बिहार-झारखंड में स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत के खिलाफ कई कार्यक्रम, वक्ता बोले की गयी उनकी सांस्थानिक हत्या
(बिहार—झारखंड में स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत के खिलाफ आयोजित हुए कई कार्यक्रम)
विशद कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। बिहार के पटना में 84 वर्षीय मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की कल 5 जुलाइ को कस्टडी में की गई सांस्थानिक हत्या के खिलाफ आज 6 जुलाई को पटना में 'हम पटना के लोग' बैनर से प्रतिवाद दर्ज किया और उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। श्रद्धांजलि सभा में पधारे लोगों ने एक स्वर में कहा कि सत्ता की ताकतों ने स्टेन स्वामी की हत्या की है, यह साधारण मौत नहीं है। ऐसी मौत के जरिये सत्ता-सरकार हमें डराने की कोशिश कर रही है। इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और लोकतंत्र की लड़ाई जारी रहेगी।
यह सभा स्टेशन गोलम्बर स्थित बुद्ध स्मृति पार्क के पास हुई। सबसे पहले फ़ादर स्टेन स्वामी के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई। इस कार्यक्रम में भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, फ़ादर जोस, पटना विवि इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. डेजी नारायण, निवेदिता झा, ऐपवा की मीना तिवारी, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, कर्मचारी नेता रामबली प्रसाद, संतोष सहर, अलीम अख्तर, रंजीव, तारकेश्वर ओझा, अनिल अंशुमन, अरुण प्रियदर्शी सहित बड़ी संख्या में आइसा, इनौस, एआईपीएफ और अन्य दूसरे संघटनों के लोग शामिल हुए।
अध्यक्षीय भाषण में प्रो. डेज़ी नारायण ने कहा कि यह एक महज वश्रद्धाजंलि सभा नहीं, बल्कि संविधान-लोकतंत्र और लोगों के जीने के अधिकार को लेकर लड़ाई को तेज करने का संकल्प लेने का समय है। फादर स्टेन स्वामी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। हम मजबूती से UAPA जैसे कानूनों को खत्म करने की मांग करते हैं, जिसका दुरुपयोग लोगों की आवाज दबाने में किया जा रहा है। भीमा कोरेगांव में फंसाये गए लोग देश के चर्चित बुद्धिजीवी हैं, लेकिन उनके साथ देश की सरकार व न्यायपालिका जो व्यवहार कर रही है, वह हतप्रभ करने वाली है। हम न्याय व लोकतंत्र की लड़ाई जारी रखेंगे।
कविता कृष्णन ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि फादर स्टेन की जमानत की सुनवाई ने भारतीय न्याय व्यवस्था में गिरावट के नये प्रतिमान दर्ज कर दिये हैं, जो आगामी इतिहास में दर्ज रहेगा। न्यायाधीशों ने सुनवाईयों में दो महीनों से अधिक का समय सिर्फ एक सिपर देने की अनुमति देने में काट दिया जिससे फादर स्टेन सम्मानजनक तरीके से पानी पी सकते थे। सब जानते थे कि कोविड के काल में 84 वर्षीय व्यक्ति को जेल में डालना उन्हें मौत के मुंह मे धकेलना था। हमारा देश लोकतांत्रिक है तो अदालत में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है।
सुधा वर्गीज ने कहा कि स्टेन स्वामी समझौता करने वाले आदमी नहीं थे। 15 लोग और हैं, जो उसी तरह के झूठे मुकदमे में फंसा दिए गए हैं। उनके साथ ऐसा न हो और उनको बेल मिले, इसके लिए हमलोगों को लड़ना पड़ेगा। आज UAPA में क्या हो रहा है, हम सब जानते हैं। न्यायपालिका किसी के इशारे पर काम कर रही है। वह नागरिकों के खिलाफ काम कर रही है।
फ़ादर जोस ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी ने अपने कैरियर को छोड़कर गरीबों की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया, आज उनके साथ यह बर्ताव निंदनीय है। सभा को रंजीव जी, आइसा नेता दिव्यम, अशोक प्रियदर्शी, निवेदिता झा, अनिल अंशुमन आदि ने भी संबोधित किया। संचालन AIPF के कमलेश शर्मा ने किया।
वहीं बिहार के गया में मजदूर किसान समिति, कैंप कार्यालय, बधलती मोहनपुर, गया द्वारा प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं आदिवासी, दलितों के अधिकारों के लिए अनवरत संघर्ष करने वाले फादर स्टेन स्वामी के मौत पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की हैं।
गौरतलब है कि कल 5 जुलाई की दोपहर में फादर स्टेन स्वामी का मुंबई के एक निजी अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद निधन हो गया था, अंतिम समय पर वे वेंटीलेटर पर थे। मजदूर किसान समिति ने दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके समर्थन में लोगों ने नारे भी लगाए। समिति ने फादर को राज्य प्रायोजित हत्या करार दिया ।
झारखंड की राजधानी रांची में फादर स्टेन स्वामी की मौत पर विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह मौत नहीं हत्या है। पुलिस अभिरक्षा में फादर स्टेन स्वामी की मौत की ख़बर सुनते ही आज विभिन्न राजनीतिक सामाजिक संगठनों ने विरोध विरोध जताया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अलबर्ट एक्का चौक पर जुटकर केंद्र की हत्यारी सरकार का पुतला दहन किया।
सामाजिक कार्यक्रताओं ने अपने हाथों में फादर स्टेन की तस्वीर लिए पर श्रद्धांजलि दिया और रोष प्रकट किया। कहा कि फादर स्टेन जल, जंगल, जमीन के मुद्दों पर मुखर रहे हैं। यह मौत नहीं बल्कि हत्या है और इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र की सरकार दोषी है। फादर की गिरफ्तारी पूरी तरह से असंवैधानिक थी और इस हत्या के दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तेज होगा। प्रतिरोध कार्यक्रम में सुभेंदु सेन, पुष्कर महतो, नदीम खान, फादर महेंद्र पिटर, भुवनेश्वर केवट रिसीथ नियोगी, अर्पणा बाडा, आकाश रंजन, नंदिता भट्टाचार्य राजेंद्र दास दिनेश आंदोलनकारी, मोहसिन रजा, तरुण कुमार, नोरिन अख्तर, श्वेत कमल, इमरान नजीर, शांति सेन, आयती तिर्की आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
वहीं सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक आज महेंद्र सिंह भवन माले राज्य कार्यालय रांची में की गई। सर्वप्रथम फादर स्टेन स्वामी को दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि देने के पश्चात बैठक शुरू हुई। बैठक में सभी ने एक स्वर से कहा की फादर की मौत नहीं, बल्कि न्यायिक हत्या हुई है, दोषियों को जब तक सजा नहीं होती है, आंदोलन और तेज होगा। इस आंदोलन को गति देने के लिए 9 अगस्त को भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य रांची आयेंगे।
विभिन्न राजनितिक दलों के नेताओं कार्यकर्ताओ से मिलकर एकताबद्ध आंदोलन पर रणनीति बनेगी। बैठक में फादर स्टेन स्वामी को शहीद का दर्जा दिया गया और कहा गया कि फादर झारखंड के जंगल जमीन बचाओ आंदोलन के रोल मॉडल है। इनकी शहादत आंदोलनकारियो को नई उर्जा का संचार करेगा। अध्यक्षता दयामणी बारला ने किया, जबकि संचालन नदीम खान ने किया। श्रृद्धांजलि कार्यक्रम में महेंद्र पीटर, प्रेमचंद मुर्मू, जनार्दन प्रसाद, शुभेंदु सेन, भुवनेश्वर केवट, प्रकाश विप्लव, आलोका कुजुर, सुखनाथ लोहरा, अनिर्बान बोस, वीरेंद्र कुमार, एके रशीदी, अजय सिंह, राजेश यादव, सुशांतो मुखर्जी, एसयूसीआई के सुमित राय, मंटू पासवान, मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी, आकाश रंजन आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
दूसरी तरफ आज रांची में ही दिवंगत फादर स्टेन स्वामी को झारखण्ड क्रिस्चियन युथ एसोसिएशन एवं केंद्रीय सरना समिति के बैनर तले श्रद्धांजलि सुमन अर्पित की गई। मौके पर जेसीवाईए के अध्यक्ष कुलदीप तिर्की ने कहा कि आदिवासियों, दलित पिछड़ों के हक अधिकार के लिए हमेशा लड़ने वाले महान समाजसेवी फादर स्टेन स्वामी की जिस तरह मौत हुई है वह स्वयं में एक बड़ा सवाल है। जेल में उन्हें कोरोना हुआ, लेकिन उन्हें इलाज के लिए अदालती आदेश के बाद ही अस्पताल भेजा गया। 84 साल के बुजुर्ग के साथ ऐसे दुर्व्यवहार को लेकर अनेक सवाल मन में स्वतः ही उठ रहे हैं।
जिस भीमा कोरेगांव के मामले में उन्हें जबरन गिरफ्तार किया गया, जो व्यक्ति जीवनभर लोगों के हक अधिकार के लिए लड़ा, अंतिम समय में उन्हें ही उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया। ऐसा लगता है केंद्र सरकार बदले की भावना से ग्रसित हो कर उन्हें इतना सताया, पर मानवाधिकार कार्यकर्ता को तोड़ नहीं पायी। हम झारखण्ड वासी हमेशा उनकी शहादत और केंद्र सरकार की कायराना हरकत को याद रखेंगे।
कार्यकारी अध्यक्ष अल्बिन लकड़ा ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी हम युवाओं के लिए एक आदर्श है। हम युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। आज वे हमारे बीच में नहीं है, फिर भी हम युवाओ के बीच जिंदा है।
सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि यह एक लोकतांत्रिक हत्या है, केंद्र सरकार में बदले की भावना दिखती है, हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। युवा समाजसेवी लक्ष्मीनारायण मुंडा, विकास तिर्की, संतोष तिर्की, अनूप नेलसन, संदीप तिग्ग,अमर केरकेट्टा, अम्बर बेक, रवि तिर्की, गोविंद टोप्पो, प्रतीत कच्छप, विल्सन टोप्पो, किशोर लोहरा, सीतल रुण्डा समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।