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आंदोलन

झारखंड में एक ही विभाग के समान पद पर काम करने वाले संविदाकर्मियों के वेतन में भारी विसंगतियां, हेमंत सरकार को आंदोलन की चेतावनी

Janjwar Desk
5 Aug 2023 11:17 AM GMT
Jharkhand में हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने पर बैन के हालात में भाजपा कर सकती है सत्ता में वापसी की कोशिश, पर कैसे?
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Jharkhand में हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने पर बैन के हालात में भाजपा कर सकती है सत्ता में वापसी की कोशिश, पर कैसे?

Jharkhand news : पूरे राज्य में यह चर्चा है कि सरकार की इच्छा-शक्ति राज्य के कल्याण में नहीं है। सरकार अधिकारियों के चंगुल में फंस कर अपनी लोकप्रियता को लगातार खत्म कर रही है। छात्र, युवा, बेरोजगार, दलित, आदिवासी यानी हर वर्ग में सरकार ने अपना जनाधार खो दिया है...

विशद कुमार की रिपोर्ट

Jharkhand news : झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ झारखण्ड केंद्रीय समिति की एक बैठक विक्रांत ज्योति की अध्यक्षता में 4 अगस्त को की गई। बैठक का संचालन महासंघ के केंद्रीय संयुक्त सचिव सुशील कुमार पांडेय ने किया।

बैठक में हेमन्त सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल की समीक्षा करते हुए कहा गया कि जिन परिस्थितियों में पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में इस विश्वास के साथ वर्तमान हेमंत सरकार को संविदा संवाद के बाद मुद्दा आधारित समर्थन दिया था कि हेमंत सरकार राज्य के तमाम 45 छोटे बड़े संघो के संविदाकर्मियों के कल्याण के लिए काम करेगी, मगर सरकार के 3.5 वर्ष के कार्यकाल के बाद भी संविदाकर्मियों को निराशा ही हाथ लगी।

अब संविदाकर्मियों के बीच उनके प्रति सरकारी उदासीनता से व्यापक असंतोष और विद्रोह की स्थिति पैदा हो रही है। उन्हें अब ऐसा महसूस होने लगा है कि सरकार बदलने का कोई फायदा राज्य की जनता और कर्मियों को नहीं मिला। पूरे राज्य में यह चर्चा है कि सरकार की इच्छा-शक्ति राज्य के कल्याण में नहीं है। सरकार अधिकारियों के चंगुल में फंस कर अपनी लोकप्रियता को लगातार खत्म कर रही है। छात्र, युवा, बेरोजगार, दलित, आदिवासी यानी हर वर्ग में सरकार ने अपना जनाधार खो दिया है।

वर्तमान हेमंत सरकार ने पारा शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा अन्य की सेवा शर्त नियमावली बनाई जिसका कर्मियों ने स्वागत किया, लेकिन जारी नियमावली में वेतनमान, महंगाई भत्ता, इपीएफ, स्वास्थ्य बीमा, भविष्य निधि, सेवा निवृति के बाद पेंशन और एक सरकारी कर्मी को देय महत्वपूर्ण मानवीय सुविधाओं को बिना किसी तार्किक आधार पर काट दिया गया। उल्टे पारा शिक्षकों को मात्र 10 %वार्षिक मानदेय वृद्धि के लिए लोहे के गेट को भेदने के समान आकलन परीक्षा का प्रश्न पूछकर षड्यंत्र किया गया और आम जनता में इमेज खराब करने का प्रयास किया गया है।


इसके साथ साथ बिना टेट और बिना किसी परीक्षा के पास किए ही अल्पसंख्यक विद्यालय के शिक्षकों को 4200/4600 रू. ग्रेड को यथावत बहाल रखना और बहुसंख्यक शिक्षकों का ग्रेड सीधे आधे 2400/2800 रुपये मात्र कर अन्यायपूर्ण भेदभाव की बीज रखने से भी शिक्षक समाज में गहरा असंतोष पनप गया है।

राज्य सरकार द्वारा एक ही विभाग के संविदाकर्मियों के समान पद कोटि को देय मासिक मानदेय में काफी भिन्नता और विसंगतियां हैं। जैसे समाज कल्याण के दो अंग बाल विकास एवं मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण समान पदकोटि के संविदाकर्मियों के कर्मियों के देय मानदेय में भारी विसंगतियां हैं। बाल विकास का आदेशपाल मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण के तृतीय कोटि के कर्मियों से ज्यादा मानदेय प्राप्त करता है। इस विषय पर कई बार आवेदन निवेदन के बाद भी इसमें सुधार नहीं हुआ। यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सलय को देश भर में 1/04/2022 से लागू कर अपना 60 % केन्द्र की राशि झारखण्ड सरकार को देने के बाद भी झारखंड में इसे एक वर्ष विलम्ब से 1/04/2023 से लागू कर इस योजना के संविदाकर्मियों का एक वर्ष एरियर की राशि की हकमारी कर ली गई है, जो काफी दुःखद है।

जिन संविदाकर्मियों को ग्रेड पे महंगाई भत्ता और संविदा भता मिलता है उसके बारे में सरकार यह तर्क देती है कि जिन कर्मियों के नियुक्ति नियमावली के वित्त विभाग के पत्रांक -4569/ दिनाँक 05/07/2002 से हुई है, उन्हें ही यह ग्रेड पे और महंगाई भत्ता दिया जाता है। सवाल उठता है कि आखिर उक्त वर्णित वित्त विभाग के पत्रांक / संकल्प में अन्य शेष संविदाकर्मियों को शामिल करने से कौन रोक रहा है? आखिर 3 वर्ष पूर्व इसी उद्देश्य से बनी उच्च स्तरीय कमिटी ने अब तक इस दिशा में कोई पहल क्यों नहीं की?

उक्त वित्त विभाग के संकल्प के बाद निर्गत नियुक्ति नियमावली में प्रासंगिक पत्र का नहीं उल्लेख करने की सजा लाखों संविदाकर्मियों को बिना वजह देना नैसर्गिक न्याय से वंचित रखने के समान नहीं है, जबकि झारखण्ड सरकार द्वारा ऐसे विसंगतियों को सुधारने के लिए विकास आयुक्त झारखण्ड की अध्यक्षता में कार्मिक के पत्रांक 4011 / दिनांक 18/08/2020 में एक उच्च स्तरीय कमिटी भी बनाई है, जो अपने उद्देश्य की पूर्ति करने में असमर्थ नहीं है। इस कमिटी ने संविदाकर्मियों के किसी भी दर्द को आज तक दूर करना तो दूर, संविदाकर्मियों के साथ कोई संवाद या विमर्श भी नहीं किया।

अपनी मांगों की पूर्ति के लिए सहायक अध्यापकों, मनरेगा कर्मचारियों, स्वास्थ्य विभाग के (nrhm nhm), पोषण सखी, ग्राम पंचायत स्वयं सेवक, रसोईया, स्वस्छ भारत मिशन, sbm ,Brp, crp, जल सहिया, स्वास्थ्य सहिया, कस्तूरबा विद्यालय के घण्टी आधारित संविदा शिक्षक सहित राज्य के तमाम संघो ने आंदोलन किया मगर इस अवधि में सरकार के प्रतिनिधियों के साथ सपंन्न वार्ता में बनी सहमति आज तक लागू नहीं हुआ। इससे राज्य में तमाम संविदाकर्मियों में यह चर्चा हो रही है कि सरकार अब दिशाहीन हो चुकी है ।

पूर्ववर्ती सरकार में आन्दोलन के दौरान बर्खास्त कर्मियों विक्रांत ज्योति केंद्रीय अध्यक्ष महासंघ की वापसी आज तक नहीं हो पाई है। इसके साथ साथ पोषण सखी E dgs मैनेजर, 14वें वित्त कर्मी, स्वस्थ्य भारत मिशन sbm, तेजस्विनी परियोजना के संविदा कर्मचारियों की वापसी की कोई पहल नहीं हुई। यहां तक कि कई संविदाकर्मियों के संविदा नवीकरण के नाम पर विभिन्न विभागों में अधिकारियों द्वारा भयादोहन सरकार के गलत नीतियों के कारण कर रहे हैं।

सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि सरकार के द्वारा निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य को टाल-मटोल कर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका से कराने का निदेश दे दिया है। ज्ञात हो कि पूर्व चयनित सेविका मेट्रिक एवं 8वीं पास इन सेविकाओं सहायिकाओं से इतना महत्वपूर्ण चुनावी कार्य के कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया, बल्कि इन्हें जान बूझकर परेशान करने की नीयत से इस तरह का पत्र विभाग से निकाल दिया गया।

सबसे महत्वपूर्ण कार्य तमाम संविदाकर्मियों को समान काम समान वेतन, पेंशन, बीमा, भविष्य निधि, स्वास्थ्य बीमा और एक मुश्त रिटायर्मेंट की राशि इस सरकार को जो बिना देरी किये करना था, जिसे यह भूल रही है। जो सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं है।

मनरेगा में पूर्व से कार्यरत लेखा सहायक कम्प्यूटर सहायक, कनीय अभियंता को बिना किसी वरीयता वेटेज आरक्षण और उम्र सीमा में छूट दिए रिक्त पदों पर बहाली निकाली गई है, जो सरासर गलत है, सरकार इन पदों पर पूर्व से कार्यरत कर्मियों को लाभ देने के बाद ही बहाली निकले।

जहां एक तरफ महासंघ ने सरकार का तमाम संकट की घड़ी (दुमका, मधुपुर, रामगढ़) उपचुनाव में पूरी निष्ठा से साथ दिया वहीं सरकार की ओर से हमारी मांगों की पूर्ति में कोई विशेष रुचि, संवाद और परामर्श नहीं दिख रही है। ऐसा महसूस हो रहा है कि हम सभी उपेक्षित और ठगे गए हैं। पूर्ववर्ती सरकार तो लाठी गोली, फर्जी केस और बर्खास्त देकर हमें प्रताड़ित किया मगर वर्तमान सरकार भी अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में ही 3.5 वर्ष बिता दिया और अभी दूर दूर तक संविदाकर्मियों से संवाद स्थापित नहीं कर अपनी लोकप्रियता को खोती जा रही है। ऐसे में सभी संविदाकर्मियों द्वारा भी महासंघ के नेतृव कर्ता पर सवाल, संदेह और टीका टिप्पणी शुरू हो गयी है।

महासंघ के वक्ताओं ने कहा कि ऐसा महसूस हो रहा है कि सरकार के अधिकारियों के द्वारा हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचा कर उग्र आंदोलन के लिए विवश किया जा रहा है। हम सभी इस बैठक के माध्यम के यह भी सूचित करते हैं कि यदि उचित पहल 15 अगस्त 2023 तक नहीं हुई, तो हम सब सरकार के प्रति अब तक रखे नरम और आशावादी रुख को छोड़ कर राज्यव्यापी आंदोलन की तैयारी में जुटेंगे। जिसका पहला चरण संविदा संवाद की चौथी वर्ष गांठ 20/10/2023 को विश्वासघात दिवस के रूप में मनाते हुए 81 विधानसभा क्षेत्रों में संविदाकर्मियों की पुनः गोलबंदी कर सरकार के विरोध में सम्मेलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे।

वक्ताओं ने कहा कि हम अभी भी चाहते हैं कि सरकार असंतोष की बिन्दुओं समान काम समान वेतन, छूटे हुए संविदाकर्मियों को महंगाई भत्ता मानदेय में वार्षिक वृद्धि संविदा नवीकरण से मुक्ति, ग्रेड पे समायोजन, बीमा अनुकम्पा, एक मुश्त रिटायरमेंट राशि का भुगतान, पेंशन, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए तय समझौता के अनुसार कार्य करे ताकि हम सबों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम रहे।

इस बैठक में झारखण्ड राज्य प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ के शेख सिद्दिकी - प्रदेश अध्यक्ष, विकास कुमार चौधरी - प्रदेश महासचिव, सुमन कुमार प्रधान - महासचिव, मुकेश कुमार साह - प्रदेश उपाध्यक्ष, झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सीता तिग्गा, शान्ति कच्छप, बसंती कुजूर, स्वाथ्यय विभाग अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार, अनुज सिंह, मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव मो इम्तियाज, प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन, स्ववछ भारत मिशन के प्रेदश अध्यक्ष कौशर आजाद, बाल संरक्षण के अनुरंजन कुमार, समाज कल्याण कर्मचारी के प्रदेश अध्यक्ष प्रियंका कुमारी, रसोईया संघ के अजित प्रजापति, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संविदा कर्मचारी संघ के रितेश कुमार, मुज्जफर हुसैन, बालेश्वर गिरि समेत सैकड़ों संविदाकर्मियों के नेताओ ने भाग लेकर रणनीति बनाई।

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