प्रशांत भूषण बोले, जो कल तक कहते थे मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन से बनाया वह किसानों को नीचा दिखाने के लिए कह रहे 'आंदोलनजीवी'
जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी ने आज संसद में अपनी बात रखते हुए कई ऐसी बातें कहीं, जिसके कारण वह सवालों के घेरे में हैं। आंदोलनकारी किसानों ने लिए उन्होंने आज एक नया शब्द 'आंदोलनजीवी' ईजाद किया, जिस पर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है। इस शब्द पर तमाम राजनेताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने टिप्पणी की है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्वीट किया, 'जो कल तक कहते थे कि "मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन करके बनाया है", वह आज हमारे किसानों को नीचा दिखाने के लिए 'आंदोलन जीव' कह रहे हैं।'
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी आंदोलनजीवी शब्द पर कड़ी आपत्ति जतायी है। कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, 'जिस विचारधारा के लोगों ने आजादी के संघर्ष में अपना योगदान नहीं दिया है, उन लोगों को आंदोलन की कीमत कभी समझ नहीं आएगी।'
जो कल तक कहते थे कि "मैंने अपना राजनीतिक कैरियर आंदोलन करके बनाया है", वह आज हमारे किसानों को नीचा दिखाने के लिए 'आंदोलन जीव' कह रहे हैं!
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 8, 2021
मोदी ने आज संसद में कहा था कि हमारा देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है, लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है 'आंदोलनजीवी...'
मोदी ने आगे कहा, 'वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।'
मोदी यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, उन्होंने कहा, 'हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं। यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।'
किसानों के बारे में तो नहीं कहा जिनके बारे में कहा है वो अच्छी तरह समझ गए और सबसे ज्यादा मिर्च भी उन्हें ही लगी है
— Peacefully Political 🇮🇳 (@peacefullypolit) February 8, 2021
समान्य शब्दों में उन्हें गिद्ध भी कहा जाता है
मैहुल मारी ने ट्वीट किया है, 'देश आंदोलनो के कारण ही आज़ाद हुआ था,अंग्रेजों की गुलामी करने वाले चड्डीधारी आंदोलन क्या जाने उनके तो खून में व्यापार है, इसलिए विरासत में मिला देश का खजाना अंबानी-अडानी को लुटा रहे। सुनो मोदी, तुमने किसानों को आन्दोलनजीवी बोला, मैं तुम्हें झूठजीवी,फर्जीजीवी, उद्योगपतिजीवी बोलता हूं।'
देश आंदोलनो के कारण ही आज़ाद हुआ था,अंग्रेजों की गुलामी करने वाले चड्डीधारी आंदोलन क्या जाने उनके तो खून में व्यापार है
— mehul maru (@mehulmaru07) February 8, 2021
इसलिए विरासत में मिला देश का खजाना अंबानी-अडानी को लुटा रहे
सूनो मोदी,
तुमने किसानों को आन्दोलनजीवी बोला,
मै तुम्हे झूठजीवी,फर्जीजीवी,
उद्योगपतिजवी बोलता हु
विनोद ने लिखा है, 'जब सस्ता नशा उतर जाए तो सोचना क्या वाकई देश आजाद आंदोलन से हुआ है क्या अंग्रेज़ आंदोलन के डर से भागे या चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह ओर सुभाष चंद्र बोस से भागे।'
In 1974, at the height of Gujarat's Navnirman Andolan, and later during emergency, a self proclaimed old "Andolan Jeevi" claimed to have urged the young to take a stand against "oppression, unemployment,and corruption" and take to the streets to protect democracy
— renish (@RenishDr) February 8, 2021
Cc @t_d_h_nair pic.twitter.com/9QZgEMyewv
इस दौरान कई लोगों ने भाजपा और मोदी की आंदोलन वाली तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की हैं।
वो चाय वाले ख़तरे के बारे में देश को बताओ ना!
— Ravi Chavhan (@RaviCha92241866) February 8, 2021
कौन से आतंकवादी संगठन है जिनको हमारी प्यारी चाय पसंद नहीं है?
कौन है वो लोग जो भारत में रहकर चाय से नफ़रत करते हैं?
क्या सरकार सभी चायवालों को Z+ सुरक्षा देने पर विचार कर रही है?
क्या सरकार "चाय बचाओ, देश बचाओ" यात्रा निकालेगी?🤔 pic.twitter.com/6eXiSwnAf7
रवि चव्हाण ने ट्वीट किया है, 'वो चाय वाले ख़तरे के बारे में देश को बताओ ना! कौन से आतंकवादी संगठन है जिनको हमारी प्यारी चाय पसंद नहीं है? कौन है वो लोग जो भारत में रहकर चाय से नफ़रत करते हैं? क्या सरकार सभी चायवालों को Z+ सुरक्षा देने पर विचार कर रही है? क्या सरकार "चाय बचाओ, देश बचाओ" यात्रा निकालेगी?'