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फर्जी मुकदमे के बल पर अंडिका बाग के किसानों-मजदूरों की आवाज को दबाना चाहता है आजमगढ़ प्रशासन, पवई थाने में पुलिस ने दर्ज करवाई FIR

Janjwar Desk
16 May 2023 4:30 PM IST
फर्जी मुकदमे के बल पर अंडिका बाग के किसानों-मजदूरों की आवाज को दबाना चाहता है आजमगढ़ प्रशासन, पवई थाने में पुलिस ने दर्ज करवाई FIR
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file photo

Azamgarh news : हम अपनी जमीन पर धरने पर बैठे हैं, उसकी पहरेदारी कर रहे हैं कि इसको कोई लूट कर न ले जाए। क्या अपने समान की सुरक्षा करना अपराध है। अपनी जमीन बचाने के लिए भी क्या इजाजत ली जाएगी। घर में लूट हो रही हो तो क्या पुलिस से इजाजत लेकर होगा विरोध...

Azamgarh news : पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र और पार्क के नाम पर किए गए सर्वे के विरोध में अंडिका बाग में चल रहे धरने के किसान नेता वीरेंद्र यादव समेत अन्य ग्रामीणों के खिलाफ पवई थाने में मुकदमा दर्ज करने पर आंदोलनकारियों ने विरोध दर्ज किया। आंदोलनकारियों ने कहा कि मुकदमा, जेल से डरने वाले नहीं हैं, किसी भी कीमत पर एक इंच जमीन नहीं देंगे।

पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव विरेंद्र यादव ने कहा कि फर्जी मुकदमा दर्ज करके आंदोलनरत महिलाओं की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। खिरिया बाग में भी उनके समेत मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, किसान नेता राजीव यादव और आंदोलनकारी महिलाओं पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

अंडिका बाग में धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अंडिका बाग में पिछले 56 दिन से लगातार धरना चल रहा है, जिसके बारे में लगातार खुफिया विभाग के लोग हमसे बात करके सूचनाएं सरकार को भेज रहे हैं। यह धरना तब शुरू हुआ जब एसडीएम फूलपुर से पूछा गया कि किस आधार पर सर्वे किया जा रहा है और उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम। सवाल तो यहां पर यह है कि जिन लोगों ने फर्जी सर्वे करके गांव वालों का जीना दूभर कर दिया है, उनके खिलाफ मुकदमा होता। लेकिन ग्रामवासियों पर मुकदमा करके सरकार ने साबित कर दिया है कि वह किसान और मजदूर विरोधी है।

उन्होंने कहा कि 8 मई को 188 और 353 धाराओं में दर्ज एफआईआर में लिखा गया है कि सर्वे का विरोध कर रहे हैं। सवाल है कि प्रशासन आखिर क्यों नहीं इस सवाल को हल करता और जो यह कहा गया है कि लोगों से नाम पता पूछा गया तो चले गए ऐसा बिल्कुल नहीं। हम अपनी जमीन पर धरने पर बैठे हैं, उसकी पहरेदारी कर रहे हैं कि इसको कोई लूट कर न ले जाए। क्या अपने समान की सुरक्षा करना अपराध है। अपनी जमीन बचाने के लिए भी क्या इजाजत ली जाएगी। घर में लूट हो रही हो तो क्या पुलिस से इजाजत लेकर होगा विरोध।

29 मई को किसान पंचायत भी हुई थी जिसे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय, जन आंदोलन की नेता अरुंधति धूरु, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अध्यक्ष राम कैलाश कुशवाहा, किसान नेता राजीव यादव आदि ने संबोधित किया था। पिछले 216 दिन से चल रहे खिरिया बाग आंदोलन में भी विरेंद्र यादव, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, किसान नेता राजीव यादव और खिरिया बाग की आंदोलनकारी महिलाओं किस्मती, नीलम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।

यह मुकदमा तब हुआ जब किसान नेता राजीव यादव और अधिवक्ता विनोद यादव का वाराणसी से आते वक्त आजमगढ़ एसटीएफ क्राइम ब्रांच द्वारा अपहरण कर लिया गया था। इंसाफ के लिए महिलाएं एसपी आजमगढ़ के यहां गयी थीं तो उनको परिसर में नहीं घुसने दिया जा रहा था। इस महिला विरोधी कृत्य के खिलाफ महिलाओं ने आवाज उठाई तो मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया। सवाल यह है कि अंडिका बाग से लेकर खिरिया बाग, जंतर मंतर तक महिलाएं इंसाफ मांग रही हैं और उन पर जिस तरह से मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं उससे साफ होता है कि सरकार महिला विरोधी है और मुकदमों के बल पर वह इंसाफ की आवाजों को कुचलना चाहती है।

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