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आंदोलन

योगी के UP में बड़ी संख्या में घरेलू कामगार महिलाओं की नहीं कोई सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी का भी नहीं होता भुगतान

Janjwar Desk
18 July 2023 6:02 PM IST
योगी के UP में बड़ी संख्या में घरेलू कामगार महिलाओं की नहीं कोई सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी का भी नहीं होता भुगतान
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सामाजिक सुरक्षा कानून और नियमों के तहत बोर्ड का कार्यकाल 3 वर्ष है और उत्तर प्रदेश में बोर्ड बने हुए 5 वर्ष से ज्यादा हो गया इसलिए बोर्ड का पुनर्गठन किया जाए। इसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को बोर्ड का सदस्य बनाया जाए....

लखनऊ। 'संविधान में हर नागरिक के गरिमा पूर्ण जीवन की गारंटी करने का दायित्व सरकार का है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश दिए हैं, ऐसे में उत्तर प्रदेश के करोड़ों असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा कानून के तहत योजनाएं बनाकर योगी सरकार को उन्हें लाभ देना चाहिए, ताकि उनके सुरक्षित जीवन की गारंटी हो सके।'

यह बात आज शासन के निर्देश पर इंदिरा भवन में असंगठित कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय पर आयोजित बैठक में श्रमिक प्रतिनिधियों ने उठाई। श्रमिक प्रतिनिधियों ने कहा कि ई श्रम पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों के लिए पेंशन, आवास, बच्चों को छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुष्मान कार्ड, पांच लाख का दुर्घटना बीमा और ढाई लाख रुपए का सामान्य मृत्यु बीमा, अंत्येष्टि हितलाभ, महिला मजदूरों के बच्चों के लिए शिशु पालना गृह आदि योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए। जिस पर बोर्ड के उप श्रम आयुक्त शक्ति सेन मौर्य ने कहा की श्रमिकों द्वारा उठाई गई मांगों को 31 जुलाई को आयोजित बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा और अति शीघ्र उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाए बनाकर लागू किया जाएगा। असंगठित मजदूरों के साझा मंच के पत्र पर यह वार्ता आयोजित की गई थी।

वार्ता में श्रमिक प्रतिनिधियों ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कानून और नियमों के तहत बोर्ड का कार्यकाल 3 वर्ष है और उत्तर प्रदेश में बोर्ड बने हुए 5 वर्ष से ज्यादा हो गया इसलिए बोर्ड का पुनर्गठन किया जाए। इसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को बोर्ड का सदस्य बनाया जाए। श्रमिक प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या घरेलू कामगार महिलाओं की है जिन्हें कोई भी सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती यहां तक कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं होता इसलिए इन महिला मजदूरों के लिए भी अलग बोर्ड का गठन किया गया और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जाए।

श्रमिक प्रतिनिधियों ने निर्माण मजदूरों के लिए लेबर अड्डा बनाने, ई-रिक्शा चलाने वालों के लिए सुरक्षा का इंतजाम करने, महिला मजदूरों के लिए शौचालय की व्यवस्था करने, असंगठित मजदूर को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने, लघु और कुटीर उद्योगों में विशेषकर बुनकर व चिकनकारी में काम करने वाली वाले मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करने की मांगों को भी उठाया।

वार्ता में एटक प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, टीयूसीसी के प्रदेश महामंत्री प्रमोद पटेल, एक्टू के कामरेड मगन, इंटक के मोहम्मद खुर्शीद, सेवा की फरीदा जलील, घरेलू कामगार राष्ट्रीय मंच की प्रदेश प्रभारी चिन्यमई सायल, कुली यूनियन के राम सुरेश यादव, ललिता राजपूत, अमित सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह, सुषमा कुरील, बालेंद्र सिंह, संजय सिंह अररिया नाजिम, सीमा रावत, ई रिक्शा यूनियन के मोहम्मद अकरम, फ्रांसिस्का कुजूर आदि लोगों ने अपनी बात रखी। इसके अलावा सहायक श्रम आयुक्त यशवंत सिंह और श्रम प्रवर्तन अधिकारी मनोज राजपूत व रईस अहमद भी बैठक में मौजूद रहे।

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