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Ground Report : बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए रूपाणी सरकार 326% बारिश को भी नहीं मान रही अतिवृष्टि
अतिवृष्टि से कच्छ के किसानों की फसल हो चुकी है 90 फीसदी तक तबाह
कच्छ से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
जनज्वार। पिछले 20-25 दिनों से गुजरात में लगातार भारी बारिश हो रही है। बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर के कारण कच्छ और सौराष्ट्र में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है, जिससे वहां के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
पिछले 3-4 सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो कच्छ जिले में औसत बारिश से 256% ज्यादा बारिश हुई है, बावजूद इसके गुजरात सरकार इसे अतिवृष्टि मानने को तैयार नहीं है। वर्ष 2016 के केंद्र सरकार के ड्राफ्ट के अनुसार अगर 140% से ज्यादा बारिश होती है तो उसे अतिवृष्टि की श्रेणी में रखा जाएगा परंतु गुजरात सरकार द्वारा इस वर्ष नए मापदंड बनाए गए हैं जिसके तहत 48 घंटे में 25 इंच से ज्यादा बारिश होगी तो ही अतिवृष्टि मानी जाएगी, जबकि गुजरात की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पूरे गुजरात में कहीं पर भी 48 घंटे में 25 इंच बारिश नहीं हो सकती।
इस मामले को लेकर कच्छ किसान संघ ने 3 सितंबर को कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को ज्ञापन सौंपकर अपनी कुछ मांगें सरकार समक्ष रखी हैं। इसमें मुख्य मांग है कि कच्छ और सौराष्ट्र को अतिवृष्टि क्षेत्र घोषित किया जाए और किसानों को अति शीघ्र मुआवजा दिया जाए।
दूसरी तरफ सरकार की किसानों के प्रति असंवेदना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 18700 किसानों को पिछले साल का भी मुआवजा नहीं मिल पाया है, जबकि चालू वर्ष में पूरे कच्छ जिले की 80 से 90% फसल बर्बाद हो चुकी है। ऐसे में किसानों की खरीफ की फसल का नुकसान हो चुका है, लेकिन अगर सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं मिला तो रवि की फसल भी किसान नहीं लगा पाएंगे।
किसानों की समस्या को लेकर जनज्वार ने कई किसानों से बात की, तो उन्होंने अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात की। अबडासा के भाचूंडा गांव के किसान हारून भाई बताते हैं, हमने अपने खेतों में दो बार तिलहन की बुवाई की, लेकिन दोनों ही बार ज्यादा बारिश के कारण 90% फसल बर्बाद हो गई। अब उनके पास न तो पैसे बचे हैं और ना ही हो फसल लगाने की स्थिति में हैं।
हारुन भाई जैसे ही हालात कमोवेश भाचुंडा, रवा, बिटियारी, सांधव, बितियारी, लाला, बेर, पैया, खिर्सारा, कोठरा जैसे गांवों के किसानों की भी है। गुजरात में खासकर कच्छ और सौराष्ट्र में इस बार बहुत ज्यादा बारिश हुई है। कच्छ के मांडवी तहसील में रिकॉर्ड 366% बारिश दर्ज की गई है, बावजूद इसके सरकार की तरफ से वहां के किसानों को कोई सहायता और मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
किसानों से फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम तो सरकार जरूर वसूल लेती है, मगर जब मुआवजा देने की बारी आती है तो भोले-भाले किसानों को कई तरह से गुमराह करके मुआवजा देने से पल्ला झाड़ दिया जाता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें किसानों के लिए तो कई कायदे कानून हैं वही कायदे कानून बीमा कंपनियों पर भी लागू होने चाहिए, परंतु सिर्फ किसानों को ही कायदा लागू करने के लिए बाध्य किया जाता है।
इस बारे में किसान हरीश भाई आहिर बताते हैं कि पूरे कच्छ जिले में 80 से 90% फसल बर्बाद हो चुकी है। पिछले वर्ष सरकार ने 45 लाख मीट्रिक टन मूंगफली के उत्पादन होने की संभावना जताई थी, लेकिन 29 लाख मीट्रिक टन ही उत्पादन हो पाया था। इस वर्ष पिछले वर्ष से भी ज्यादा खराब हालात हैं, फिर भी सरकार ने 54 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना जताई है, लेकिन हरीश भाई के अनुसार सिर्फ 20 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन की संभावना है।
हरीश भाई कहते हैं कई किसानों के 30 से 40 फीसदी कपास के पौधे जीवित हैं, जिनमें से सिर्फ 30 फीसदी ही उत्पादन आने वाले 6 माह में हो सकता है। अतिवृष्टि से कच्छ जिले में मूंगफली-कपास जैसी फसलों को बहुत ही ज्यादा नुकसान हुआ है।
गुजरात के सौराष्ट्र जिले की बात करें तो यहां देवभूमि द्वारका में 323% बारिश रिकॉर्ड की गई है। कच्छ और सौराष्ट्र के किसान गुजरात सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि सरकार की तरफ से किसानों को भी मिलने वाले फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे की रकम दी जाए और 0 फीसदी ब्याज की दर से किसानों को फसल के लिए लोन उपलब्ध कराया जाए, तभी कच्छ और सौराष्ट्र के किसानों को थोड़ी बहुत राहत मिलने की उम्मीद है।
वर्ष 2016 के केंद्र सरकार के ड्राफ्ट के अनुसार विस्तरण समय और औसत बारिश के अनुसार किसानों को अपनी फसल का मुआवजा और अतिवृष्टि घोषित होती है, लेकिन इस वर्ष गुजरात सरकार ने नए नियम लागू किए, जिसके तहत पूरे गुजरात में कहीं पर भी अतिवृष्टि नहीं हो सकती।
किसानों के अनुसार रूपाणी सरकार का यह कदम सिर्फ बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने के लिए है। गुजरात सरकार किसानों से यह गए वादे नहीं निभा रही है। किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि गुजरात सरकार तत्काल प्रभाव से किसानों को मुआवजा वितरित करे, ताकि कोरोना में पहले ही तबाह हो चुके किसानों को थोड़ी राहत मिले।