NIA की छापेमारी के बाद PUCL प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद, विश्वविजय, सोनी आजाद और रितेश विद्यार्थी की गिरफ्तारी का भारी विरोध
प्रयागराज । भाकपा माले ने पीयूसीएल की प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद, एडवोकेट विश्वविजय, सोनी आजाद व रितेश विद्यार्थी सहित सभी मानवधिकारवादी और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की कड़ी निन्दा की। भाकपा माले के जिला प्रभारी सुनील मौर्य ने मानवधिकारवादी सीमा आजाद सहित सभी मानवधिकारवादी और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को भाजपा की फासीवादी चरित्र को उजागर करने वाली घटना बताया। उन्होंने मनुवादी फासीवादी भाजपा सरकार के इशारे पर एनआईए के दमन अभियान के खिलाफ तमाम मानवधिकारवादी, जनवादी ताकतों से एकजुट होकर आवाज बुलन्द करने की अपील किया है।
भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य अनिल वर्मा ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि फासिस्ट मोदी और योगी सरकार आगामी 2024 के चुनाव से पहले डरी हुई है, इसलिए किसी भी प्रकार के विरोध झेलने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है, जिस कारण विरोध करने वाले सभी मानवधिकारवादी, राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दमन कर रही है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि एनआईए निष्पक्ष सरकारी एजेंसी की तरह नहीं, बल्कि पूरी तरह से मनुवादी फासिस्ट भाजपा, आरएसएस की बी टीम की तरह काम कर रही है और एक खास विचारधारा की पक्षधर बन भाजपा आरएसएस के विरोधी राजनैतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ दमन और उत्पीड़न की कार्रवाई कर रही है।
गौरतलब है कि आज 5 सितंबर को NIA ने भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (BSM), BHU के दफ्तर, इलाहाबाद व आजमगढ़ में सुबह से छापामारी की थी। इस छापेमारी और गिरफ्तारियों पर कम्युनिस्ट फ्रंट ने भी बैठक कर कड़ा विरोध जताया है और तत्काल इस कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग उठायी है।
कम्युनिस्ट फ्रंट ने NIA की छापेमारी के खिलाफ प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी, इलाहाबाद व आजमगढ़ में सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के दफ़्तर व आवास पर NIA की छापेमारी-गिरफ़्तारी बताती है कि सरकार आंदोलनकारी ताकतों को डराना चाहती है व जनपक्षधर आंदोलनों को रोकना-खत्म चाहती है और इसके लिए एनआईए, ईडी, सीबीआई जैसे हर तरह की सरकारी एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि जनता, लोकतंत्र और देश के लिए बेहद चिंताजनक है।
कम्युनिस्ट फ्रंट के बनारस जिला संयोजक सागर गुप्ता ने कहा अभी 2024 का चुनाव सामने है, और उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में जनता भाजपा की जनविरोधी नीतियों से त्रस्त है। जनता का गुस्सा बढ़ रहा है और इससे डरी हुई सरकार जन आंदोलनों को टारगेट कर रही है, दमन कर रही है, UAPA जैसे काले कानूनों का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है और ATS-NIA जैसी एजेंसियां तो अब संघ-भाजपा के संगठन के बतौर काम करने लगी हैं।
वहीं रूपनारायण पटेल ने कहा कि आतंकी और नक्सली कनेक्शन के नाम पर ख़ासकर उत्तर प्रदेश में जिस तरह से अल्पसंख्यकों व जनांदोलन की ताकतों का दमन किया जा रहा है वो हिटलरी तरीकों की याद ताज़ा कर दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि योगीराज में उत्तर प्रदेश को फासिस्ट कार्यवाहियों के मॉडल के बतौर विकसित किया जा रहा है।
कम्युनिस्ट फ्रंट की शहजादी बानो ने कहा कि सरकार को इस मुगालते में बिल्कुल ही नही रहना चाहिए कि NIA की छापेमारी-गिरफ़्तारी से सामाजिक-राजनीतिक कार्यककर्ता तनिक भी डरने वाले हैं, बल्कि आने वाले समय में और ज्यादा ताकत के साथ सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे और हर हाल में मोदी सरकार को 2024 में जाना ही होगा।