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Ground Report : मिर्जापुर में गोंड समुदाय जाति प्रमाणपत्र की फरियाद लेकर भटक रहा दर-दर, तहसील में खुलेआम घूस के 50 हजार मांगने का आरोप

Janjwar Desk
2 Feb 2021 3:42 PM GMT
Ground Report : मिर्जापुर में गोंड समुदाय जाति प्रमाणपत्र की फरियाद लेकर भटक रहा दर-दर, तहसील में खुलेआम घूस के 50 हजार मांगने का आरोप
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[ अपने हक-हकूकों के लिए धरनारत गोंड समुदाय, फोटो : जनज्वार ]

अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी न किये जाने के विरोध में गोंड समुदाय कलेक्ट्रेट घेर कर चुका है जोरदार प्रदर्शन, अब जिलाधिकारी ने बंधायी है आस...

मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मिर्जापुर में निवासरत जनजातियों की वास्तविक संख्या को ना दिखाएं जाने तथा गोंड जाति (अनुसूचित जनजाति) के लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने में बरती जा रही हीलाहवाली को लेकर लोग आक्रोशित हैं।

मिर्जापुर में अनुसूचित जनजाति के लोगों को शून्य दिखाए जाने को निरस्त करने एवं भारती संविधान की पांचवी अनुसूचित लागू करने, आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों द्वारा कब्जा कर लिए जाने के मामले को लेकर अखिल भारत वर्षीय गोंड महासभा के बैनर तले गोंड समुदाय के लोगों ने सैकड़ों की संख्या में पिछले दिनों कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया था।

इस प्रदर्शन के बाद अब प्रशासन एक बार फिर से दस्तावेजों को खंगालने में जुट गया है। कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन के दौरान गोंड समुदाय के लोगों ने जिसमें भारी संख्या में महिलाओं की तादाद रही है, ने आरोप लगा कि एक सोची समझी साजिश के तहत उन लोगों को जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा रहा है। जाति प्रमाणपत्र न होने से ये लोग कई योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो जा रहे हैं।

प्रदर्शन के दौरान समुदाय के लोगों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और ध्यान आकृष्ट करके कि बताया है कि निदेशक पंचायत राज उत्तर प्रदेश के पत्रांक संख्या 4/945(1)/2020-4/326/2019-20, लखनऊ 19 दिसंबर 2020 में जनगणना वर्ष 2011 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अनुसूचित जन जाति की जनसंख्या दर्शायी गई है।

इसके आधार पर ग्राम प्रधान के 336 पद सृजित किए गए थे। इसमें से 35 स्थानों झांसी में 2, कुशीनगर 17, सिद्धार्थनगर 11, महाराजगंज 3, व उन्नाव जनपद में 2 पदों पर अनुसूचित जनजाति के लोगों की दावेदारी नहीं हो पाई थी। इस संबंध में किंजल सिंह निदेशक पंचायती राज उत्तर प्रदेश के द्वारा सही जानकारी के लिए आदेश निर्देश भी जारी किए गए थे। उक्त क्रम में जिलाधिकारी मिर्जापुर द्वारा पत्रांक संख्या 3701/ पंचायत -7/निर्वाचन/ 2020-21 दिनांक 11.01. 2021 में यह निर्देशित किया गया था कि जनपद के समस्त विकास खंडों के ग्राम पंचायत सचिव, राजस्व लेखपाल संयुक्त रुप से स्थलीय जांच कर संबंधित ग्रामों में निवासरत जनजातियों की गणना कर संयुक्त हस्ताक्षर से दिनांक 31.01.2021 उपलब्ध कराएं।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना आयोग द्वारा किसी प्रकार की जनगणना नहीं कराई गई, जबकि वर्तमान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2011 के आंकड़ों पर ही होना है, मगर ग्राम पंचायत सचिव, राजस्व लेखपाल द्वारा दूषित मानसिकता से ग्रसित होकर जनजातियों की वास्तविक जनसंख्या को छुपाकर शून्य प्रस्तुत कर जनजातियों के हक संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इससे यह समाज अपने को अलग-थलग महसूस कर रहा है।

अखिल भारत वर्षीय गोंड महासभा ने आरोप लगाया कि जिले सहित पूर्वांचल के कई जनपदों में अनुसूचित जनजाति के लोगों को शून्य दिखाए जाने से यह समाज कई योजनाओं से महरूम हो जा रहा है। मिर्जापुर के सदर तहसील में ग्राम बेलन के लेखपाल द्वारा खुलेआम गोंड जाति के लोगों को अनुसूची जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने के लिए 50,000 रुपये की मांग की जा रही है।

आरोप यह भी लगाया गया कि लेखपाल शुभम श्रीवास्तव को उप जिलाधिकारी व तहसीलदार सदर का आरक्षण प्राप्त है। मांग पूरी न होने पर जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया जाता है, जबकि जिले में गोंड अनुसूचित जनजाति के लोग अधिक संख्या में पाए जाते हैं। हालांकि इस संदर्भ में जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने गोंड समुदाय के प्रतिनिधि मंडल को 1 फरवरी को संपूर्ण दस्तावेज के साथ मिलने का समय देते हुए उनका धरना समाप्त करवाते हुए न्याय दिलाए जाने का भरोसा दिलाया है।

गौरतलब है कि अपने हक-हकूकों की लड़ाई के लिए गोंड जाति के लोगों का यह कोई पहला धरना प्रदर्शन नहीं है। लंबे समय से अपने हक—अधिकार के लिए खासकर अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने के लिए संघर्ष करते आए हैं। पूर्वांचल के कई जनपदों में समय समय पर यह धरना प्रदर्शन करने के लिए विवश हुए हैं। एक दशक पहले जौनपुर में सालभर से भी ज्यादा समय तक चले गोंड समाज के धरना प्रदर्शन ने प्रशासन को हिला कर रख दिया था, परिणामस्वरुप इन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करना पड़ा था।

जानकारी के अनुसार जनपद मिर्जापुर में सन 1891 में गोंड समुदाय के 8861, 1911 में 7110, 1931 में 6277, 1961 में 57512, 1971 में 44032, 1901 में 66198 व 2011 की जनगणना के अनुसार 1134000 लोग पूरे उत्तर प्रदेश में हैं।

इसे मनमानी और हठधर्मिता ही नहीं तो और क्या कहेंगे कि एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश की योगीराज सरकार पारदर्शी पूर्ण नीतियों एवं सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पात्रों को उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन वही उनके अधिकारी मनमानी पर अमादा है। मिर्जापुर जिले के सीखड़ विकास खंड का सिल्पी गांव इसी का एक नजीर है।

मिर्जापुर कलेक्ट्रेट में गोंड जाति के प्रदर्शन में शामिल होने आए रमाकांत की अपनी एक अलग ही व्यथा थी, उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी संगीता देवी के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) आवंटित किया गया है, लेकिन अब उसमें जाति प्रमाणपत्र का पेंच फंसा दिया गया है।

आरोप है कि ब्लॉक द्वारा उन्हें जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा रहा है, जिससे उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए वह तहसील से लेकर ब्लॉक अधिकारियों के चौखट पर कई बार गुहार लगा चुके हैं। यहां तक कि उनके पक्ष में ग्राम प्रधान ने भी स्वीकृत दे दी है, बावजूद उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है।

जब बेटी को जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया तो फिर पिता और माता को जाति प्रमाणपत्र देने में क्या समस्या आड़े आ रही है?

आश्चर्य की बात तो यह है कि रमाकांत की बेटी को चुनार तहसील द्वारा 2018 में अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र जारी किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब बेटी को जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया तो फिर पिता और माता को जाति प्रमाणपत्र देने में क्या समस्या आड़े आ रही है? यह स्पष्ट होता है अधिकारी और संबंधित सभी मनमानी और अपनी हठधर्मिता पर आमादा हैं।

गोंड जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने की मांग के संदर्भ में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 1 फरवरी को कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक हुई थी, जिसमें उप जिलाधिकारी सदर व तहसीलदार सदर के साथ साथ गोंड समाज की ओर से पूर्व सेक्टर कमीश्नर केएन गोंड, रामप्यारे गोंड, एडवोकेट ज्ञानेन्द्र ध्रुवे, लवकुश गोंड, शिव कुमार गोंड, कमलेश कुमार गोंड एडवोकेट प्रभाकर गोंड, बृजेश कुमार गोंड, सूरज कुमार गोंड आदि लोग के बीच सेवानिवृत्त कमीश्नर केएन गोंड ने उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश एवं सुप्रीम कोर्ट के बहुत से आदेश को देखकर बताया कि गोंड अनुसूचित जनजाति के लोग पूरे मिर्जापुर जनपद में पाये जाते है।

जिलाधिकारी के आदेशानुसार तहसीलदार सदर व उप जिला अधिकारी सदर ने जिला अधिकारी से एक सप्ताह का समय देने की मांग की, जिस पर गोंड समाज के लोग व जिलाधिकारी मिर्जापुर ने अपनी सहमति दी। इस पर जल्द विचार कर जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा गया है।

अब देखना यह कि आगे क्या कार्रवाई होती है या फिर मामले को लटका दिया है। हालांकि इस संदर्भ में गोंड समाज के लोगों का कहना है कि यदि इतने के बाद भी उनकी समस्याओं का निस्तारण ना हुआ और अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने में फिर हीला हवाली बरती गई तो व्यापक पैमाने पर जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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