Chamoli news : चमोली के थराली में ग्रामीणों की आपत्ति को दरकिनार कर लगाया जा रहा स्टोन क्रशर, विरोध में 21 दिन से चल रहे आंदोलन को प्रशासन ने किया अनदेखा
Chamoli news : चमोली के थराली में ग्रामीणों की आपत्ति को दरकिनार कर लगाया जा रहा स्टोन क्रशर, विरोध में 21 दिन से चल रहे आंदोलन को प्रशासन कर अनदेखा
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Chamoli news : उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में होने वाले भूस्खलन को देखते हुए जहां पर्यावरणविद पूरे हिमालयी जोन को खतरनाक करार देते हुए इस क्षेत्र में बड़े निर्माण व खनन के विरोध में हैं तो दूसरी तरफ इससे बेपरवाह राज्य सरकार आए दिन इन क्षेत्रों में लगातार ऐसी गतिविधियों को अंजाम देती है जो तमाम असुविधाओं के बाद भी पलायन करके यहां रह रहे ग्रामीणों की मुश्किलों में इजाफा करती हैं। ताजा मामला चमोली जिले के थराली विकासखंड का है जहां ग्रामीणों के विरोध को दरकिनार करते हुए मोबाइल स्टोन क्रेशर की अनुमति दी गई है। ग्रामीण पिछले 21 दिन से इस स्टोन क्रेशर के विरोध में लगातार आंदोलन कर रहें हैं, लेकिन प्रशासन पर उनके शांतिपूर्ण आंदोलन का कोई असर नहीं हो रहा है।
जानकारी के अनुसार चमोली जनपद के इस थराली विकासखंड के पस्तोली क्षेत्र की पिंडर घाटी में सरकार ने ग्रामीणों के विरोध के बाद भी एक मोबाइल स्टोन क्रेशर संचालन की अनुमति दे दी है। जिस स्थान पर यह अनुमति दी गई है, उस स्थान से एक किमी. की दूरी पर पहले से ही एक अन्य स्टोन क्रेशर पहले से ही संचालित किया जा रहा है। पूर्व से संचालित हो रहे इस स्टोन क्रेशर के शोर-शराबे व वहां होने वाले प्रदूषण से ग्रामीण पहले ही परेशान थे कि ग्राम पंचायत जबरकोट और पास्तोल की सीमा पर लग रहे एक और नए स्टोन क्रेशर से ग्रामीण सकते में आ गए हैं।
ग्राम पंचायत जबरकोट और पास्तोल के लोगों का कहना है कि स्टोन क्रेशर के निकट ही स्कूल भी है। जिस स्कूल में गांव के छोटे छोटे नौनिहाल पढ़ते हैं। यह स्टोन क्रेशर उन बच्चों के लिए खतरा है। इस क्रेशर प्लांट से महज पांच मीटर की दूरी पर गांव की कृषि भूमि है। जिससे गांव के लोगों की रोजी रोटी चलती है। स्टोन क्रेशर की स्थापना के बाद उनकी कृषि भूमि नष्ट होने के साथ ही उनके जल स्रोत खत्म होने की संभावना भी है।
जिस स्थान पर क्रशर लग रहा हैं उसके सामने से सड़क जाती हैं जो दस-बारह गांवों को जोड़ती है। इसी सड़क से गांव के बच्चे पैदल ही स्कूल जाते हैं। प्लांट के महज 300 मीटर की दूरी पर इंटर कॉलेज और पॉलिटेक्निक स्कूल भी है। जिस जगह पर क्रेशर प्लांट लग रहा हैं यह भूमि भूस्खलन क्षेत्र है, जिस वजह से भविष्य में जबरकोट, ताजपुर मल्ला और तल्ला और ग्राम बुढ़ाडांग को भारी खतरा हो सकता है। सरकार भू-माफियाओं के दबाव में इस स्टोन क्रेशर की अनुमति देकर उनके गांव की खुशियों को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
स्टोन क्रेशर के विरोध में दोनों गांव की महिलाओं ने खुला मोर्चा खोल दिया है। बीते 15 जून से ग्रामीणों ने इस स्टोन क्रेशर की अनुमति को निरस्त करने के लिए अपना शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया हुआ है। कई चरण के आंदोलन बाद बीती रात ग्रामीणों ने थराली में मशाल जुलूस का आयोजन भी किया। आंदोलन की तपिश महसूस होने के बाद प्रशासन की ओर से स्थानीय एसडीएम रविंद्र जुवांठा भी ग्रामीणों से संवाद करने उनके बीच पहुंचे, लेकिन स्टोन क्रेशर को हटवाने में वह भी ग्रामीणों को कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सके।
ग्रामीणों का कहना है कि उपजिलाधिकारी द्वारा केवल आश्वासन दिया गया जिससे ग्रामीणों को भारी निराशा हुई है। गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि वह आंदोलन के जरिये पूरी तरह से स्टोन क्रेशर को हटवा कर ही रहेंगे। इसके लिए वह अपनी जान को भी दांव पर लगाने को तैयार हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जहां लोगों में पलायन की प्रवृत्ति बढ़ रही है वहां पर इस प्रकार की नीतियां उन्हें पलायन के लिए विवश करती हैं। सरकार एक ओर रिवर्स पलायन की बात करती है तो दूसरी तरफ पहाड़ में जो बचे-खुचे लोग भी हैं उनकी जिंदगी को मुश्किल कर रही है।जिन जगहों पर स्कूल, हॉस्पिटल खेल के मैदान खोले जाने चाहिए थे। उन जगहों पर स्टोन क्रेशर जैसी परियोजनाओं को शुरू किया जा रहा है।
हालांकि स्टोन क्रेशर के खिलाफ आंदोलन केवल दो गांवों के लोगों ने शुरू किया था, लेकिन जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ रहा है वैसे-वैसे इसको व्यापक जनसमर्थन मिलता जा रहा है। सेरा विजयपुर के प्रधान प्रेम चंद्र शर्मा, ग्राम बजवाड़ के प्रधान विनोद जोशी, ग्राम माल बजवाड़ के गजेंद्र सिंह रावत सहित कई लोग ग्रामीणों की समस्या को जायज बताते हुए इस आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं।
एक तरफ जहां ग्रामीण इस स्टोन क्रेशर के खिलाफ तमाम आपत्तियां कर रहें हैं तो इसका एक दूसरा पक्ष यह भी है कि प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों की तमाम आपत्तियां को दरकिनार करते हुए उन्हें निराधार बताते हुए स्टोन क्रेशर के पक्ष में रास्ता साफ कर दिया है। राजस्व उपनिरीक्षक कुलसारी, राजस्व उपनिरीक्षक थराली, भूतत्व एवम् खनिकर्म इकाई चमोली के सर्वेक्षक अधिकारी और तहसीलदार थराली की इस संयुक्त जांच आख्या में ग्रामीणों की सभी आपत्तियों को निराधार बताते हुए इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को दे दी गई है।
स्टोन क्रेशर के खिलाफ चल रहे आंदोलन में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे क्षेत्र के युवा समाजसेवी कपूर रावत का कहना है कि 21 दिन के आंदोलन के बाद भी प्रशासन उनकी बात सुनने के बजाए स्टोन क्रेशर के हित में एकतरफा कार्यवाही कर रहा है। खनन को लेकर राज्य सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। बड़ी नदियों के बाद राज्य सरकार गांव के छोटे-मोटे गाड़-गधेरों को खुदवाकर पर्यावरण का सत्यानाश करने पर उतारू है। यदि यही हालात रहे तो ग्रामीणों का इस परिवेश में रहना दुभर हो जायेगा, जिसके बाद यहां से लोगों को मजबूरी में पलायन करना पड़ेगा।