Lumpy Virus : लंपी वायरस से गुजरात के कच्छ जिले में 50 हजार से ज्यादा गौवंश की मौत - कांग्रेस का दावा, सरकार कर रही लीपापोती
Gujrat : कच्छ में गायों में फैली बीमारी, हजारों मवेशियों की मौत, दहशत में किसान
कच्छ से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
पूरे गुजरात में इस समय लम्पी वायरस के कारण हजारों पशुओं की मृत्यु हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा मृत्यु कच्छ जिले में होने की संभावना जताई गई है। अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो कोविड 19 की तरह ही पशुओं की मृत्यु के आंकड़े छुपाए जा रहे हैं और सरकार की तरफ से कुछ दो से तीन हजार पशुओं की मृत्यु की ही पुष्टि की जा रही है।
जहां तक कच्छ जिले में पशुओं की होने वाली मौतों का अंदाजा है, लगभग 50 हजार से ज्यादा गायों की मृत्यु की बात सामने आ रही है। यह दावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से किया जा रहा है, लेकिन सही जानकारी सरकार की तरफ से भी नहीं मिल रही है।
गौरतलब है कि हमेशा से गाय हमारे देश में राजनीति के केंद्र में रही है। गायों के नाम पर वोट मांगे जाते हैं और सरकार भी बन जाती हैं, लेकिन जब उन्हीं गायों की मृत्यु होती है तब किसी भी सरकार ने गंभीरता से काम नहीं किया। सरकारें इस समय किसानों को और पशुपालकों को बेवकूफ ही बना रही हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है।
लंपी वायरस से बड़ी तादाद में गायों की मौत के बाबत जब जनज्वार ने किसान नेता पाल भाई अम्बालिया से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पूरे गुजरात में 600 से 700 कर्मचारी थे, जो कि पशु चिकित्सक और पशु निरीक्षक कि ड्यूटी पर थे। अप्रैल माह से यह वायरस कई पशुओं में देखा गया। जब से लेकर 21 जुलाई तक 4 माह में 1,10,000 टीके लगे थे। यह सरकारी आंकड़ा है।
अप्रैल से जुलाई तक के समय में लगने वाली टीकों की संख्या बताती है कि सरकार कितनी गंभीर रही होगी। अगस्त के महीने में कॉन्ट्रैक्ट बेस कर्मचारियों को लाया गया और अन्य सहायक डेरियों के निरीक्षकों और चिकित्सकों को भी काम पर लगाया गया।
माना जा रहा है कि इस बीच पशु चिकित्सक और निरीक्षक की संख्या शायद दुगुनी हो गयी होगी। 4 माह में 110000 टीके लगे और मात्र 17 दिन में 29 लाख टीके कैसे लग गये, यह सवाल उठना स्वाभाविक है। विपक्ष इस सवाल को उठा रहा है, जबकि सरकार का दावा है कि मात्र 17 दिन में 29 लाख टिके लगाये गये।
5 अगस्त को गुजरात के खेती और पशुपालन मंत्री राघव जी पटेल ने बताया था कि 12 लाख ठीके लग चुके हैं। उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 90 लाख टीके लगने की बात कही थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर झूठ कौन बोल रहा था। या तो गुजरात के कृषि और पशुपालन मंत्री झूठ बोल रहे हैं या फिर प्रधानमंत्री मोदी झूठ बोल रहे हैं। इन दोनों राजनेताओं के विरोधाभास भरे बयानों से भी सरकार की पोल खुलती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक 11 जुलाई को इस बीमारी का टीका खोजा गया तो सवाल यह भी है कि 11 तारीख से पहले जो टीके जानवरों को लगाये गये क्या वह जनता को बेवकूफ बनाने के लिए लगे होंगे।
किसान नेता पाल भाई अम्बालिया सवाल उठाते हैं, आज की तारीख तक गुजरात में कम से कम एक लाख पशुओं की मृत्यु हो चुकी है, प्रति पशु के हिसाब से सरकार को ₹16000 मुआवजा देना चाहिए, लेकिन गुजरात के कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने पत्रकार वार्ता में साफ बता दिया कि सरकार की तरफ से किसी भी तरह का मुआवजा देने की बात नहीं हुई और सरकार में इस मुआवजे को लेकर कोई चर्चा भी नहीं हुई है।
गौरतलब है कि गुजरात का कच्छ जिला जिसमें लंपी वायरस से सबसे ज्यादा गायें प्रभावित हुयी हैं, यहां हर एक गांव में हर रोज 100 पशुओं की मृत्यु के समाचार मिल रहे हैं। छोटे गावो में भी 5-10 पशुओ की मृत्यु के समाचार मिल रहे हैं। हालांकि इस समय मृतक पशुओं की संख्या में सामान्य कमी आई है, लेकिन अगर पिछले एक माह की बात करें तो कच्छ जिले में किसानों और पशुपालकों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। यहां परिस्थिति बहुत भयावह हो चुकी है है, मगर पशुओं की मृत्यु पर सत्ता पक्ष का एक भी विधायक या सांसद बोलने को तैयार नहीं है। आने वाले दिनों में इसी तरह पशुओं की मृत्यु होती रही तो पशुपालकों को अपना अस्तित्व टिकाए रखना मुश्किल हो जाएगा।