किसान नेता चढूनी बोले, PM मोदी अपने मन की बात थोपने के बजाय सुनें दूसरों के मन की बात
दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 27 दिसंबर को जब अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे थे, तब आंदोलन की राह पकड़े किसान थाली और ताली बजाकर अपना विरोध जता रहे थे।
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की। गुरनाम सिंह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हैं और किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं।
हरियाणा के रोहतक जिला स्थित मकड़ोली टोल पर थाली बजाकर 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम का विरोध करते हुए किसान नेता सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने मोदी को संबोधित करते हुए कहा, 'हम आपके मन की बात से राजी नहीं हैं। आप अपने मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरों की बात नहीं सुनते हैं।' किसान नेता गुरनाम सिंह ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की।
किसान आंदोलन का रविवार 27 दिसंबर को 32वां दिन है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा स्थित सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर हैं उनका कहना है कि ये कानून किसानों के हितों में नहीं है, जबकि सरकार का कहना है कि विपक्षी राजनीतिक दल उन्हें गुमराह कर रहे हैं।
किसान और सरकार के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन मसले का समाधान तलाशने में दोनों पक्ष विफल रहे हैं। अगले दौर की वार्ता 29 दिसंबर को प्रस्तावित है। सरकार के आग्रह पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठनों के नेताओं की ओर से अगले दौर की वार्ता की तिथि और समय बताते हुए शनिवार 26 दिसंबर को एक चिट्ठी भेजी गई है, जिसमें वार्ता के लिए चार मुद्दे भी सुझाए गए हैं।
ये मुद्दे इस प्रकार हैं
—तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि
—सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए गए लाभदायक एमएसएपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
—राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और
—किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव।
किसान नेता डॉ. दर्शनपाल से जब पूछा कि क्या अगले दौर की वार्ता इन शर्तों पर होगी तो उन्होंने कहा कि ये शर्तें नहीं बल्कि वार्ता का एजेंडा है, जोकि उन्होंने सरकार के आग्रह पर ही दिए हैं।
आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।