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आंदोलन

#BharatBandh मोदी सरकार के खिलाफ ऐसा पहला आंदोलन जिसका विस्तार सभी गैर एनडीए दलों, कलाकारों, खिलाड़ियों, छात्रों तक

Janjwar Desk
7 Dec 2020 11:37 AM GMT
#BharatBandh मोदी सरकार के खिलाफ ऐसा पहला आंदोलन जिसका विस्तार सभी गैर एनडीए दलों, कलाकारों, खिलाड़ियों, छात्रों तक
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छह दिसंबर को कोलकाता में किसानों के बंद के समर्थन में मार्च निकालने के बाद विरोध जताते लोग।

कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार घिर चुकी है। पहली बार मोदी सरकार के खिलाफ किसी आंदोलन ने इतना विस्तृत स्वरूप लिया, जिसे न सिर्फ सारे गैर एनडीए दलों का समर्थन मिल रहा है, बल्कि फिल्मी कलाकार, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, खिलाड़ी व छात्र भी इस आंदोलन के समर्थन में उतर आए हैं...

जनज्वार। नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में किसान आंदोलन के रूप में अबतक की सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रही है। पंजाब व हरियाणा के किसान के द्वारा 24 नवंबर से दिल्ली कूच करने से शुरू हुए इस आंदोलन के 14 दिन हो गए हैं। अब आठ दिसंबर का भारत बंद किसान आंदोलन का एक अहम मोड़ साबित होगा। मोदी सरकार से किसान नेताओं की अबतक की पांच दौर की वार्ता विफल रही है, जिससे आंदोलन लगातार तीव्र होता गया है। अब सरकार की उम्मीदें नौ दिसंबर को होने वाली वार्ता से जुड़ी हैं। अगर इस दिन भी सुलह की राह नहीं निकली तो आंदोलन का फैलाव देश के अधिक बड़े भौगोलिक भूभाग में होगा।

हालांकि नौ की वार्ता से पहले ही जब आठ को देशव्यापी भारत बंद होगा तो किसान आंदोलन देश के उस हर हिस्से को स्पर्श कर लेगा जो अबतक इससे दूर रहे हैं। इसकी वजह आंदोलन में सभी गैर एनडीए दलों का शामिल होना व बंद को समर्थन देना है। यानी जहां भाजपा या वह अपने सहयोगी दलों के साथ एनडीए के रूप में शासन कर रही है, वहां मुख्य विपक्षी दल बंद के समर्थन में हैं। जहां गैर भाजपा-गैर एनडीए दल सरकार में हैं, वहां सत्ताधारी दलों ने खुद बंद को सफल बनाने की अपील की है।


राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, झारखंड, केरल, पंजाब, तेलंगाना व पुड्चुरी ऐसे गैर एनडीए शासित राज्य हैं, जहां की सत्ताधारी दलों ने बंद को समर्थन देने और इसको सफल बनाने का आह्वान किया है। दिचलस्प यह है कि कई मुख्यमंत्रियों ने खुद बंद की वजह और उसके समर्थन में ट्वीट किया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर यह बताया है कि भारत बंद की नौबत क्यों आयी है।

उधर, झारखंड के मुख्यमंत्री व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने मोदी सरकार के कृषि कानून को देश के मालिक किसान को गुलाम बनाने वाला बताया है और कहा है कि राज्य में इसके खिलाफ उलगुलान होगा। उन्होंने बंद को सफल बनाने का आह्वान किया है।


पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने भी बंद का समर्थन करते हुए सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है। यह अलग बात है कि चुनावी चिंताओं की वजह से वह कांग्रेस व वाम मोर्चा के साथ राज्य में प्रदर्शन के दौरान खड़ी नजर नहीं आएगी। उधर, महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवेसना-एनसीपी, तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी डीएमके ने बंद को सफल बनाने का आह्वान किया है।

ऐसा पहला आंदोलन जिसमें यूपीए के दायरे से बाहर के सभी दल एकजुट हैं

मोदी सरकार के साढे साल के कार्यकाल में यह ऐसा पहला आंदोलन है जो राजनीति पार्टियों द्वारा मोटिवेटेड नहीं है और उसमें दलों का दायर एनडीए विरोधी गठबंधन यूपीए तक सीमित नहीं है। अबतक समय-समय पर यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में होने वाले प्रदर्शन में यूपीए के घटक दल शामिल होते रहे हैं, लेकिन यह ऐसा पहला विरोध प्रदर्शन है, जिसका दायरा सभी गैर एनडीए दलों तक विस्तारित हो गया है।

कांग्रेस की अगुवाई में होने वाले विरोध प्रदर्शन से दूरी बनाए रखने वाले दो बड़े क्षेत्रीय दल तृणमूल कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होगी। के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति गैर यूपीए दल है जो इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होगी।

इसके साथ ही सपा, राजद, शिवसेना, डीएमके, झामुमो जैसे अपने-अपने सूबे में प्रभावी राजनीति दल अपनी पूरी ताकत इस विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने में झोकेंगे।

ममता बनर्जी ने पश्चिम मिदनापुर में एक रैली में कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए या सरकार से हट जाना चाहिए।

गैर कृषि, गैर राजनीतिक संगठन तक आंदोलन का विस्तार

किसानों के इस आंदोलन को देश के विभिन्न राज्यों के गैर किसान और गैर राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। छात्र संगठनों, लेखकों के संगठनों व कई कलाकारों ने भी किसानों का समर्थन किया है।

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट कर किसानों की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि हमारे किसान भारत के खाद्य सैनिक हैं। उनके डर को दूर करने की जरूरत है। उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की जरूरत है। एक संपन्न लोकतंत्र के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस संकट का जल समाधान हो।


पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टार बताए जाने वाले दिलजीत दोसांझ इस आंदोलन में खुल कर सक्रिय हैं और उनकी इसको लेकर अभिनेत्री कंगना राणावत से ट्विटर पर तीखी झड़प हो चुकी हैं। कई पंजाबी कलाकार इस आंदोलन के समर्थन में हैं।

पंजाब के 30 खिलाड़ियों का दल आज अवार्ड वापसी के लिए राष्ट्रपति भवन जा रहा था, जिन्हें पुलिस ने रोक दिया। पहलवान करतार सिंह ने कहा कि किसानों के समर्थन में पंजाब के 30 खिलाड़ी अवार्ड लौटना चाहते हैं। बाॅक्सर विजेंद्र ने भी किसानों के समर्थन में अवार्ड वापसी का ऐलान किया है।


सरकार का आरोप, विपक्ष अस्तित्व बचाने के लिए आंदोलन में कूदा

किसान आंदोलन के समर्थन का बढता दायर देख कर सरकार माथे पर पर भी बल पड़ गए हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर आज अपने अपेक्षाकृत अधिक तार्किक प्रवक्ता व मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा। रविशंकर ने कहा कि विपक्ष राजनीतिक वजूद बचाने के लिए इस आंदोलन में कूद गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष चुनाव हारता जा रहा है इसलिए वह अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में शामिल हो जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जो यूपीए सरकार ने किया था, वही आज मोदी सरकार कर रही है। हालांकि इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सवाल पूछा है कि कृषि कानून को लेकर कांग्रेस का क्या कसूर है।



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