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गोरखपुर में दलित नाबालिग की मौत मामले में पिता ने कहा पुलिस हिरासत में टॉर्चर से हुई मौत, माले ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
मृतक किशोर शुभम के परिजन
लखनऊ, जनज्वार। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने गोरखपुर में बांसगांव थानांतर्गत बिशुनपुर गांव के दलित नाबालिग छात्र की मौत मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। गौरतलब है कि 14 वर्षीय दलित नाबालिग किशोर शुभम की पिछले तीन नवंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी।
भाकपा (माले) के पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार 9 नवंबर को फैक्ट फाइंडिंग टीम के दौरे की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि योगीराज में दलित उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है। पीड़ितों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह भयानक स्थिति है।
इसके पहले, माले की चार सदस्यीय टीम ने राज्य समिति सदस्य राजेश साहनी के नेतृत्व में मृतक के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की और शोक संवेदना प्रकट की।
मृतक के पिता मुन्ना ने माले टीम से कहा कि उनका पुत्र हाईस्कूल का छात्र था। उसकी मौत का प्रमुख कारण अवैध हिरासत में पुलिस पिटाई है। उसे चार दिन तक हिरासत में रखकर मारा पीटा गया और बाल सुधार गृह भेजने के बजाय बालिग दिखाकर जेल भेजा गया, जहां उसे उचित इलाज नहीं मिला और गोरखपुर जेल से मेडिकल कालेज ले जाते हुए मौत हो गई।
माले टीम को मृतक शुभम के परिजनों ने बताया कि उनके विरोधी ने दो लड़कों के बीच मारपीट के एक मामले में धारा 307 में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने पिछले 11-12 अक्टूबर की आधी रात घर पर छापा डाला और चैनल गेट तोड़कर शुभम को उठा ले गयी। चार दिन तक हिरासत में रखकर पिटाई की गई। तत्पश्चात जेल भेज दिया गया। प्रशासन उसकी मौत की वजह पिटाई नहीं, बल्कि बीमारी बता रहा है। माले टीम से परिजनों ने बांसगांव थानाध्यक्ष के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग उठाई।
परिजनों के अनुसार विरोधी पक्ष विदेश भिजवाने के नाम पर कई लोगों से पैसे ले चुका है और विदेश न भेज पाने पर पैसा वापस करने में आनाकानी करता है। परिजनों ने विरोधी पक्ष और पुलिस के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया।च दल में राजेश साहनी के अलावा इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, रामप्रवेश व चंद्रिका शामिल थे।