Begin typing your search above and press return to search.
हाशिये का समाज

Bilkis Bano Case: इधर लाल किले से PM मोदी का नारी सम्मान पर भाषण, उधर बिलकिस बानो के 11 बलात्कारी रिहा

Janjwar Desk
16 Aug 2022 4:03 PM IST
Bilkis Bano Case: इधर लाल किले से PM मोदी का नारी सम्मान पर भाषण, उधर बिलकिस बानो के 11 बलात्कारी रिहा
x
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामला गुजरात दंगों का सबसे भयावह मामला था। बिलकिस उस समय 21 साल की थीं और गर्भवती थीं। गोधरा गुजरात दंगों के बाद उनके साथ गैंगरेप किया और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया....

Bilkis bano : यह किसी विडम्बना से कम नहीं कि स्वतंत्रता दिवस के सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से नारी का सम्मान करने का आह्वान किया और दूसरी तरफ बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषी सोमवार 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से रिहा कर दिए गए।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि 2002 बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सभी 11 आजीवन कारावास के दोषियों को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उपजेल से रिहा कर दिया गया है। पंचमहल की कलेक्टर सुजल मायात्रा ने कहा, 'कुछ महीने पहले गठित एक समिति ने मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला लिया। राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और कल हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले।'

21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार के आरोप में 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बहाल रखा था।

इन दोषियों ने 15 साल से अधिक जेल की सजा काट ली थी, जिसके बाद उनमें से एक ने अपनी समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पंचमहल की कलेक्टर सुजल मायात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को उनकी सजा में छूट के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सरकार ने एक समिति बनाई थी।

गौरतलब है कि बिलकिस बानो केस 3 मार्च 2002 का है। गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुसी। परिवार पर हमला किया गया। उस समय पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप बलात्कार किया गया और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई।

बिलकिस बानो गैंगरेप मामला गुजरात दंगों का सबसे भयावह मामला था। बिलकिस उस समय 21 साल की थीं और गर्भवती थीं। गोधरा गुजरात दंगों के बाद उनके साथ गैंगरेप किया और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। छह अन्य सदस्य भागने में सफल रहे। इस मामले के दोषियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।

बिलकिस ने बताया था कि गैंगरेप के बाद वह लगभग तीन घंटे तक बेहोश रही। उसके शरीर में इतना दर्द था कि वह उठ भी नहीं पा रही थी। होश में आने के बाद किसी तरह उसने खुद को संभाला। उसके दिल में यह भी डर था कि अगर वह यहां कुछ और देर ठहरी तो वह मार दी जाएगी। वह नंगे बदन ही आगे बढ़ी और पास की एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए। एक होमगार्ड ने बिलकिस को देखा तो वह उसे लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन ले गया जहां उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ, लेकिन पुलिस ने सबूतों के अभाव केस खारिज कर दिया। इसके बाद बिलकिस मानवाधिकार आयोग पहुंची और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और सीबीआई को मामले की नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया था। इसमें 5 पुलिसकर्मी समेत दो डॉक्टर भी शामिल थे, जिन्होंने आरोपी की मदद करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप था।

बिलकिस ने किसी तरह खुद को बचाया और न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उधर बिलकिस के परिवार वालों को लगातार धमकियां मिलती रहीं। दो साल में उन्होंने 20 बार अपना घर बदला। बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट ने अपना केस गुजरात से बाहर किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की गुहार लगाई। 2008 में मुंबई के एक सेशन कोर्ट ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इनमें से तीन ने बिलकिस के साथ रेप की बात स्वीकार की थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मई 2017 को सभी आरोपियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी और 7 दोषियों को को बरी करने का आदेश ठुकरा दिया। इसमें पुलिसकर्मी और डॉक्टर भी शामिल थे जिन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ की थी।

कोर्ट ने सभी दोषियों को 55 हजार रुपये मुआवजे के रूप में बिलकिस को देने का आदेश दिया। इसको बाद जिन पुलिसकर्मियों को हाईकोर्ट ने जांच में दोषी पाया था, गुजरात सरकार ने उन्हें बहाल कर दिया था। इसके बाद मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और पुलिसकर्मियों को पेंशन सुविधा देने से रोक लगाई, साथ ही एक आईपीएस अधिकारी को डिमोट करने का आदेश दिया।

अहमदाबाद में ट्रायल शुरू हुआ। हालांकि बिलकिस बानो ने आशंका व्यक्त की कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई द्वारा एकत्र किए गए सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के अपने आदेश में आरोपी व्यक्तियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए मामले में सात लोगों को बरी करने को भी खारिज कर दिया था।

Next Story

विविध