हुए। वीरप्पन की मौत के बाद से ही वह गांव कर्नाटक स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ़ फारेस्ट एंड टूरिज्म ने अपने अधीन ले लिया था।

बताया जाता है कि वीरप्पन को तमिलनाडु के मूलाकादू ग्राम में दफनाया गया था, उस समय उनके परिवार के कुछ सदस्य भी वहां मौजूद थे। पुलिस से दाह संस्कार करने का भी निर्णय लिया था लेकिन उनके परिवार ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। बताया तो यहां तक जाता है कि वीरप्पन की मौत की खबर सुनकर हजारों लोग देखने आए थे। जबकि कइयों को तो पुलिस सुरक्षा के चलते अन्दर ही नहीं जाने दिया गया था।

वीरप्पन द्वारा किए गये कारनामें

-1962 : वीरप्पन ने पहला अपराध किया। जब उन्होंने गुरुसेवी गौंदर गोपीनाथम की सहायता से एक तस्कर पर गोली दागी थी तब उनकी उम्र महज 10 साल की थी।

-1970 : शिकारी चोरों के समूह में शामिल हो गया। 27 अगस्त 1983 कर्णाटक के कोडगु के पोन्नामपेट के मुवाकल केकेएम् पृथ्वी की हत्या कर दी। जब गार्ड ने शिकारियों से हाथी को बचाने की कोशिश की तो वीरप्पन ने गार्ड की हत्या कर दी।

-1986 : वीरप्पन को बूदीपदा फॉरेस्ट गेस्ट हॉउस में अरेस्ट किये गया लेकिन बाद में वो फरार होने में सफल रहा।

-26 अगस्त 1986 : कर्नाटक के गुण्डलुपेट के अलेगौड़ाना कट्टे के फॉरेस्ट वॉचर सिद्दरमैया नाईक की हत्या कर दी।

-1987 : तमिलनाडु के फॉरेस्ट अधिकारी चिदंबरम को किडनैप कर लिया था। और दुश्मन समूह के 5 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया।

-1989 : बेगूर के जंगल से फॉरेस्ट अधिकारियो का अपहरण करने के 15 दिनों बाद उनकी हत्या करवा दी।

-9 अप्रैल 1990 : तीन पुलिस एसआई दिनेश जगन्नाथ, रामलिंगु और पुलिस कॉन्स्टेबल शंकर राव की होगेनकल के निकट हत्या कर दी। उस समय कर्णाटक और तमिलनाडु सरकार ने वीरप्पन को पकड़ने के लिये स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का गठन किया। वीरप्पन ने अपनी बहन माला की आत्महत्या का बदला लेने के लिये डिप्टी फॉरेस्ट संरक्षक श्रीनिवास का सिर काट दिया था। इस घटना के गवाह को तीन साल बाद पकड़ा गया था।

-1991 : ग्रेनाइट खदान मालिक के बेटे का अपहरण कर लिया था और 10 लाख रुपयों की मांग की थी, और अंत में 1.5 लाख में ही उसे छोड़ना पड़ा था।

-1992 : रामपुर पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और पाँच पुलिस वालो की हत्या कर दी, दो को घायल किया और हथियार लूट लिए। जवाब में स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने उसके समूह के दो सदस्यों को मार डाला।

-14 अगस्त 1992 : मैसूर जिले के एसपी, टी.हरिकृष्ण, एसआई शकील अहमद और चार कॉन्स्टेबल बेनेगोण्डा, सी.एम्.कलप्पा, सुन्दरा और एम्पी अप्पाचु को घेरकर हत्या कर दी।

-1993 अप्रैल : जिस बस में तमिलनाडु पुलिस जा रही थी उसी बस का अपहरण कर लिया और 22 नागरिकों सहित पुलिसवालों की भी हत्या कर दी। इस हादसे को पलार ब्लास्ट के नाम से जाना जाता है।

-24 मई 1993 : 6 पुलिसवालो की हत्या की, केएम् उथप्पा, प्रभाकर, पूवाई, मचाई, स्वामी और नारासप्प। इसमें पुलिस कमांडर MM हिल्स भी शामिल थे। वे तमिलनाडु सरकार की बॉर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स के अधिकारी भी थे। BSF और STF के जॉइंट ऑपरेशन की बदौलत वीरप्पन के समूह के 9 सदस्यों को पकड़ा गया था और उनमे से 6 मारे गये थे। इस हादसे में 3 पुलिसवाले भी मारे गए थे। इस समय वीरप्पन ने क्षमा याचना मांग ली थी।

-1994 : चिदंबरनाथं को अगवा कर लिया, जो कोयम्बटूर के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस थे और इसके बाद उसने 2 और लोगों को भी अगवा कर लिया था।

-1995 : नवंबर महीने में तमिलनाडु के तीन फॉरेस्ट अधिकारियो को किडनैप कर लिया।

-1996 : पुलिस के मुखबिर की हत्या कर दी। इसके बाद 19 पुलिसवालों को मार डाला।

-1997 : वीरप्पन के समूह ने 9 कर्नाटक फॉरेस्ट अधिकारियों को किडनैप कर गले में रस्सी बांधकर लटका दिया था। थोड़ी ही देर में सभी की मौत हो गई।

-1998 : प्रो. कृष्णासैमी, एएस मणि, पयूंपुलि और फोटोग्राफर रिचर्ड मोहन को किडनैप कर लिया। लेकिन बाद में तीनों को स्पेशल टास्क फ़ोर्स को सौंप दिया था।

-2000 : साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत के अपहरण की योजना बनाई। जिसमें फेल होने के बाद कन्नड़ फ़िल्म अभिनेता डॉ. राजकुमार को किडनैप कर लिया था। और फिरौती की मांग पर 108 दिन बाद छोड़ दिया था। इस अपहरण की फिरौती में वीरप्पन ने 50 करोड़ की रकम मांगी थी। कहा जाता है कि इस अपहरण के बाद राज्य का हर कैमरा व कलम वीरप्पन की तरफ घूम गया था।

-2002 : कर्नाटक के मिनिस्टर एच नागप्पा को किडनैप कर उनकी हत्या कर दी थी। लेकिन एक स्पेशल रिपोर्ट के अनुसार मिनिस्टर के शरीर पर जो गोली मिली थी वह तमिलनाडु स्पेशल टास्क फ़ोर्स के राइफल की ही थी। कहा यह भी गया कि, हो सकता है की वीरप्पन के समूह ने उस राइफल की चोरी की हो।

-2004 : एक चेकपोस्ट के नजदीकी गांव में तमिलनाडु स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने वीरप्पन को घेरकर मार गिराया।

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