मणिपुर वारदात के खिलाफ देशभर में संगठनों ने किया जोरदार प्रदर्शन, पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर पुलिस ने नहीं की थी कोई कार्रवाई
Manipur Violence : भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है इस बात को मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने व उनके साथ हुई बलात्कार की घटना ने दुनिया को फिर से बता दिया है। इस घटना के खिलाफ आज देशभर के विभिन्न संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
जन संघर्ष मंच हरियाणा और समतामूलक महिला संगठन गोहाना ने मणिपुर में महिलाओं के प्रति हुई बेहद क्रूर हिंसा व यौन-हिंसा की दिल दहलाने वाली घटना की ज़िम्मेदार मणिपुर व केन्द्र सरकार के खिलाफ शहर के समता चौक से शहीद भगतसिंह चौक तक प्रदर्शन किया और दोनों सरकारों का पुतला दहन किया।
बड़े ही खेद का विषय है कि देश की प्रसिद्ध ओलिंपियन मीरा चानू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़कर अपील की कि वे मणिपुर में जारी हिंसा को ख़त्म करने के लिए हस्तक्षेप करे, परन्तु ऐसा कुछ न किया गया। मणिपुर में 4 मई को कांगपोंगपी जिले के खेतों में कुकी-जो समुदाय की दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घूमाने और उनसे हुई गैंगरेप की वीभत्स घटना ने सारे देशवासियों को शर्मसार और क्षुब्ध कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की उदासीनता के चलते गोहाना क्षेत्र में व्याप्त जनाक्रोश को ज़ाहिर कर जन संघर्ष मंच हरियाणा और समतामूलक महिला संगठन देश की राष्ट्रपति जो स्वयं एक आदिवासी महिला हैं, से मांग करते हैं कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए तथा 11 हफ़्तों से जल रहे मणिपुर की सरकार को तुरन्त भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू कर नये सिरे से निष्पक्ष चुनाव करवाएं।
कार्यक्रम में डॉ. सीडी शर्मा, डॉ. सुनीता त्यागी, रघुबीर विरोधिया, पवन पांचाल, सतपाल एलटी, रामधारी, विनोद चाहर, सुमित, श्याम, प्रदीप त्यागी, ललित, मदन अत्रि, रमन, मंदीप, इंद्रावती, बिमला, स्नेहा, मनीषा, बबीता आदि अनेक स्त्री-पुरुषों ने शिरकत की।
मणिपुर की घटना पर आक्रोश व्यक्त करते हुए समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि मणिपुर की घटना भाजपा सरकार द्वारा की जा रही जातीय, नस्लीय व सांप्रदायिक घृणा की राजनीति का परिणाम है। मणिपुर में पिछले ढाई माह में 300 से ज्यादा चर्च जला दिए गए हैं और मैतई आतंकी संगठन कुकी समुदाय का सफाया कर रहे हैं। हिंसा की लगातार घटनाओं पर देश का महिला आयोग तथा महिला राष्ट्रपति मौन साधे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी घटना के ढाई महीने बाद तब बोलने के लिए विवश हुए हैं जब महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
वहीं भाकपा माले ने कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा घुमाने व सामूहिक दुराचार की बेहद शर्मनाक घटना को 77 दिन तक दबाकर रखने और कोई कार्रवाई न करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों जिम्मेदार हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी न आती, तो कार्रवाई शुरु भी न होती। आखिर पीएम की चुप्पी 77 दिन बाद क्यों टूटी। क्या विदेश यात्राओं की व्यस्तता ने मणिपुर की हालत को विस्मृत कर दिया था! केंद्रीय गृह मंत्री को भी इतने दिनों बाद क्यों याद आया कि मणिपुर भी देश का हिस्सा है।
इस घटना की एफआईआर पर कुंडली मारकर मणिपुर पुलिस बैठी रही। अपराधियों को बिना सत्ता संरक्षण के भला यह संभव है? संवैधानिक कुर्सियों पर बैठे भाजपा नेतृत्व को मणिपुर की अमानवीय घटना इसलिए नहीं दिखाई पड़ी क्योंकि उसे अंजाम देने वाला अपराधी समूह उसके जनाधार से आता है। चाहे महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का मामला हो या फिर मणिपुर में महिलाओं से दुर्व्यवहार व दुराचार का, हर जगह भाजपा दुराचारियों के समर्थन में खड़ी दिखती है, भले ही नारा बेटी बचाओ का लगाती हो।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में हथियारबंद अपराधी समूह दो महिलाओं को खेतों के बीच सड़क पर नंगा घुमाते हुए दिखता है। चार मई को हुई घटना वहां इंटरनेट पर प्रतिबंध के चलते देर से सामने आई। पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर 18 मई को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, मगर कार्रवाई नहीं की, इससे पूरा सत्ता पक्ष नंगा हुआ है - इम्फाल से दिल्ली तक।