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यूपी में 6 लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली, युवाओं ने की विपक्षी सांसदों से रोजगार का मुद्दा मानसून सत्र में उठाने की अपील

Janjwar Desk
6 Aug 2023 5:50 PM GMT
यूपी में 6 लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली, युवाओं ने की विपक्षी सांसदों से रोजगार का मुद्दा मानसून सत्र में उठाने की अपील
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1.26 लाख, माध्यमिक विद्यालयों में (शिक्षक व शिक्षणेत्तर) करीब 60 हजार पद रिक्त हैं। इसी तरह पुलिस महकमे, तकनीकी संवर्ग से लेकर विभिन्न विभागों में 6 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं....

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गहराते रोजगार संकट, प्रदेश से पूंजी व श्रम के पलायन और 6 लाख से ज्यादा सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने के मुद्दे को कल 7 अगस्त से शुरू हो रहे प्रदेश के मानसून सत्र में उठाने के लिए संयुक्त युवा मोर्चा ने नेता प्रतिपक्ष व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती, कांग्रेस उत्तर प्रदेश प्रभारी सुश्री प्रियंका गांधी व अध्यक्ष बृजलाल खाबरी, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को पत्र ट्वीट कर अपील की है।

संयुक्त युवा मोर्चा राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान संचालित कर रहा है। मुख्य रूप से इसमें रोजगार अधिकार कानून बनाने, सार्वजनिक क्षेत्र में एक करोड़ रिक्त पदों को पारदर्शी तरीके से समयबद्ध भरने, आउटसोर्सिंग/संविदा व्यवस्था खत्म करने और रेलवे, बैकिंग, पोर्ट, बिजली-कोयला, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण पर रोक लगाने और रोजगार सृजन के लिए कारपोरेट्स पर संपत्ति और उत्तराधिकार कर जैसे मुद्दे शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश में रोजगार अधिकार अधिकार की कार्ययोजना तैयार करने के लिए लखनऊ में 19 अगस्त को मीटिंग बुलाई गई है। इसकी तैयारी के सिलसिले में प्रदेशस्तरीय प्रतिनिधियों की वर्चुअल मीटिंग की गई। प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकारी नौकरी मुहैया कराने और रोजगार सृजन का प्रोपैगैंडा प्रदेश में वास्तविक स्थिति से एकदम अलग है। सच्चाई यह है कि पिछले 6 वर्षों में रोजगार के अवसरों में तेजी से कमी आई है।

परिषदीय विद्यालयों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1.26 लाख, माध्यमिक विद्यालयों में (शिक्षक व शिक्षणेत्तर) करीब 60 हजार पद रिक्त हैं। इसी तरह पुलिस महकमे, तकनीकी संवर्ग से लेकर विभिन्न विभागों में 6 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। हालत यह है कि शिक्षा आयोग के गठन के नाम पर साल भर से चयन प्रक्रिया ठप है। कई भर्तियां तो 2015 से अभी तक अधर में लटकी हुई हैं। ग्रामीण इलाकों में आजीविका का संकट गंभीर है।

मीटिंग में प्रस्ताव लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के जारी दमन पर रोक लगाने, छात्रों पर दर्ज आपराधिक मुकदमे व निलंबन रद्द करने की मांग की गई। विपक्षी दलों से भी अपील की गई कि इस मुद्दे को संसद व उत्तर प्रदेश विधानमंडल में उठाएं, जिससे छात्रों के दमन पर रोक लग सके।

वर्चुअल बैठक में उपस्थित प्रमुख लोगों में युवा मंच संयोजक व संयुक्त युवा मोर्चा के केंद्रीय टीम सदस्य राजेश सचान, युवा मंच अध्यक्ष अनिल सिंह, प्रशिक्षित मोर्चा अध्यक्ष रजत सिंह, तकनीकी संवर्ग के प्रतिनिधि इंजी. राम बहादुर पटेल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता अमित द्विवेदी आजाद, लखनऊ से रवींद्र यादव, चंदौली से आलोक राय, शिक्षक भर्ती आंदोलन के प्रतिनिधि नीतेश पांडेय, आजमगढ़ से जय प्रकाश यादव, युवा शक्ति संगठन के सौरभ सिंह, युवजन विद्यार्थी सभा के शैलेश मौर्य, सीएमपी पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष करण सिंह परिहार, सोनभद्र से रूबी सिंह गोंड व गुंजा गोंड, सीतापुर से जया वर्मा व लवकुश कुमार, लखीमपुर से जमशेदपुर अली, कानपुर से संदीप निराला, कंप्यूटर शिक्षक भर्ती संघ के नरेंद्र मिश्र, इटावा से हेमंत यादव, प्रतियोगी छात्र प्रतिनिधि मंडल से शीतला प्रसाद ओझा, नगेंद्र पांडे, गाजियाबाद से केवल सिंह, प्रतापगढ़ से गोविंद सरोज, मऊ से महात्मन चौहान, धर्मवीर सिंह, मनोज पटेल, आशुतोष, अजय, अखिलेश दुबे, लवकुश कुमार, नमो नारायण समेत विभिन्न युवा संगठनों व समूहों के प्रतिनिधि शामिल रहे।

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