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हाशिये का समाज

Janjwar Exclusive : जान का खतरा जताने के बावजूद दलित युवा जगदीश की हिफाजत न कर सकी जो भतरौजखान पुलिस, उसने गोद ले रखा है पूरा पनुवाद्योखन गांव

Janjwar Desk
5 Sep 2022 4:56 PM GMT
Janjwar Exclusive : जान का खतरा जताने के बावजूद दलित युवा जगदीश की हिफाजत न कर सकी जो भतरौजखान पुलिस, उसने गोद ले रखा है पूरा पनुवाद्योखन गांव
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जान का खतरा जताने के बावजूद दलित युवा जगदीश की हिफाजत न कर सकी जो भतरौजखान पुलिस, उसने गोद ले रखा है पूरा पनुवाद्योखन गांव

Almora Kand : पनुवाद्योखन का यह जगदीश हत्याकांड देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन स्थानीय विधायक, सांसद मंत्री या मुख्यमंत्री किसी ने भी इस बारे में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है, सांसद इसी अनुसूचित जाति के अजय टम्टा हैं, जिले से मंत्री भी अनुसूचित जाति की रेखा आर्य हैं, लेकिन इस सबके बाद सबने हत्याकांड को लेकर आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है...

सवर्ण युवती गीता से शादी करने पर मौत के घाट उतार दिये गये जगदीश चंद्र के गांव पनुवाद्योखन से सलीम मलिक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

Almora Kand : नैनीताल जिले के रामनगर से पहाड़ की तरफ जाने वाली रानीखेत रोड नाम की एक सड़क पर 49 किमी. का सफर तय किया जाए तो एक दोराहे पर भतरौजखान से करीब बीस किमी. पहले ही भतरौजखान पुलिस का एक बोर्ड लगा दिखाई देता है। बोर्ड पर लिखा है "थाना भतरौजखान पुलिस द्वारा गोद लिए ग्राम पनुवाद्योखन गांव में आपका स्वागत है।" लोगों का स्वागत कर रहे इस बोर्ड पर प्रभारी निरीक्षक थाना भतरौजखान का मोबाइल और लैंडलाइन नंबर भी लिखा है।

सड़क किनारे लगे एक बोर्ड पर इतने विस्तार से लिखना वैसे तो अजीब ही है, लेकिन पाठक दिमाग पर जोर डालेंगे तो पता चलेगा कि यह अजीब बात ही विशेष है। दरअसल पनुवाद्योखन उसी गांव का नाम है, जहां के रहने वाले जगदीश चंद्र को पूरे जिले की पुलिस तमाम मिन्नतों के बाद भी कत्ल होने से नहीं बचा सकी।

जैसा कि मालूम ही है कि अल्मोड़ा जिले के भतरौजखान थाने की सीमा में पड़ने वाले पनुवाद्योखन गांव में रहने वाले युवा नेता जगदीश चंद्र की सवर्ण युवती से विवाह करने के कारण उसके सवर्ण ससुरालियों ने इतनी बेरहमी से हत्या कर दी कि जगदीश की लाश का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर तक लाश की स्थिति देखकर सकते में आ गए थे। जगदीश की लाश पर चोटों के 28 निशान थे। हथौड़े की चोट से बने इन निशानों में हर निशान जगदीश के शरीर की टूटी हड्डी का मूक गवाह था। हत्यारों ने जगदीश के सिर, मुंह, नाक, पसली, रीढ़, घुटने, टखने की हड्डियां तोड़ते हुए उसे दर्दनाक मौत दी थी।

जगदीश के साथ हुई यह बर्बरता एकाएक नहीं हुई थी। इसी भतरौजखान थाने की सीमा में आने वाले भिक्यासैण के एक सवर्ण परिवार की युवती गीता उर्फ गुड्डी से प्रेम-प्रसंग की वजह से जगदीश इनके निशाने पर पहले से ही था। गीता का सौतेला बाप जोगा सिंह जगदीश के कत्ल से कुछ ही दिन पहले पुलिस के इसी स्वागती बोर्ड के सामने से गुजरते हुए पनुवाद्योखन गांव में आकर खुलेआम चैलेंज करते हुए जगदीश को मौत के घाट उतारने की धमकी देकर गया था।

21 अगस्त को जगदीश और गीता ने विवाह करके अपने साथ अनहोनी की आशंका व्यक्त करते हुए 27 अगस्त को अल्मोड़ा पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर अपनी हिफाजत की गुहार भी लगाई थी, लेकिन पुलिस द्वारा गोद लिए पनुवाद्योखन गांव के निवासी जगदीश की चिट्ठी को पुलिस ने हवा में उड़ा दिया। नतीजतन 1 सितंबर को वही हुआ, जिसकी आशंका व्यक्त की गई थी। जगदीश के ससुरालियों ने 1 सितंबर बृहस्पतिवार की सुबह जगदीश को भिक्यासैण से अपहृत कर शाम तक उसकी निर्मम हत्या कर दी।

जातिवादी ऐंठन की वजह से असमय ही इस दुनिया से जाने वाले जगदीश का पनुवाद्योखन गांव अपने आप में दो विशेषता लिए हुए है। दलित बहुल्य होने के कारण उसे अंबेडकर गांव का दर्जा प्राप्त है, तो दूसरी पुलिस द्वारा गांव लेने की विशेषता का जिक्र पहले ही किया जा चुका है।


नौ तोक में फैले दो हजार की आबादी वाले पनुवाद्योखन के मल्ला तोक में जगदीश अपनी मां और छोटी बहन के साथ रहता था। उसके दो भाईयों का परिवार भी यहीं लेकिन अलग घर में रहता है। मां-बहन जगदीश के ही भरोसे थी। पुलिस के गोद लिए गांव तक के लोगों के प्रति जब पुलिस का यह रवैया है कि खुलेआम मौत के घाट उतारने की धमकी मिलने के बाद पुलिस आदमी की मौत के इंतजार के सिवा कुछ नहीं करती तो यह सोचकर ही सिहरन हो उठती है कि जिन गांवों को पुलिस ने गोद नहीं लिया होता है, वहां क्या नहीं हो सकता?

मौत के चार दिन बाद जगदीश के गांव पहुंची सरकार, मुख्यमंत्री अब भी नहीं पहुंचे

जगदीश की मौत के चार दिन बाद आज सोमवार 5 सितंबर को उसके परिवार से मिलने के लिए सरकार ने समय निकाल ही लिया। कुमाऊं मण्डल के कमिश्नर, पुलिस उपमहानिरीक्षक, जिलाधिकारी, एसएसपी सहित पूरा सरकारी अमला पनुवाद्योखन पहुंच गया। निजी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी ने जगदीश के परिवार को दो लाख की आर्थिक सहायता का चेक भी दिया है।

कुमाऊं मण्डल के कमिश्नर दीपक रावत समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारी आज 5 सितंबर को पहुंचे थे मृतक जगदीश के गांव पनुवाद्योखन

अल्मोड़ा के जिला सूचना अधिकारी द्वारा दी गई सूचना के हिसाब से कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, डीजीपी नीलेश आनन्द भरणे द्वारा जगदीश चन्द्र की माता भागुली देवी, भाई दिलीप कुमार, पृथ्वीपाल के घर जाकर शोक संवेदना व्यक्त की। इस दौरान आयुक्त ने पीड़ित परिवार को आश्वासन देते हुए कहा कि पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान की गयी है।

उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। आयुक्त के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री घटना की जांच की कार्यवाही की समय-समय पर मानिटरिंग कर रहे है। इस दौरान पीड़ित परिवाजनों द्वारा आयुक्त महोदय को एक ज्ञापन सौंपा। इसी क्रम में जिलाधिकारी वन्दना द्वारा पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें जिला प्रशासन की ओर से आर्थिक चैक भेंट किया। इस दौरान संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत जयकिशन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार राय, उप जिलाधिकारी भिकियासैंण गौरव पाण्डे सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के साथ् अल्मोड़ा जिलाधिकारी वन्दना भी पहुंची जगदीश के गांव

टेंपरेचर से गांव की तपिश जांच रहे हैं भाजपाई

जगदीश की मौत के 4 दिन बाद जहां प्रशासन उसके घर पहुंच सका तो वहीं राजनीतिक लोगों में से किसी ने अभी तक गांव का रुख नहीं किया है। अलबत्ता कल रविवार 4 सितंबर को गांव में हुई शोकसभा में कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं ने जाकर सत्ता के खिलाफ तपिश की गर्मी भांपने की कोशिश जरूर की थी, जिसे ग्रामीणों ने इन नेताओं को लताड़कर विफल कर दिया था।

मालूम हो कि पनुवाद्योखन का यह जगदीश हत्याकांड देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री या मुख्यमंत्री किसी ने भी इस बारे में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। क्षेत्र के विधायक महेश जीना हैं तो सांसद इसी अनुसूचित जाति के अजय टम्टा हैं। जिले से मंत्री भी अनुसूचित जाति की रेखा आर्य हैं, लेकिन इस सबके बाद सबने हत्याकांड को लेकर आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है।

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