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आंदोलन

उत्तराखण्ड की आशाओं में बढ़ रही सरकार के रवैये से निराशा, 12 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल

Janjwar Desk
9 Aug 2021 5:01 PM GMT
उत्तराखण्ड की आशाओं में बढ़ रही सरकार के रवैये से निराशा, 12 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल
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(अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करतीं आशा वर्कर्स)

एक्टू नेता कैलाश पाण्डेय ने बताया कि यह हड़ताल सरकार की आशाओं के प्रति गलत नीतियों से उपजी है इसलिए सरकार को तत्काल आशा यूनियन के प्रतिनिधियों को पहले ही वार्ता के लिए आमंत्रित करना चाहिए था....

जनज्वार/हल्द्वानी। राज्य में आशाओं को मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने सहित बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही आशाओं की राज्यव्यापी बेमियादी हड़ताल के आठवें दिन सरकार ने सुध लेते हुए उन्हें वार्ता के लिए बुला लिया है।

उत्तराखण्ड के विभिन्न शहरों में ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशाओं का यह आंदोलन सोमवार को आठवें दिन भी जारी रहने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के मौके पर दिल्ली आशा कामगार यूनियन से जुड़ी दिल्ली की आशा वर्कर्स ने भी उत्तराखंड में हड़ताल कर रही आशाओं का समर्थन किया था।


एक्टू नेता कैलाश पाण्डेय ने बताया कि "यह हड़ताल सरकार की आशाओं के प्रति गलत नीतियों से उपजी है इसलिए सरकार को तत्काल आशा यूनियन के प्रतिनिधियों को पहले ही वार्ता के लिए आमंत्रित करना चाहिए था। सरकार को जनता व स्वास्थ्य विभाग के व्यापक हित में आशाओं की माँगों को मानते हुए उनको मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा देने की घोषणा करनी चाहिये।"

लेकिन सरकार ने एक हफ्ते तक इस आंदोलन की सुध नहीं ली। लगातार बढ़ते दवाब के बाद सरकार ने आशाओं को सोमवार कज शाम वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा है। जिसके बाद आशाओं के कुमाऊं व गढ़वाल दोनों मंडलो के प्रतिनिधि सरकार से वार्ता करने जा रहे हैं।

इधर आशा नेताओं का कहना है कि, "कोरोना की तीसरी लहर की चर्चा के बीच सरकार को चाहिए कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करे और इस स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ आशाओं के श्रम का सम्मान करते हुए उनकी बात सुने।

अगर इस बार भी सरकार ने आशा वर्कर्स की जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो इस बार इसके खिलाफ पूरे राज्य की आशाएँ एक साथ इस बार आरपार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगी। अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ रही आशाएँ एकता और संघर्ष के बल पर अवश्य जीतेंगी। राज्य के मुख्यमंत्री तत्काल आशाओं की मासिक वेतन की मांग को पूरा करें अन्यथा हड़ताल जारी रहेगी।"

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