भारतीय किसान यूनियन एकता हमारा संगठन नहीं, आंदोलन को बदनाम करने की हो रही साजिश- संयुक्त किसान मोर्चा
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसान इन कानूनों को वापस लेने तक अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। हाल ही में एक खबर सामने आयी थी जिसमें दावा किया जा रहा था कि किसान आंदोलन में दिल्ली दंगा और भीमा कोरेगांव के आरोपियों की रिहाई की मांग की गई थी। ये मांग भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के सदस्यों के द्वारा की गई थी। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान यूनियन एकता को लेकर दावा किया है कि वह संगठन हमारा हिस्सा नहीं हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता में हमारी मांगों में कभी भी इन आरोपियों की रिहाई की मांग नही की गई। न ही गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई वार्ता में इस बात कोई जिक्र हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा केवल दो ही मुद्दों पर सरकार से बातचीत की थी।
शिव कुमार कक्का ने दावा किया कि किसान संगठन उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने वार्ता के दौरान मीटिंग रूम में उसकी नेम प्लेट देखी थी।
इस बारे में जब उगराहां से बात की तो उन्होंने बताया कि मुझे अमित शाह ने बुलाया है। मेरे पास दो बार उनका फोन आया था। कक्का जी ने इस पर कहा कि तुम्हें अकेले ही क्यों बुलाया है। इस पर उगराहां ने कहा कि वह पंजाब से आए 30 किसान संगठनों का हिस्सा नहीं हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि कुछ संगठन है जो किसानों के आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं जिसमें से किसान नेता वीएम सिंह भी है जिनका मोर्चा ने बहिष्कार कर दिया है। इसके साथ ही पंजाब से सतनाम सिंह पन्नू का संगठन, महाराष्ट्र से राजू शेट्टी का संगठन समेत कुछ अन्य संगठन है जो किसान आंदोलन की आड़ में अपना एजेंडा चला रहे हैं। इनका मंच और टेंट तक अलग है।