Ground Report : किसानों के साथ पंजाब नेशनल बैंक ने की धोखाधड़ी, FD को बदल दिया 40 साल की मेटलाइफ पॉलिसी में
FD के नाम पर पंजाब नेशनल बैंक ने ठगा किसानों को, पढ़े-लिखे न होने का उठाया फायदा
रौनीजा गांव से आदित्य प्रताप सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के जेवर तहसील का एक छोटा सा गाँव रौनीजा, जहाँ गाँव के किसानों के साथ पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के राबुपुरा ब्रांच में एफडी (FD) के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। रौनीजा गाँव के किसान रणविजय ने 2020 में पीएनबी (PNB) के राबुपुरा ब्रांच में 3 लाख़ रुपये की एफडी (FD) करायी था। जब रणविजय बैंक में एफडी कराने गये तो उन्हें इस बात का अंदाजा था कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी धोखधड़ी न हो जाये। इसलिए रणविजय ने बैंक कर्मियों से कई बार मिन्नतें कीं, भाई इस बार भी पिछली बार की तरह एफडी (FD) के पैसे को मेटलाइफ पॉलिसी (MetLife Policy) में मत बदल देना।
शायद किसान की आवाज बैंककर्मियों के कानों तक नहीं पहुँची होगी। खैर, इस देश में किसान की आवाज सुनाई ही किसे देती है। जब आप कभी यमुना एक्सप्रेसवे से गुजरेंगे तो हाईवे के पास कई छोटे-छोटे से गाँव दिखेंगे। ये हाईवे इन्हीं गाँव के खेतों से निकलता है। अब तो बस गाँव बचे हैं, खेत तो सारे हाईवे हो चुके हैं। इससे पहले सुनते थे कि नीरव मोदी या फिर विजय माल्या जैसे पूंजीपति पंजाब नेशनल बैंक या अन्य राष्ट्रीय बैंकों के साथ धोखाधड़ी करके फरार हो जाते हैं, मगर अब मोदीराज में बैंक भी आम जनता के साथ धोखाधड़ी करने लगे हैं।
हाईवे को छोड़कर सर्विस लेन से रौनीजा गॉव के तरफ जाने पर बड़े-बड़े प्राइवेट यूनिवर्सिटी, अच्छी सड़कें और जग़ह जग़ह पर बिल्डरों के कटे प्लाट देखने को मिलेंगे, लेकिन अफ़सोस इन सड़कों पर गाँव में जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलेगा। गाँव के अंतिम छोर पर रणविजय का घर है।
रास्ते में जो लोग मिले वो भी बताते हैं, कई लोगों के साथ पीएनबी (PNB) में धोखा हो चुका है। रणविजय के घर में एक तरफ गाँव की महिलायें बैठीं हैं तो वहीं एक कमरे में गाँव के पुरुषों का जमावड़ा लगा है। घर की ही एक बुजुर्ग़ महिला की मौत पर सब गमी जताने आये हैं। रणविजय के चेहरे पर भय और हताशा साफ़ दिख रही थी। कमरे में बैठे गाँव के मर्द बार बार यही बात दोहरा रहे थे कि भोले भाले किसानों को बैंक वालों ने ठग लिया। हम तो इतने पढ़े-लिखे नहीं हैं, जहाँ बैंक वाले बोलते हैं वहाँ हम साइन कर देते हैं। बैंक वालों ने हमसे बिना पूछे एफडी (FD) के पैसे को पॉलिसी में डाल दिया और किसी को पता भी नहीं चला।
FD के नाम पर धोखाधड़ी के शिकार हुए किसान
रणविजय बातचीत में बताते हैं, कुछ दिन पहले बिटिया घर आयी थी तो उसने मोबाइल में मैसेज देखा की 3 लाख़ रुपये कट गए हैं। उसके बाद मैं बैंक गया तो पता चला कि मेरी एफडी वाले पैसे को बैंकवालों ने मुझसे बिना पूछे मेटलाइफ (MetLIfe) में बीमा कर दिया है। उसी के 3 लाख़ रुपये की किस्त कटी है। जब मैं अपना एफडी तोड़वाने की बात किया तो बैंक मैनेजर ने मना कर दिया। हमें लगातार 1 महीने तक दौड़ाता रहा, फिर जाकर बैंक वालों ने पैसे के 25% काटकर देने की बात की।
जनज्वार संवाददाता से बातचीत करते हुए रणविजय आगे कहते हैं, 'किसान पंचायत में तहसीलदार और एसडीएम साहब के सामने बैंकवालों ने पूरे 6 लाख रुपये देने का वादा किया। इसके लिए मेरा पासबुक, आधार कार्ड और पेन कार्ड कार्ड सबकुछ ले लिया, लेक़िन बैंक वालों ने लिखित में कुछ नहीं दिया कि कब तक मेरे पैसे मिलेंगे। ये पहला मौका नहीं है जब मेरे साथ ऐसा हुआ है। इससे 5 पाँच साल पहले भी इसी बैंक में मेरे साथ यही हुआ था। जब मैं इस बार एफडी कराने गया तो बोला था किे इस बार मेरे पैसे को पॉलिसी में मत डाल देना, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने मेटलाइफ पॉलिसी (MetLife Policy) में मेरे पैसे डाल दिये, मुझे तो मोबाइल भी चलाने नहीं आता। मेरी उम्र 60 साल है और इन्होंने पॉलिसी 40 साल की कर दी है, बताओ 100 साल तक पॉलिसी के पैसे लेने के लिए कौन जिंदा रहेगा। शायद उस वक्त तक मेरे बच्चे भी न रहें। भूमि अधिग्रहण में सरकार ने जो पैसा दिया वो तो बैंक वालों ने ले लिया, अब तो मेरे पास कुछ नहीं बचा है, कंगाल हो गये हैं हम।
इस मुद्दे पर हमने भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) नेता श्योराज सिंह ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया, कुछ किसान हमारे पास समस्या लेकर आये थे। इनके पैसे को पीएनबी (PNB) ने मेटलाइफ पॉलिसी (MetLife Policy) में डाल दिया है। ज्यादातर किसान पढ़े लिखे नहीं होते हैं। सारे कागज़ अंग्रेज़ी के छोटे छोटे अक्षर में होते हैं, जिससे पता नहीं चलता कि उसमें क्या लिखा है। इसी का फ़ायदा बैंक़वाले उठाते हैं और किसानों के साथ उल्टा-सीधा कर देते हैं। तहसीलदाऱ और एसडीएम साहब के सामने बैंक वालों के साथ किसानों का समझौता हो गया है।
जब जनज्वार ने जानना चाहा कि किसानों को बैंक की तरफ से कुछ लिखित तौर पर मिला? इस पर किसान नेता श्योराज सिंह कहते हैं, तहसीलदार और एसडीएम के सामने बैंक वालों ने किसानों के पैसे देने का वादा किया है। मेरे पास जो भी किसान आता है, हम उसकी मदद करते हैं।
दूसरे किसान के साथ 90 हजार की धोखाधड़ी
इसी गाँव के किसान सुंदर की भी यही कहानी है। कुछ समय पहले सुन्दर को किसी दुर्घटना में पैसे की ज़रूरत थी, तब सुंदर पैसे निकालने बैंक गये तो पता चला कि इनका भी पैसा एफडी की जग़ह मेटलाइफ पॉलिसी (MetLife Policy) में चला गया है। सुंदर बताते हैं, मैं इतना पढ़ा लिखा नहीं हूँ। एफडी के वक्त जिस कागज़ पर बैंक वालों ने साइन कराया, उसमें क्या लिखा था मुझे कुछ समझ में नहीं आया। इसका फायदा उठाकर बैंक वालों ने मेरे साथ धोखाधड़ी की। जब मैंने अपना पैसा वापस माँगा तो बैंक मैंनेजर ने बोला कि 90 हाज़ार में से 45 हज़ार काटकर बाकी पैसे देंगे।
क्या है मेटलाइफ (MetLife)?
पीएनबी (PNB) मेटलाइफ भारत के 107 शहरों में 100 मिलियन ग्राहकों के साथ 11000 जगहों पर बैंकों के साथ मज़बूत साझेदारी में है। इस मेटलाइफ की शुरुआत 1863 में न्यूयार्क के व्यपारी ने की थी। मेटलाइफ अमेरिका की बड़ी जीवन बीमा कंपपियों में से एक है। 40 से ज्यादा देशों के मार्केट में मेटलाइफ ने अपनी जगह बनाई है। इस जग़ह को बनाने के लिए कौन कौन से गैर कानूनी हथकण्डे अपनाये गए, ये तो पता नहीं लेकिन भारत के ऐसे कई शहरों में लोगों की शिकायत है कि लोगों से बिना पूछे बैंक के जरिये पॉलिसी बाँट दिया है।
अभी फिलहाल गौतमबुद्ध नगर में यह घटना हुई है, तो किसानों से बिना पूछे उनके एफडी को मेटलाइफ में 15 साल से लेकर 40 साल तक का बीमा कर दिया है। अभी मेटलाइफ अपना एक एड चला रहा है, जिसकी ब्रांड अम्बेसडर ओलंपिक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु है। विज्ञापन की टैगलाइन है, "करो अपने बड़े सपनों की तैयारी" इन सपनों में रणविजय, सुन्दर जैसे न जाने कितने किसानों के सपने उजड़ गए हैं। क्या मेटलाइफ अपने सपने धोखाधड़ी के जरिये बेचता है?