कार्बेट से सटे इलाकों में टाइगर और जंगली जानवरों का आतंक, सुरक्षा की मांग को लेकर ग्रामीणों का वन चौकी पर धरना

रामनगर। कार्बेट नेशनल पार्क के सीमावर्ती क्षेत्रों में टाइगर व अन्य जंगली जानवरों के आतंक से सुरक्षा की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना वन चौकी के समक्ष दूसरे दिन भी जारी रहा।
पिछले माह दैनिक श्रमिक को निवाला बनाने व वीट वाचर पर हमला करने वाले टाइगर को पकड़ने अथवा मारने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने प्रातः 05 बजे ही वन चौकी के समक्ष धरने पर बैठकर कार्बेट पार्क के ढेला व झिरना जोन के लिए पर्यटकों की आवाजाही ठप कर दी, जिस कारण ढेला मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
स्कूली बच्चों व बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए ग्रामीणों ने पार्क प्रशासन को 24 घंटे में आदमखोर टाइगर को पकड़ने अथवा मारने की चेतावनी के साथ प्रातः 8 बजे आधी सड़क छोड़कर यातायात खोल दिया।
धरने का संचालन कर रहे तारा वेलबाल ने कहा कि टाइगर हमारे घरों के आसपास घूम रहा है, परंतु पार्क प्रशासन द्वारा उसे पकड़ने की अनुमति होने के बावजूद भी नहीं पकड़ा गया है जिस कारण गांववालों को अपनी सुरक्षा के लिए आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पार्क बंदी के लिए ग्रामीण नहीं, बल्कि पार्क प्रशासन जिम्मेदार है।
संयुक्त संघर्ष समिति के महेश जोशी ने कहा कि कार्बेट पार्क की टाइगर धारण क्षमता 65-70 की है, परंतु इसमें धारण क्षमता के मुकाबले चार गुना टाइगर हैं। यही कारण है कि टाइगर लोगों को लगातार हमले कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि धारण क्षमता से अधिक टाइगरों को यहां से हटाया जाए अथवा मारा जाए।
महिला एकता मंच की ललिता रावत ने कहा कि वीट वाचर पर हमला करने वाले टाइगर को मौके से फायर कर भगाने की जगह उसे गोली से मार दिया जाना चाहिए था, परंतु सरकार के लिए एक इंसान से ज्यादा कीमत टाइगर की है। उन्होंने कहा कि गोली मारने का अधिकार दिए बगैर बीट वाचरों को गस्त पर लगाकर सरकार उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रही है।
कार्यक्रम में भुवन चंद्र, गीता देवी, उषा देवी, मुन्नी, हेमा पांडे, रागिनी, बालम, विमला देवी, ईश्वरी दत्त पांडे, गिरीश चंद्र बोडाई, प्रकाश पांडे, सुरेंद्र सिंह नेगी, संजय मेहता, कौशल्या चिनियाल, सरस्वती जोशी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।