आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा जमीन-मकान कब्जाये जाने के सदमे में 10 किसानों की मौत, पैदा होगा भयंकर कृषि संकट
Protest Against Azamgarh Airport : खिरिया बाग में संघर्षरत किसानों-मजदूरों ने धरने के 62वें दिन संसदीय कार्यमंत्री को भेजा आंदोलनकारियों का पक्ष। आंदोलनकारियों ने कहा कि अधिग्रहण कानून के खिलाफ जाकर जिस तरह आज़मगढ़ प्रशासन ने झूठा सर्वे किया उसे रदद् किया जाए और सरकार घोषित करे कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का मास्टरप्लान वापस ले रही है। पिछले दो महीने में जमीन-मकान जाने के सदमे से अब तक 10 किसानों की हार्ट अटैक से मृत्यु हो चुकी है।
किसानों-मजदूरों ने कहा कि 6 दिसंबर 2022 को विधानसभा की कार्रवाई से हमें ज्ञात हुआ कि आज़मगढ़ में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के सवाल को आज़मगढ़ के विधायकों ने उठाया कि किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान से उन्हें बेदखल नहीं किया जाए। संसदीय कार्यमंत्री ने इस संदर्भ में जिलाधिकारी आज़मगढ़ से रिपोर्ट मांगी ऐसे में आंदोलनकारियों ने अपना पक्ष रखा है कि अब तक शासन-प्रशासन ने कोई ठोस-निर्णायक वार्ता नहीं की।
किसानों-मजदूरों ने संसदीय कार्यमंत्री से कहा कि विधानसभा की कार्रवाई में आपने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने हवाई पट्टी बनाई उनका भी सपना इसको विस्तार देना, बड़ा हवाई अड्डा बनाने का रहा होगा, जिसको आपकी सरकार आगे ले जा रही है। किसी के सपने के लिए हम किसानों-मजदूरों को उनके घरों-जमीनों से क्यों बेदखल किया जा रहा है। किसानों-मजदूरों को उजाड़ना कैसे कोई बड़ा हित हो सकता।
आज़मगढ़ के लोगों ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की मांग नहीं की, हमारे यहां से कुछ घंटों की दूरी पर कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, इलाहाबाद और लखनऊ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे हैं। जहां तक विकास का सवाल है तो हवाईअड्डे से अगर विकास होता तो आज़मगढ़ में हवाई अड्डा बना पड़ा है, लेकिन आज तक कोई विमान नहीं उड़ा। न ही इससे कोई रोजगार सृजित हुआ है और न ही क्षेत्र का कोई विकास हुआ है। आपने मुआवजे की बात कही, पर हम आपसे कहना चाहते हैं कि प्रभावित गांवों में बड़ी आबादी के भूमिहीन गरीबों की है, जिनके पास टूटे-फूटे मकान के अलावा कुछ भी नहीं है जो विस्थापन का दंश नहीं झेल सकते। यहां की बहुफसली-अतिउपजाऊ भूमि को अधिग्रहित करने से भयानक कृषि संकट खड़ा हो जाएगा। कृषि आधारित रोजगार खत्म होने से मेहनतकश लोगों के सामने जीविका का संकट खड़ा हो जाएगा। हमारी जमीनों को लेकर पीपीपी मॉडल के नाम पर पूजीपतियों को देने की नीति के हम खिलाफ हैं।
भेजे गए पत्र में कहा गया कि 12-13 अक्टूबर की दिन और रात में बिना किसी पूर्व सूचना, ग्रामीणों और ग्रामसभा के प्रतिनिधियों को अवगत कराए बिना एसडीएम सगड़ी, राजस्वकर्मी भारी पुलिस बल के साथ सर्वे का कार्य प्रारंभ कर दिया। ग्रामीणों ने कहा कि जब हम जमीन नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य? तो इस पर महिलाओं-बुजुर्गों को मारा-पीटा गया और उसी रात दुबारा सर्वे करने लगे तो विरोध करने पर ग्रामीणों के ऊपर पुलिसबल का प्रयोग किया गया जिसमें महिलाएं-बुजुर्ग घायल हो गए।
दलित समुदाय की महिलाओं को जातिसूचक गालियां दी गई और उन्हें मारा गया, जिसके बाद ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मुलाकात की तो उन्होंने बातों को अनसुना कर फर्जी मुकदमे में फंसाने और रासुका के तहत कार्रवाई की धमकी दी। 13 अक्टूबर 2022 से गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी के ग्रामीण खिरिया की बाग, जमुआ हरिराम में धरने पर बैठ गए. पिछले 62 दिनों से हम जमीन-मकान नहीं देंगे, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का मास्टर प्लान वापस लेने, आंदोलनकारियों पर से झूठे मुकदमे वापस लेने और 12-13 अक्टूबर के दिन और रात में सर्वे के नाम पर एसडीएम सगड़ी और अन्य राजस्व अधिकारी व भारी पुलिसबल के द्वारा महिलाओं-बुजुर्गों के साथ हुए उत्पीड़न के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए धरने पर बैठे हैं।
धरने पर बैठने के बाद प्रशासन ने धरने को लेकर आपत्ति दर्ज की तो ग्रामीणों ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती हम लोकतांत्रिक ढंग से प्रभावित गांवों के बीच खिरिया की बाग में धरने पर बैठेंगे। प्रशासन का रवैया उदासीन रहा तो ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 3 नवम्बर 2022 को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा. जब हम जिलाधिकारी को ज्ञापन देने गए तो अतिरिक्त उपजिलाधिकारी ने ज्ञापन लिया और हमने उनके सम्मुख अपनी बात रखी।
आंदोलनकारियों का कहना है, प्रशासन से जमुआ हरीराम के पंचायत भवन में 7 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजे वार्ता तय हुई, जिसके बाद वार्ता के लिए आ रहे एसडीएम सगड़ी वार्ता स्थल पर नहीं आए और वार्ता नहीं हो सकी। इस बीच सरकार के खुफिया विभाग के लोग लगातार हमसे संपर्क करते रहे और हम अपने धरने के संबंध में उनको सूचनाएं देते रहे। संविधान दिवस के दिन 26 नवम्बर को राजभवन जाकर अपनी मांगों को राज्यपाल महोदया के सम्मुख रखने का हमने विचार किया।
24 नवम्बर 2022 को शाम साढ़े 4 बजे के तकरीबन सगड़ी एसडीएम और सीओ आए और उन्होंने 43 दिन से धरने पर बैठे लोगों से पूछा कि क्या यहां से लोग लखनऊ जा रहे हैं। आंदोलन के नेतृत्व ने कहा कि हां, हमारा एक प्रतिनिधिमंडल जाएगा। एसडीएम ने कहा कि आपके धरने की बात जा रही है तो यहां से लखनऊ क्यों जा रहे हैं।
आंदोलनकारियों के मुताबिक इतने दिन से हम धरने पर बैठे हैं कोई सुनवाई नहीं तो हम अपनी बात राज्यपाल के सम्मुख रखने जा रहे हैं। सीओ ने कहा कि धारा 144 लागू है, वहीं एसडीएम ने कहा कि जाएंगे तो रोकेंगे तो किसानों-मजदूरों ने कहा कि हमें अपनी बातों को रखने से क्यों रोका जा रहा है। एसडीएम ने आंदोलनकारियों से कहा कि मेरी आपसे रिक्वेस्ट और ऑर्डर है कि लखनऊ नहीं जाएं। इसे आंदोलन के नेतृत्व ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हनन कहा।
25 नवम्बर के दिन और रात में गांवों में बड़े पैमाने पर पुलिस लगा दी गई और राजभवन जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के लोगों के बारे में पूछताछ कर धमकाने लगी। बमुश्किल कुछ ग्रामीण जा सके। पुनः 5 दिसंबर 2022 को राजस्व कर्मी और पुलिसकर्मी एसडीएम सगड़ी का वार्ता का प्रस्ताव यह कह कर लाए की एसडीएम सगड़ी आपके सामने शासन का प्रस्ताव रखेंगे, जिसे धरनारत किसानों-मजदूरों ने स्वीकार किया और 6 दिसंबर 2022 को दोपहर 12 बजे हसनपुर पंचायत भवन में वार्ता तय हुई।
6 दिसंबर को एसडीएम सगड़ी, एसडीएम न्यायिक और पुलिस कर्मियों के साथ वार्ता शुरू हुई. हमने एसडीएम से शासन का प्रस्ताव मांगा, जिस पर उन्होंने कहा कि उनके पास कोई प्रस्ताव नहीं है। एसडीएम सगड़ी ने कहा कि शासन के निर्देश पर वार्ता की जा रही है. हम ग्रामीणों ने वार्ता की, यह अनौपचारिक वार्ता बेनतीजा रही। उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी मसे आपकी वार्ता कराई जाएगी।
7 दिसंबर 2022 को किसानों-मजदूरों ने जिलाधिकारी आज़मगढ़ को पत्र लिखकर ठोस, निर्णायक वार्ता के लिए प्रस्ताव भेजा, साथ ही हमने जानना चाहा कि हमें यह बताया जाए कि शासन के किस निर्देश पर वार्ता की जा रही है, अगर शासन का निर्देश है तो उस निर्देश की प्रति हमें क्यों नहीं दी जा रही है, क्या आपने एसडीएम सगड़ी को वार्ता के लिए निर्देशित किया था, क्या आप धरनारत किसान-मजदूर प्रतिनिधियों से वार्ता करने की इच्छा रखते हैं. 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में भी राजस्व अधिकारी और भारी पुलिस बल बिना किसी पूर्व सूचना, ग्रामीणों से बिना किसी संवाद और बिना सरकारी नोटिस के अचानक गैरकानूनी तरीके से सर्वे और पैमाइश करने लगे थे।
आंदोलनकारी कहते हैं, हम इसलिए यह जानना चाहते हैं क्योंकि पिछले 56 दिनों से चल रहे धरने के प्रति प्रशासन का रवैया उदासीन रहा। किसानों-मजदूरों की मांगों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई दी। हम वार्ता का सम्मान करते हुए समाधान चाहते है। दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि किसानों-मजदूरों से वार्ता के प्रयास अगम्भीर और खानापूर्ति जैसे रहे, हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आंदोलन के महत्व को देखते हुए ठोस और निर्णायक वार्ता का प्रयास किया जाए. पिछले दो महीने से जिला प्रशासन और धरनारत किसानों-मजदूरों में जो संवाद हुआ वह बेनतीजा रहा।