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48 हजार झुग्गियों को हटाये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये नई बात

Janjwar Desk
14 Sept 2020 11:22 PM IST
48 हजार झुग्गियों को हटाये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये नई बात
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रिटायरमेंट से ठीक पहले न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ के साथ इन्हें तीन माह के भीतर हटाने का निर्देश दिया था...

जनज्वार। पिछले दिनों कोर्ट ने आदेश दिया था कि राजधानी दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बसीं 48 हजार झुग्गियां हटायी जायें, मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने एक नया आदेश पारित किया है। इसके मुताबिक रेलवे लाइन के किनारे बसीं 48 हजार झुग्गियां फिलहाल नहीं हटाई जाएंगी। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी साझा की।

सुप्रीम कोर्ट के झुग्गियों को हटाये जाने के आदेश के बाद जनज्वार ने सबसे पहले झुग्गियों के इलाके में जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग कर मामले को उठाया था। उसके बाद तमाम दूसरे मीडिया माध्यमों समेत मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी लगातार इस मुद्दे को उठाया और झुग्गीवासियों के पक्ष में खड़ी हुई। इसी के बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने याचिका दायर की थी और कांग्रेस उन्हीं की याचिका पर सुनवाई चार हफ्ते के लिए टली।

अब सरकार की तरफ से अदालत में कहा गया है कि शहरी विकास मंत्रालय, रेल मंत्रालय और दिल्‍ली सरकार एक साथ बैठकर 4 हफ्तों में इस मसले का हल निकालेंगे, तब तक झुग्गियां नहीं ढहाई जाएंगी। गौरतलब है कि दिल्ली में 140 किलोमीटर तक रेल पटरियों के किनारे करीब 48,000 झुग्गियां हैं। रिटायरमेंट से ठीक पहले न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ के साथ इन्हें तीन माह के भीतर हटाने का निर्देश दिया था।

एक आंकड़े के मुताबिक नारायणा विहार, आजादपुर शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्बत और ओखला में झुग्गियों में लगभग 2,40,000 लोग रहते हैं। उत्तर रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी पुष्टि करने वाली एक रिपोर्ट भी सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया था कि रेल पटरियों के किनारे झुग्गियां पटरियों को साफ सुथरा रखने में बाधक हैं।

झुग्गियों को हटाने का आदेश जारी करते हुए 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही जोर देकर ये भी कहा था कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि सरकार द्वारा हर झुग्गी में बिजली का कनेक्शन दिया गया है और यहां रहने वाले लोगों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड भी है। केजरीवाल सरकार ने पिछले वर्ष झुग्गीवासियों के लिए सामुदायिक शौचालय भी बनाये थे, ताकि कोई भी खुले में या पटरी के किनारे शौच नहीं करे।

झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजनीति गरमा गई थी। इस मसले पर आम आदमी पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर है। दूसरी तरफ भाजपा ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को खाली पड़े 52 हजार फ्लैट झुग्गी वालों को देने की मांग की है।

इसी के बाद कांग्रेस ने झुग्गी-झोपड़ियों को टूटने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख यिका था। कांग्रेस नेता अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा था कि कोरोना काल में अगर झुग्गीवालों को बेघर किया गया तो बड़ी त्रासदी हो सकती है।

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी नेता राघव चड्ढा ने तुगलकाबाद समेत कई इलाकों की झुग्गियों को हटाने संबंधी नोटिसों को फाड़ दिया था। उन्होंने कहा था कि झुग्गी के बदले मकान दिए बगैर किसी को बेघर नहीं होने दिया जाएगा।

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