योगीराज : BJP विधायक की गुंडई, लोनी में मीट की दुकानें जबरन बंद करायीं और दुकानदारों को किया पुलिस के हवाले
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जनज्वार। भारतीय जनता पार्टी के विधायक नंदकिशोर गुर्जर रविवार 18 अक्टूबर को गाजियाबाद के लोनी पहुंचे, जहां का उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में मीट दुकानदारों को धमका रहे हैं।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बीजेपी विधायक के पहुंचते ही वहां खुली सभी मीट की दुकानें बंद करा दी गईं। खुद विधायक गुर्जर पूजा कॉलोनी इलाके में मीट दुकान को धमकाते हुए बंद कराते दिखे। और तो और विधायक नंद किशोर ने मीट की दुकान चला रहे दुकानदारों को पुलिस बुलाकर उनके हवाले तक कर दिया।
बताया जा रहा है कि नंद किशोर को उनके इलाके में मीट की दुकानें खुली होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद रविवार 18 अक्टूबर को वो खुद ही मीट की दुकान बंद कराने पहुंच गए। इस बारे में लोनी विधायक ने कहा कि लोनी, हिंडन एयर क्राफ्ट एरिया अंतर्गत आता है। इस वजह से क्षेत्र में मीट की दुकानें नहीं खोलने दी जाएंगी।
विधायक का कहना है कि लोनी में शासन व प्रशासन की मिलीभगत से अवैध मीट की दुकानें चल रही हैं। विधायक गुर्जर ने ऐसे अधिकारियों को चेतावनी भी दी है कि लोनी में इस तरह का अवैध काम और व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नंद किशोर गुर्जर का आज एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वो मीट की दुकान बंद करवाते नजर आ रहे हैं। विधायक का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन हुआ है। विधायक नंद किशोर का दावा है कि उन्होंने जो मीट की दुकानें बंद करवाई हैं वो सभी अवैध रूप से चल रही हैं।
गौरतलब है कि बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने इस साल अप्रैल महीने में भी मंदिरों के पास मौजूद मीट की दुकानें बंद करवाई थींं। ये वही भाजपा विधायक हैं जो कहते हैं कि नवरात्र के दौरान मीट की दुकानें खोलना 'राष्ट्रद्रोह' है।
लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर के मुताबिक, लोनी में मंदिरों के पास मीट की दुकानें खुली हुई हैं, जो यह गैरकानूनी है और राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है। स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं हो सकता है। मगर सवाल यह भी उठता है कि भाजपा विधायक ने किस अधिकार के तहत मीट दुकानदारों की दुकानें बंद करवा उन्हें पुलिस के हवाले किया।
भाजपा विधायक की इस गुंडागर्दी के बाद सवाल उठने शुरू हो गये हैं कि विधायक के पास ऐसा कोई भी ऐसा अधिकार नहीं होता है कि वह खुद जाकर जबरदस्ती दुकान बंद करवाएं। अगर उन्हें शिकायत थी और उनकी शिकायत स्थानीय अधिकारी नहीं सुन रहे थे तो सत्ताधारी पार्टी के विधायक होने के नाते वह इसकी शिकायत आला अधिकारियों से कर सकते थे, लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया।