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जनज्वार इम्पैक्ट : लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर पहुंचे किन्नरों की मदद को आगे आये लोग
जनज्वार में किन्नरों की बदहाली की ग्राउंड रिपोर्ट आई सामने तो मदद को आगे आये हाथ
तामेश्वर सिन्हा
कांकेर, जनज्वार। लॉकडाउन में मुश्किलों से जूझ रहे रोजी-रोटी की समस्या पर जनज्वार ने ग्राउंड रिपोर्ट की थी, जिसके बाद उनकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़े हैं।
जनज्वार ने छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत किन्नरों के आर्थिक संकट पर ग्राउंड रिपोर्ट पढ़कर-देखकर कांकेर जिले के समर्थन शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्था सरोना, जिला कांकेर द्वारा "खुशियों की सौगात - किन्नर मां के साथ" लाइन से एक अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य शहरों से दूर, सुख सुविधाओं से वंचित वनांचल में रहने वाले किन्नरों की जिंदगियों में खुशियां लाने से है।
संस्था के पदाधिकारी नीलेश गोलछा ने कहा, जब संस्था के पदाधिकारियों को जनज्वार की रिपोर्ट के माध्यम से कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र में रह रहे किन्नर साथियों के हालात के बारे में पता चला जिसमें दूसरों की खुशियों में अपनी खुशियां ढूढ़ने वाली किन्नर साथी लॉकडाउन की अवधि में दाने-दाने को मोहताज हैं तो हमने इस अभियान की शुरुआत की। किन्नर हमारे समाज के ऐसे लोग हैं जो खुद का जीवनयापन बड़ी मुश्किलों से कर रहे हैं। फिर भी 8 से 10 अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी खुद पर लेते हुए उन्हें पाल रहे हैं। इनमें से कुछ बच्चे तो इतने छोटे हैं कि जिनके लिए प्रतिदिन दूध की आवश्यकता होती है और उनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से दूध की पूर्ति कर पाना भी मुश्किल है। कुछ किन्नर ऐसे भी है, जिनके इलाज में 10000 रुपये प्रतिमाह खर्च होता है।
संस्था के अध्यक्ष शशांक राव, सचिव निलेश गोलछा, कोषाध्यक्ष गोपाल हिरवानी के प्रयासों से किन्ररों को राशन सामग्री एवं सहयोग राशि प्रदान की गई। इनके सहयोग के लिए संस्था के उपाध्यक्ष नीरज फब्यानी एवं ग्रामवासी देवेंद्र साहू, हरीश साहू ने किन्नरों को सूखा राशन प्रदान किया गया।
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संस्था के पदाधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि किन्नरों की सहायता के लिए आगे आयें और अपना योगदान दें, ताकि समाज मे इन्हें भी वो सम्मान मिल सके, जिसके वे हकदार हैं। यदि कोई भी व्यक्ति इनके लिए सहयोग करना चाहता है तो निम्न नंबर शशांक राव 8269493685, निलेश गोलछा 9425227827, गोपाल हिरवानी 9098291280 इन नम्बरों में संपर्क कर अपना सहयोग दे सकते हैं।
गौरतलब है कि मांगलिक कार्यों के दौरान लोगों के घरों में जाकर नाचने-गाने और आशीर्वाद देकर आजीविका कमाने वाले किन्नरों की तालियां लॉकडाउन में गुम हो गयी है। समाज की मुख्यधारा से अलग किन्नर समुदाय हमेशा दूसरों की खुशियों में महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है, लेकिन आज जब उनके ऊपर संकट आया तो किसी ने मदद नहीं की। दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूंढ़ने वाले किन्नरों पर भी कोरोना ने कहर ढाया है।
छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में लॉकडाउन की वजह से किन्नरों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। शादी एवं पारिवारिक कार्यक्रम न होने की वजह से गीत-संगीत का काम पूरी तरह से बंद है। काम बंद होने की वजह से आय का स्त्रोत पूरी तरह से शून्य हो गया है।