भारत बंद : आंदोलन में उतरे दर्जनभर ट्रेड यूनियनों में RSS से जुड़ा मजदूर संघ नहीं शामिल, बताया राजनीतिक हड़ताल
(मोदी सरकार के खिलाफ BMS का देशव्यापी प्रदर्शन )file photo
जनज्वार। दिल्ली समेत आसपास के राज्यों के किसान आंदोलन के बाद अब ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल घोषित की है। हालांकि 10 ट्रेड यूनियनों ने आज 26 नवंबर की हड़ताल के लिए पहले ही संयुक्त बयान जारी कर दिया था।
संयुक्त बयान जारी करने वाली केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में 'इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।
वहीं आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ने इस हड़ताल में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। बीएमएस ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि बीएमएस और इसकी इकाइयां 26 नवंबर 2020 को राजनीतिक रूप से प्रेरित हड़ताल में भाग नहीं लेंगी।
पश्चिम बंगाल में भी बंद का व्यापक असर होने की संभावना है। हड़ताल की वजह से जूट, पोर्ट, चाय, कोयला सेक्टर में कामकाज ठप हो सकता है। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार ने रोस्टर के मुताबिक अपने कर्मचारियों को काम पर बुलाया है। मजदूर संगठनों के मुताबिक दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंक, बीमा और परिवहन क्षेत्र के कर्मचारी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।
मजदूर संगठनों के संयुक्त फोरम ने कहा कि 26 नवंबर की अखिल भारतीय हड़ताल के लिए तैयारियां जोरों पर हैं, और वे उम्मीद करते हैं कि 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी इस बार हड़ताल में हिस्सा लेंगे। मजदूर संगठनों की इस हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं। इस हड़ताल में तीन बैंकिंग संगठनों ने शामिल होने का ऐलान किया है। इनमें ऑल इंडिया बैंक इम्पलॉयी एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक इम्पलॉयी फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता शामिल हैं।
ऑल इंडिया बैंक इम्पलॉयी एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर कहा है कि संसद द्वारा 'एज ऑफ बिजनेस' के नाम पर पास कानून कॉरपोरेट के फायदे के लिए हैं। बैंक संगठनों का आरोप है कि नए श्रम कानून के दायरे से 75 कामगारों को बाहर रखा गया है। बैंक कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से आज बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।