Farmer protest : एक दिन में दो किसानों की मौत से आंदोलन में निराशा, एक फांसी पर झूला तो दूसरे को आया हार्ट अटैक
जनज्वार। तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन में शामिल एक और किसान ने फांसी लगाकर कल 6 फरवरी को आत्महत्या कर ली। इसके अलावा एक और किसान की मौत हो गई। दूसरे किसान की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई बताई जा रही है। आत्महत्या करने वाला किसान कुछ ही दिन पहले आंदोलन में शामिल हुआ था। आत्महत्या करने वाले किसान के साथ मौजूद आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि पिछली रात वह बेहद निराश था और निराशा भरी बातें भी कर रहा था।
कृषि बिल से निराश किसान ने कल 6 फरवरी की देर रात टिकरी बॉर्डर में फांसी लगाकर जान दे दी। आत्महत्या करने वाला किसान जींद के सिंहवाला का रहने वाला बताया जा रहा है, जिसकी उम्र लगभग 50 साल थी। जानकारी के मुताबिक कर्मवीर पुत्र दरियाव सिंह ने शहर के बाईपास स्थित नए बस स्टैंड के पास एक पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी।
आज सुबह किसानों को उसका शव पेड़ से फंदे पर लटका मिला। मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है कि 'भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देती जा रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं है कि ये काले कानून कब रद्द होगा।'
सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे, हम यहां से नहीं जाएंगे। फांसी के फंदे में कर्मवीर का शव लटकता देख साथी किसानों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने किसानों की मौजूदगी में शव को फंदे से उतारा और पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल में भिजवा दिया। मृतक किसान के परिजनों को भी सूचना दी गई है।
सिविल अस्पताल में कर्मवीर के परिजनों के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। किसानों ने बताया कि कर्मवीर किसानों की मांगें सरकार की ओर से पूरी न किए जाने से परेशान चल रहा था।
टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए आज 7 फरवरी की सुबह बहुत निराश करने वाली रही। सुबह तड़के एक किसान फांसी के फंदे पर लटका मिला। वहीं दूसरे किसान को दिल का दौरा पड़ गया। किसान सुखमिंदर सिंह उम्र 60 साल गांव दूरकोट जिला मोगा के रहने वाले थे। किसान नेताओं का कहना है कि दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई है।