चित्रकूट के 12 बाल और बंधुआ मजदूरों को भीलवाड़ा के भट्ठा से कराया मुक्त, पीड़ितों ने लगाये गंभीर आरोप
चित्रकूट के 12 बाल और बंधुआ मजदूरों को भीलवाड़ा के भट्ठा से कराया मुक्त, पीड़ितों ने लगाये गंभीर आरोप
चित्रकूट के 12 बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील थित ग्राम बैरन के विष्णु भठ्ठा से मुक्त कराया गया है। इन बंधुआ मजदूरों को असंगठित मजदूर मोर्चा के सहयोग से मुक्त कराया गया है।
गौरतलब है कि मजदूरों के लिए काम करने वाले संगठन असंगठित मज़दूर मोर्चा को जब यह पता चला कि बैरन गांव में 12 बाल एवं बंधुआ मजदूर बहुत खराब स्थितियों में काम कर रहे हैं तो सही जानकारी के लिए एक्शन एड के साथ मिलकर मजदूरों के परिवार के माध्यम से मज़दूरों से संपर्क किया गया।
राजकुमार पुत्र मंगल रैदास नामक मजदूर ने बताया कि उन सभी लोगों को जमादार/ठेकेदार धर्मा निवासी- गांव कल्ला, कमासीन, बबेरू, जिला- बांदा, उत्तर प्रदेश ने लालच देकर और एडवांस राशि देकर काम करने के लिए 05 अक्टूबर, 2022 माह में चित्रकूट से लेकर भीलवाड़ा, राजस्थान गया था और बोला था कि कार्यस्थल पर सभी बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। 07 अक्टूबर, 2022 को जब मजदूर कार्यस्थल, भीलवाड़ा, राजस्थान पहुँचे, तो वहां किसी भी तरह की मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। जब मजदूरों ने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकाया गया और चेतावनी दी गयी कि जब तक कोई दूसरा मजदूर नहीं आता तब तक एक भी मजदूर को नहीं जाना है।
मजदूरों ने बताया कि कार्यस्थल पर बच्चों से भी कार्य कराया जा रहा था। इसके अलावा सभी मजदूरों से जबरन कार्य कराया जाता था। कार्य स्थल पर मजदूरों की निगरानी के लिए नियोक्ता द्वारा मुंशी रखा हुआ था। पीड़ित मजदूर बताते हैं, आये दिन मालिक और जमादार गाली-गलौज करते हैं और मारने पीटने की धमकी देते हैं, जिसके कारण मजदूर बहुत भयभीत हैं एवं डरे हुए थे।
09 फरवरी 2023 को बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने के लिए असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार ने जिला उपायुक्त/कलेक्टर, जिला- भीलवाड़ा, राजस्थान, पुलिस अधीक्षक, जिला- भीलवाड़ा, राजस्थान, श्रम आयुक्त, जयपुर, राजस्थान, मुख्य सचिव, जयपुर, राजस्थान, जिलाधिकारी, जिला- चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, श्रम आयुक्त, कानपुर, उत्तर प्रदेश, मुख्य सचिव, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष, राज्य मानव अधिकार आयोग, लखनऊ, (यूपी), अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को बंधुआ मज़दूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 तथा इन्टरस्टेट माईग्रेन्ट वक्र्समैन एक्ट, 1979, अनुसूचित जाति, अत्याचार निरोधक, अधिनियम, 1989 एवं न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 एवं मानव तस्करी के तहत कार्यवाही कर मुक्त कराने हेतु पत्र भेजा गया था।
उक्त संदर्भ में त्वरित कार्यवाही न होने के कारण 13 फरवरी 2023 को फिर से इन अधिकारियों और विभागों को रिमाइंडर पत्र भेजा गया और भीलवाड़ा जिला कलेक्टर/जिलाधिकारी से राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार जी ने बात करते हुए उन्हें अवगत कराया कि बंधुआ मजदूरी की स्थिति में सूचना प्राप्त होते ही 24 घंटे के भीतर सकुशल मुक्त कराना जिलाधिकारी की जिम्मेवारी और जवाबदेही होती है। उसके बाद जिलाधिकारी ने अगले दिन 14 फरवरी 2023 को टीम गठित कर सभी 12 बाल एवं बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया, लेकिन बंधुआ मजदूरी कानून का अभी भी प्रशासन द्वारा ठीक से पालन नहीं किया गया है। मजदूरों को मुक्त कराकर बिना सुरक्षा के उनके घर ट्रेन से भेज दिया गया, जिसके बाद मजदूर 16 फरवरी 2023 को कर्वी, चित्रकूट पहुँचे हैं।
दल सिंगार कहते हैं, हमारे देश में बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी अभी भी बरकरार है। बुंदेलखंड के मजदूरों की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है, लेकिन प्रशासन इन मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। जबकि मजदूरों के पलायन रोकने एवं स्थानीय रोजगार के सृजन हेतु स्थानीय प्रशासन एवं सरकार को कई बार पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका है। फिर भी प्रशासन एवं सरकार इनके पलायन एवं स्थानीय रोजगार के लिए कुछ भी नहीं कर रही है।
साथ ही उन्होंने कहा आज भी लाखों मजदूर, बंधुआ मजदूरी का जीवन यापन करने को मजबूर हैं और सरकारें अपना पीठ थपथपाती है कि देश का विकास हो रहा, देश तरक्की पर है। शर्म आती है कि जिस देश में लाखों मजदूर-बंधुआ मजदूरी जीवन जीने को मजबूर हैं, लाखों बच्चे- बच्चियाँ शिक्षा से दूर हैं, अधिकतर वंचित समुदाय के पास आज भी रहने के लिए खुद की जमीन नहीं, उनके पास रोजगार नहीं हैं फिर सरकार कह रही है देश तरक्की पर है।
उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या सरकार के पास ऐसा कोई डाटा है, जिसमें पता चल सके कि मजदूरों पर अभी कितना कर्ज है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े उद्योग पतियों का कर्ज माफ़ हो सकता है, किसानों का कर्ज माफ़ हो सकता है, लेकिन मजदूरों का कर्ज क्यों नहीं माफ़ होता है? जबकि सरकार चुनने में सबसे ज्यादा भागीदारी असंगठित मजदूरों की होती है। इसके बाद भी मजदूरों के लिए बने हुए कानून की खुलेआम प्रशासन द्वारा धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
एक्शन एड उत्तर प्रदेश के एसोसिएट डायरेक्टर खालिद चौधरी ने कहा कि मुक्त बाल एवं बंधुआ मजदूरों का पुनर्वास न होने कारण आये दिन मजदूरों को विवश में पलायन होना उनकी मजबूरी है। अगर जिम्मेवारी पूर्वक स्थानीय प्रशासन समय पर इनका पुनर्वासन करायेगा एवं बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा से जोड़ेगा तो निश्चय ही बाल एवं बंधुआ मजदूरी रुकेगी।
मोर्चा के जिलाध्यक्ष रामनरेश कुशवाहा ने बताया कि मुक्त बंधुआ मजदूर गांव- बारामाफी, थाना- पहाड़ी, तहसील- कर्वी, जिला- चित्रकूट (उ०प्रo)-210206,के निवासी हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार से है-
1. राजकुमार पुत्र मंगल रैदास, उम्र-42 वर्ष
2. राजकरन पुत्र मंगल प्रसाद, उम्र - 38 वर्ष
3. राम कली पत्नी राजकुमार, उम्र - 40 वर्ष
4. रामकली पत्नी राजकरन, उम्र - 36 वर्ष
5. अमर नाथ पुत्रराज करन, उम्र-20 वर्ष
6. पूजा पुत्री राज कुमार, उम्र - 14 वर्ष
7. शिवानी पुत्री राज कुमार, उम्र - 10 वर्ष
8. अंकित पुत्र राज कुमार, उम्र - 05 वर्ष
9. कामनी पुत्री राज कुमार, उम्र - 03 वर्ष
10. राधा पुत्री राजकरन, उम्र - 09 वर्ष
11. शनि पुत्र राजकरन, उम्र - 07 वर्ष
12. पंकज पुत्र राजकरन, उम्र - 05 वर्ष