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किसान आंदोलन का नहीं निकला नतीजा, पर अब सरकार का पक्ष दिख रहा हावी होता

Janjwar Desk
20 Jan 2021 4:59 PM GMT
किसान आंदोलन का नहीं निकला नतीजा, पर अब सरकार का पक्ष दिख रहा हावी होता
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश, कमिटी गठन और अब सरकार के नए प्रस्ताव के बाद कहा जाने लगा है कि सरकार का पक्ष हावी होता दिख रहा है...

जनज्वार। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का बुधवार को 57वां दिन है और आज किसान संगठनों की केंद्र सरकार के साथ 10वें दौर की वार्ता भी हुई। हालांकि अबतक कोई अंतिम नतीजा नहीं निकला है, पर केंद्र सरकार ने किसानों से आज की बातचीत के दौरान प्रस्ताव दिया है कि जब तक इस मसले पर बीच का कोई रास्ता नहीं निकलता, तब तक कृषि कानूनों को स्थगित कर सकते हैं।

फिलहाल, किसानों ने इस मसले पर एक दिन बाद जवाब देने के लिए कहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश, कमिटी गठन और अब सरकार के प्रस्ताव के बाद कहा जाने लगा है कि सरकार का पक्ष हावी होता दिख रहा है।

उधर किसान संगठनों ने आज प्रेस बयान जारी कर कहा कि सरकार के साथ मीटिंग में अहम वार्ता हुई। सरकार ने किसानों के समक्ष एक प्रपोजल रखा कि एक साल या ज्यादा समय के लिए कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दिया जाएगा। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दे दिया जाएगा।

किसानों ने रिपील की मांग पर ज़ोर दिया और अगली बैठक तक विचार विमर्श कर निर्णय लेने की बात कही। MSP के मुद्दे पर सरकार ने कमेटी की पेशकश की, परंतु किसानों ने इसे अस्वीकार किया। कहा गया है कि इस पर 22 जनवरी की अगली मीटिंग में विस्तारपूर्वक चर्चा होगी।

किसान नेताओं ने कहा कि आज की मीटिंग में सरकार द्वारा NIA जांच और गिरफ्तारियों पर भी चर्चा हुई और सरकार ने NIA को नाजायज केस न करने के निर्देश देने का भरोसा दिया है।

जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि आज दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश गुरपरब है। आज दुनियाभर में 11 बजे से 1 बजे तक "देह सिवा बरु मोहे" शब्द उच्चारण करते हुए इस आंदोलन की कामयाबी का प्रण लिया गया।

वहीं 26 जनवरी की किसान परेड से संबंधित दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश पुलिस के साथ किसान संगठनों की आज बैठक भी हुई। बैठक में किसान जहां आउटर रिंग रोड पर परेड करने की मांग पर अडिग रहे, वहीं पुलिस ने दूसरे रास्ते देने का और परेड ना करने का आह्वान किया। किसान नेताओं का कहना है कि इस मसले पर कल गुरुवार को भी एक बैठक होगी।

किसान नेताओं ने कहा कि इस राष्ट्रव्यापी और जनांदोलन में देशभर से किसान दिल्ली बोर्डर्स पर पहुंच रहे है। इस क्रम में उत्तराखंड के लखीमपुर और बिजनौर से हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली पहुंचने वाले हैं।मध्यप्रदेश के रीवा, ग्वालियर, मुलताई समेत कई जगहों पर किसानों के पक्के मोर्चे लगे हुए हैं।

अलग-अलग जगह पर प्रशासन को ज्ञापन दिए जा रहे हैं। महिला किसान दिवस भी पूरी ऊर्जा और उत्साह से मनाया गया। अब किसान गाँव गाँव जाकर जागरूक कर रहे हैं और आगामी कार्यक्रमो की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के ही बिलवानी में एक विशाल ट्रैक्टर मार्च भी निकाला गया है।

किसान नेताओं का आरोप है कि नवनिर्माण संगठन की ओडिशा से दिल्ली की यात्रा में लोगो के मिल रहे समर्थन को देखकर उतर प्रदेश सरकार ने परेशान किया और रुट बदल दिया गया। इसके विरोध में यात्रा के सयोंजक 26 जनवरी तक उपवास रखेंगे।

किसान नेताओं का दावा है कि पंजाब व हरियाणा में जनांदोलन व्यापक रूप ले रहा है। न सिर्फ किसान-मजदूर बल्कि समाज के हर वर्ग से लोग इस आंदोलन में भागीदारी दिखा रहे है। उत्तरी राजस्थान मे रोजाना ट्रैक्टर मार्च, बाइक रैली और धरना प्रदर्शन कर किसान दिल्ली बोर्डर्स पर आने की तैयारी कर रहे हैं। इस आंदोलन में अब तक 138 किसान शहीद हो चुके हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि NAPM के नेतृत्व में किसान ज्योति यात्रा उदयपुर पार कर चुकी है। महाराष्ट्र के यवतमाल से आत्महत्या कर चुके किसान के परिवार के सदस्य दिल्ली के किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी देने के लिए आ रहे हैं। कोलकाता में अन्नदातार साथे बांग्ला के नाम से चल रहे पक्के मोर्चे में आज एक विशाल रैली आयोजित की गई।

उन्होंने कहा कि बिहार में लगातार किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार जिस तरह से इस आंदोलन को एक खास तबके से जोड़ कर पेश कर रही है, बिहार के किसानो ने इस तर्क का जवाब भी अपने संघर्ष से दिया है। बिहार में एक तरफ किसान गावों और जिला हेडक्वॉर्टर पर प्रदर्शन हो रहे है वहीं पटना में AIPF ने विरोध प्रदर्शन किया।

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