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आंदोलन

UP में प्रवासी मजदूरों ने जेसीबी से खुदाई करवाने पर प्रधान से कहा क्यों मार रहे हो हमारा हक, तो दर्ज करवा दिया मुकदमा

Janjwar Desk
14 Jun 2020 9:25 PM IST
UP में प्रवासी मजदूरों ने जेसीबी से खुदाई करवाने पर प्रधान से कहा क्यों मार रहे हो हमारा हक, तो दर्ज करवा दिया मुकदमा
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मजदूरों के हकों को मारकर जेसीबी से काम करवाने के खिलाफ उठायी आवाज तो रिंकू यादव पर दर्ज करवा दिया रंगदारी का मुकदमा
जेसीबी द्वारा पोखरे की खुदाई करवाने पर लॉकडाउन में वापस लौटे मजदूरों ने जब ग्राम प्रधान से किया सवाल कि क्यों मार रहे हो मनरेगा मजदूरों का हक तो दर्ज करवा दिया रंगदारी का मुकदमा

आजमगढ़, जनज्वार। आजमगढ़ में प्रवासी मजदूरों ने जब मेंहनगर के शेखूपुर गांव के ग्राम प्रधान राजाराम यादव द्वारा जेसीबी से खुदाई करवाने पर सवाल उठाया तो बजाय मजदूरों को रोजगार देने के उल्टा उसने उन पर रंगदारी का मुकदमा दर्ज करवा दिया। इस मामले में सामाजिक—राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने आजमगढ़ जिलाधिकारी से प्रधान पर कार्रवाई की मांग की है।

मजदूरों द्वारा ग्राम प्रधान के जेसीबी द्वारा खुदाई करवाने पर खुद का हक मारे जाने का सवाल उठाने वाले मामले में जो वीडियो और फोटो सामने आये हैं बताते हैं कि मनरेगा के नाम पर यहां किस तरह भ्रष्टाचार हो रहा है। रिहाई मंच ने जिलाधिकारी आजमगढ़, ग्रामीण विकास मंत्रालय, आयुक्त आजमगढ़, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, नई दिल्ली, श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश, मुख्य विकास अधिकारी आजमगढ़, डीसी मनरेगा आजमगढ़, उपायुक्त श्रम रोजगार आजमगढ़ को पत्र भेज इस मामले में जांच और कार्रवाई की मांग की है।

इस घटना पर मेंहनगर के शेखूपुर गांव के प्रवासी मजदूर रिंकू यादव कहते हैं, 29 मई को गांव के कलोरा पोखरे में सुबह 10-11 बजे के करीब जेसीबी के द्वारा खुदाई का काम चल रहा था। पूछने पर मालूम चला कि मिट्टी निकाली जा रही है। रिंकू ने पूछा कि क्या मनरेगा के तहत यह मिट्टी निकाली जा रही है। अगर ऐसा है तो गलत है, क्योंकि मजदूरों द्वारा निकाले जाने का कानून है, जिस पर जेसीबी हटवा दी गई।

दो दिन बाद 1 जून को गांव के ही ढेकही पोखरे में रात लगभग 10 बजे के करीब जेसीबी द्वारा मिट्टी निकाले जाने का कार्य हो रहा था, जिसका गांव के लोगों ने विरोध किया तो जेसीबी चली गई। इसके पहले भी गांव में नदी के बांध का कार्य जेसीबी से करवा गया था।

4 जून को शाम को पुलिस रिंकू के घर आई और सुबह थाने आने को बोला। जब वो थाने गए तो थानाध्यक्ष ने पर्यावरण दिवस के चलते दूसरे दिन आने को कहा। 6 जून को समाचार पत्र में प्रधान से मांगी 50 हजार की रंगदारी की खबर प्रकाशित हो गयी। सुबह 10 बजे जब वे रिंकू यादव थाने गए तो 12 बजे प्रधान राजाराम यादव आए। थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों को बातचीत से मामले को हल करने को कहा। प्रधान नहीं माने तो थानाध्यक्ष ने रिंकू को कहा कि अंदर जाकर बैठ जाओ। दो घंटे बाद रिंकू और संजय यादव का पुलिस 107, 111, 116, 151 में चालान कर दिया। वहां से ले जाकर मेडिकल करवाया गया और फिर तहसील से उसी दिन जमानत मिल गई।

इस मामले में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव कहते हैं, वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा के तहत प्रवासियों व जाॅबकार्ड धारक पंजीकृत श्रमिकों को काम देने में उत्तर प्रदेश के टाॅप तीन में आजमगढ़ का शामिल होना बताया जा रहा है। जिलाधिकारी द्वारा 15 जुलाई से 2 लाख श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में जेसीबी से खुदाई का यह मामला मजदूरों के हक पर डाका है। प्रवासी मजदूरों को लेकर पूरे देश में चिंता का माहौल है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को निर्देशित किया है। कोरोना महामारी के दौर में मनरेगा प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की आश बनकर उभरा है।

गांव के ही बाकेलाल और विनोद यादव कहते हैं, रिंकू यादव बैंग्लोर में 2003 से बढ़ई का काम करते हैं। वो और उनका भाई सतीश यादव लाॅकडाउन में बैंग्लोर में फंस गए थे। माता-पिता और पूरा परिवार आजमगढ़ में था, ऐसे में रिंकू अपने साथियों के साथ बाइक से 29 अप्रैल को निकले थे। 30 अप्रैल को हैदराबाद में पुलिस ने उन्हें पकड़कर गाड़ी का चालान कर दिया। चार दिनों बाद मुश्किल से उन लोगों को छोड़ा, पर गाड़ी नहीं छोड़ी। फिर वहां से वो और उनके साथी विजय कुमार 600-600 रुपए देकर ट्रक से नागपुर आए।

वहां किसी ने उनका मेडिकल करवाकर बस से 5 मई को मध्य प्रदेश की सीमा पर छोड़ा। वहां से फिर ट्रक से 800-800 रुपए देकर यूपी बार्डर आए। इलाहाबाद से ट्रक से 7 मई को आजमगढ़ आए और पीजीआई चक्रपानपुर में मेडिकल करवाकर 21 दिन घर में क्वारंटीन रहे। किसी तरह की सरकारी मदद के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि कोटेदार ने पांच किलो अनाज दिया था और आशाकर्मी नाम नोट कर ले गई है कि हमारा प्रवासी मजदूर के बतौर पंजीयन हो गया है।

गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर अपने घर-परिवार को छोड़कर प्रवासी मजदूर सिर्फ रोजी-रोटी के लिए महानगरों को गया था। वहां सामाजिक सुरक्षा न मिलने के चलते उसे लौटना पड़ा, जिसको लेकर प्रदेश सरकार ने भी तल्ख टिप्पणी की थी। रिंकू यादव का 3 भाई बहनों का परिवार है। उसमें मां और उसकी पत्नी—बच्चे भी हैं औश्र परिवार के पास मात्र चार बीघा जमीन है, ऐसे में अपने रोजगार के प्रति इनकी चिंता स्वाभाविक है।

राजीव यादव कहते हैं, प्रवासी मजदूरों को दी गई मदद के तौर पर रिंकू को सिर्फ कोटेदार से पांच किलो अनाज की बात सामने आई, जो कि एक गंभीर सवाल है। क्या सिर्फ यही मदद सरकार कर रही है। अगर नहीं तो आखिर प्रवासी मजदूरों का हक क्यों उनको नहीं मिल पा रहा। ऐसे में एक प्रवासी मजदूर अगर अपने रोजगार और वह भी मनरेगा को लेकर जागरुक है तो उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

ऐसे में उन्होंने मांग की कि रिंकू यादव और संजय यादव की सुरक्षा की गांरटी करते हुए इनके आरोपों को संज्ञान में लेकर झूठा मुकदमा करने वाले प्रधान राजाराम यादव द्वारा गांव में जेसीबी से कराए जा रहे कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। यह मनरेगा जैसी बहुउद्देशीय परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला है। इस मामले में रिंकू यादव द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो और फोटो साक्ष्य मौजूद हैं।

उपायुक्त श्रम रोजगार के अनुसार 22 विकास खंडों की 1871 ग्राम पंचायतों में काम चल रहा है, जिसमें 1765 ग्राम पंचायतों में कार्य प्रगति पर है। अब तक 117573 श्रमिकों को काम दिया जा चुका है। ऐसे में यह गंभीर सवाल है कि क्या मानकों के अनुरुप कार्य हो रहा है। इस घटना के आलोक में पूरे जिले में मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्यों को संज्ञान में लिया जाए, जिससे प्रवासी मजदूरों को रोजगार की गारंटी हो सके।

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