फादर स्टेन स्वामी की हुई है हत्या, NIA और जेल प्रशासन पर दर्ज हो मुकदमा : रिहाई मंच ने उठायी मांग
(स्टेन स्वामी के निधन के बाद रिहाई मंच की श्रद्धांजलि सभा)
लखनऊ। फादर स्टेन स्वामी की मौत पर रिहाई मंच ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह मौत नहीं, सरासर हत्या है। गुनाहगार हैं काले कानून और उन्हें थोपने वाली सरकारें। लखनऊ स्थित रिहाई मंच कार्यालय में फादर स्टेन स्वामी को उनके निधन के बाद आज 5 जुलाई को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि आदिवासियों के हित में लंबे समय से संघर्ष कर रहे फादर स्टेन को यूएपीए के तहत भीमा कोरेगांव मामले में अभियुक्त बनाया गया। उन्हें जिस तरह से और जिन परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया, उस पर सवाल उठे और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले के तौर पर देखा गया। गिरफ्तारी से दो दिन पहले कही गई उनकी बातों पर गौर करना होगा।
स्टेन स्वामी ने कहा था कि मेरे साथ जो हो रहा है, वह अकेले मेरे साथ होने वाली कोई अनोखी बात नहीं है। यह एक व्यापक प्रक्रिया है जो पूरे देश में हो रही है। हम सभी जानते हैं कि कैसे प्रमुख बुद्धिजीवी, वकील लेखक, कवि, कार्यकर्ता, छात्र नेता उन सभी को जेल में डाल दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने भारत की सत्तारूढ़ शक्तियों के बारे में अपनी असहमति व्यक्त की है या सवाल उठाए हैं। हम प्रक्रिया का हिस्सा हैं। एक तरह से मैं इस प्रक्रिया का हिस्सा बनकर खुश हूं। मैं मूकदर्शक नहीं हूं, बल्कि खेल का हिस्सा हूं, और जो भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं।
वक्ताओं ने कहा कि ये भी कम दुर्भाग्यपूर्ण नहीं कि उनकी गिरती सेहत की अनदेखी करते हुए उन्हें जेल की सींखचों में बनाये रखा गया। इलाज के तमाम अनुरोधों को अनसुना किया जाता रहा, क्यों न इन तमाम घटनाक्रमों को उनकी हत्या की साज़िश का हिस्सा कहा जाए। उनकी रिहाई का विरोध करने वाली एनआईए और जेल प्रशासन पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। फादर स्टेन स्वामी आदिवासियों के लोकतान्त्रिक अधिकारों, उनकी संस्कृति और परिवेश को बचाने के लिए निडरता के साथ खड़े रहे। विकास की परियोजनाओं और कार्यक्रमों की आड़ में और ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसी सैन्य कारवाई के तहत आदिवासियों के जबरिया विस्थापन और दमन के खिलाफ़ फादर स्टेन निडरता के साथ विरोध करते रहे।
श्रद्धांजलि सभा में सृजन योगी आदियोग, रवीश आलम, जनसेवक राजा भइया, इमरान अहमद, राजीव यादव, ज्योति राय, राम कृष्ण, शाहरुख, हैदर खान, मुहम्मद फैसल खुर्रम, ओपी सिन्हा, शबरोज मोहम्मदी, वीरेंद्र गुप्ता, डॉ एमडी खान शामिल रहे।