CAA-NRC : सामाजिक कार्यकर्ता जैनब सिद्दीकी के घर बिना नोटिस पहुंच दर्जनभर पुलिसवालों ने की मारपीट, परिवार को ले गये उठाकर
कोर्ट की चेतावनी के बावजूद योगी सरकार ने फिर से लगाये थे लख़नऊ में सीएए प्रदर्शनकारियों के पोस्टर
जनज्वार, लखनऊ। पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर दर्जनों केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता लोकतंत्र की दुहाई देते घूम रहे थे। खुद यूपी के सीएम योगी अदित्यनाथ ने ट्वीट करके अर्णब की गिरफ्तारी को कांग्रेस का आपातकाल तक करार दिया था, लेकिन कल 5 नवंबर की रात जो लखनऊ में हुआ, आखिर वो कौन सा लोकतंत्र है। योगी आदित्यनाथ इसकी दुहाई क्यों नहीं देते, जो उनकी पुलिस कर रही है।
लख़नऊ की सामाजिक कार्यकर्ता ज़ैनब सिद्दीकी के घर अचानक पहुंचकर हसनगंज थाने की पुलिस द्वारा उनके माता पिता और छोटे छोटे भाई बहनों को बुरी तरह मारने और उनके माता पिता को थाने पर बैठाने का आरोप है। यूपी पुलिस ने ये तब किया जबकि जैनब का नाम सीएए विरोधी उन आंदोलनकारियों में भी शामिल नहीं है, जिनकी लिस्ट योगी सरकार ने जारी की थी। जैनब के पिता को अभी खबर लिखे जाने तक भी पुलिस ने अपनी हिरासत में रखा हुआ है, जबकि उनके नाबालिग भाई को छोड़ दिया गया है।
इस मामले में जैनब सिद्दीकी ने जनज्वार को बताया कि उनके घर पुलिस ने आकर पूछा कि क्या आपकी बेटी CAA और NRC आंदोलन में है तो परिवार वालों ने कहा कि वो तो महिला संगठन में काम करती हैं, जिसके बाद वो लौट गए और 1 से 1.30 घंटे बाद लौट के आए और लाठी-डंडे से मारना शुरू कर दिया। जैनब की छोटी-छोटी बहनें हैं, उन्हें सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए जैनब के पापा को 10 से 15 पुलिस वाले पकड़ कर हसनगंज थाने ले गए। बहन और मां को भी थाने में बिठा कर रखा गया।
जैनब कहती हैं, मेरे परिवार पर पुलिस की ये दमनात्मक कार्रवाई तब हुई है, जबकि मेरा नाम सीएए विरोधियों यानी हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराये गये लोगों में शामिल नहीं है। मैं हमसफर नाम के एक सामाजिक संगठन से जुड़ी हूं और महिलाओं—बच्चियों के लिए काम करते हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि पुलिस ने इस तरह मेरे घर पर धावा क्यों बोला, मेरे माता—पिता, भाई—बहनों के साथ मारपीट की। मेरे नाबालिग भाई को तक उठाकर ले गये और पिता अभी भी पुलिस के कब्जे में हैं।
इस मामले में रिहाई मंच ने कहा है, राजधानी लखनऊ में तानाशाही का दौर शुरू हो चुका है। पहले बुधवार-गुरुवार की रात सीएए आंदोलन में शामिल लोगों के पोस्टर दीवारों पर लगवाए गए, फिर पुलिस ने लोगों को घरों के अंदर से उठाना शुरू किया। इस दौरान औरतों—महिलाओं को मारा पीटा भी गया। ये सब यूपी के योगीराज में चल रहा है। जब कोरोना को देखते हुए औरतों ने आंदोलन खत्म कर दिया था तो अब ये सब क्या ड्रामा किया जा रहा है।
जैनब के परिवार के साथ योगी पुलिस की इस कार्रवाई पर रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने अपील जारी की थी, लखनऊ के साथियों से अपील है हसन गंज थाना पहुचें। लख़नऊ की सामाजिक कार्यकर्ता ज़ैनब सिद्दीकी के घर पुलिसिया दमन, माता-पिता और छोटे भाई-बहनों को बुरी तरह मारा-पीटा, माता-पिता को हसनगंज थाने ले गई पुलिस, अभी भी वे थाने में हैं।
राजीव यादव ने कहा, इस पुलिसिया दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए हमारा मंच जैनब के परिजनों की सुरक्षा और तत्काल रिहाई की मांग करता है। बिना कारण बताए गैरकानूनी तरीके से किसी को ले जाना गलत है। यह परेशान करने के मकसद से लोगों कि आवाज़ का दमन करने के लिए किया जा रहा। योगी पुलिस संविधान-लोकतंत्र को ताक पर रखकर दमन की कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत फिर से नागरिकता आंदोलन के नाम पर लोगों के होर्डिंग-पोस्टर लगवा रही है, जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट भी यूपी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा चुका है।
गौरतलब है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में पिछले साल दिसंबर में सीएए-एनआरसी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन के बाद योगी सरकार का प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ ऐक्शन लगातार जारी है। हिंसा में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में लखनऊ पुलिस पिछले दिनों में कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
कई आरोपियों की संपत्ति कुर्क कर प्रदर्शन में हुए नुकसान की भरपाई की गई है। इसी क्रम में कमिश्नरेट पुलिस ने गुरुवार 5 नवंबर को प्रदर्शनकारियों पर इनाम घोषित कर जगह-जगह इनके पोस्टर लगवा दिए है। इ
यहां लगे थे पोस्टर
लखनऊ के थाना ठाकुरगंज में दर्ज मुकदमे के तहत मौलाना सैफ अब्बास सहित 14 अन्य आरोपियों के पोस्टर लगाए गए हैं। पुलिस की मानें तो जिन प्रदर्शनकारियों पर इनाम घोषित है, इनमें से 8 को गैंगस्टर के मुकदमे में वांटेड घोषित किया गया है। इन आरोपियों के घरों के बाहर पुलिस ने नोटिस भी चस्पा करवा दिया है। पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल रहे आरोपी जैनब सिद्दीकी के पिता नईम को हिरासत में ले लिया है। नईम ने पुलिस पर अपने व भाई बहन के साथ मारपीट का आरोप लगाया है।
लखनऊ पुलिस ने आरोपियों की तलाश के लिए पुराने लखनऊ सहित विभिन्न इलाकों में पोस्टर लगाए हैं। बताया जा रहा है कि आरोपियों के घरों के बाहर पोस्टर और नोटिस भी चस्पां की गई हैं। फरार आरोपियों की तलाश के लिए पुलिस उनके संभावित ठिकानों पर दबिश भी दे रही है। आरोपियों को पकड़ने की बजाय औरतों महिलाओं से बदतमीजी व मारपीट के मामले सामने आ रहे हैं।
पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए-एनआरसी को लेकर बेहद उग्र और हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस मामले में पुलिस ने 287 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इनके खिलाफ आगजनी, तोड़फोड़, मारपीट, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम व सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
उपद्रवियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी थी और आम लोगों पर जानलेवा हमले किये थे। प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने आगजनी सहित तोड़फोड़ और पथराव भी किया था। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शन में हुए नुकसान की भरपाई के लिए आरोपियों से ही वसूली करने के निर्देश दिए थे।