असंगठित मजदूर मोर्चा ने प्रतापगढ़ से बाँदा के 10 दलित बाल-बंधुआ मजदूरों को कराया मुक्त
(प्रतापगढ़ से मुक्त कराए गये बांदा के बंधुआ मजदूर)
Pratapgarh News: उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा (Banda) निवासी अनुसूचित जाति के 2 परिवारों से ताल्लुक रखने वाले 10 बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को मुक्त कराया गया है। इन सभी मजदूरों को असंगठित मजदूर मोर्चा ने एसबीटी ईंट भट्ठा, ग्राम-बभनपुर, बिहार बाजार, थाना-बागराय की कुंडा तहसील कुण्डा जिला प्रतापगढ़ (Pratapgarh) से मुक्त कराया है। बताया जा रहा है कि इन सभी मजदूरों से बिना मज़दूरी के जबरन कार्य कराया जा रहा था।
सामने यह भी आया है कि इन सभी मजदूरों (Labors) को कर्ज के तौर पर कुछ अग्रिम राशि देकर 6 नवंबर 2021 को बांदा जिला से एक खुले ट्रक में भरकर लाया गया था।
यह सभी मजदूर जब कार्यस्थल पर पहुँचे तो मज़दूरों के लिए मूलभूत (जैसे-बाथरूम, आवास, पानी आदि) सुविधाएं नहीं थीं। मजदूरों ने कई बार जमादार एवं मालिक से मूलभूत सुविधाओं के लिए मांग की, लेकिन इन मजदूरों की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। जिस कारण मज़दूरों को मज़बूरन काम करना पड़ रहा था। यहां उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा था। और तो मालिक द्वारा घर तक जाने नहीं दिया जा रहा था।
इस बात की भनक जब असंगठित मजदूर मोर्चा (Asangathit Majdoor Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, दल सिंगार (Dal Singar) को हुई तो उन्होंने अपने स्थानीय लोगों से संपर्क किया। मजदूरों से जब संपर्क किया गया तो इन सभी ने 17 जनवरी 2022 को दल सिंगार से बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाने के लिए गुहार लगाई।
इसके बाद पूरी जानकारी करने के लिए एक्शन एड और बंधुआ मुक्ति मोर्चा उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर असंगठित मज़दूर मोर्चा ने सही जानकारी प्राप्त करने हेतु मज़दूरों से संपर्क किया और उनसे बात की। प्राप्त जानकारी के अनुसार मज़दूरों को जमादार ने मालिक से पैसे लेकर मालिक/नियोक्ता के हवाले करके चला गया था। इसके अलावा मूलभूत (जैसे-बाथरूम, आवास, पानी आदि) सुविधाएं नहीं दी गई थीं।
जिसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष, दल सिंगार ने मज़दूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम 1976, बाल मज़दूर कानून तथा अनुसूचित जाति (अत्याचार निरोधक), अधिनियम 1989 एवं न्युनतम मज़दूरी अधिनिय, 1948 एवं मानव तस्करी के तहत कानूनी कार्यवाही करते हुए सभी को तुरन्त मुक्ति प्रमाण पत्र जारी कर उनके निवास भिजवाने के लिए जिलाधिकारी, जिला- प्रतापगढ़, पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़, जिलाधिकारी, बांदा, श्रम आयुक्त कानपुर, उत्तर प्रदेश, मुख्य सचिव, लखनऊ, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को 3 फरवरी 2022 को पत्र लिखा। फलस्वरूप प्रशासन से लगातार संपर्क करने के बाद बंधुआ मजदूरों को 8 फरवरी 2020 को जिला प्रशासन द्वारा मुक्त कराया गया।
ये लोग कराए गये मुक्त
राजा भइया (56) पुत्र बदला, सुमेरिया (50) पत्नी राजा भइया, नीता (21) पुत्री राजा भइया, लाला प्रसाद (18) पुत्र राजा भइया, देवी दयाल (32) पुत्र श्यामलाल, उषा देवी (31) पत्नी देवी दयाल, नेता (07) पुत्री देवी दयाल के अलावा शिवम, महम व कविता को मुक्त करवाया गया है।