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नेपाल की तरफ से इस महीने का 11वां पथराव, काली नदी तट पर हो रहे ​निर्माण से उपजे विवाद के बाद BJP नेता ने दी अंतरराष्ट्रीय पुल बंद करने की चेतावनी

Janjwar Desk
24 Dec 2022 9:05 AM GMT
नेपाल की तरफ से इस महीने का 11वां पथराव, काली नदी तट पर हो रहे ​निर्माण से उपजे विवाद के बाद BJP नेता ने दी अंतरराष्ट्रीय पुल बंद करने की चेतावनी
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नेपाल की तरफ से इस महीने का 11वां पथराव, काली नदी तट पर हो रहे ​निर्माण से उपजे विवाद के बाद BJP नेता ने दी अंतरराष्ट्रीय पुल बंद करने की चेतावनी

आरोप है कि नेपाल से हो रहे पथराव के दौरान नेपाल में तैनात नेपाल प्रहरी के जवान मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने पथराव करने वालों को रोकने का भी कोई प्रयास भी नहीं किया गया। भारत में कार्य कर रहे मजदूर व कर्मी नेपाल प्रहरी को पथराव के बारे में इशारे करते रहे, परंतु नेपाल में किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं हुई....

Pithoragarh news : पिथौरागढ़ जिले की भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित काली नदी की भारतीय सीमा में चल रहे तटबंध निर्माण कार्य के विरोध में नेपाल की ओर से इस महीने की ग्याहरवीं पथराव की घटना से दोनों क्षेत्रों के बीच तनाव बढ़ने लगा है।

शुक्रवार 23 दिसंबर की शाम हुई पथराव की इस ताजा घटना में मौके पर निर्माण कार्य में लगे डंपरों और अन्य वाहनों के शीशे फूट गए। डंपर व वाहन चालकों ने पथराव से बचने के लिए नदी में छलांग लगाकर भागने का प्रयास किया। इस प्रयास में एक चालक घायल हो गया है। लोगों का कहना है कि पथराव के दौरान नेपाल प्रहरी के जवान मूकदर्शक बने रहे। भारतीय सीमा में हो रहे निर्माण कार्य के विरोध में नेपाल की ओर से चल रही इस लगातार की पत्थरबाजी से धारचूला क्षेत्र के लोगों में नेपाल प्रशासन के प्रति नाराजगी पनप रही है।

पुराना चल रहा है विवाद

मालूम हो कि भारत की उत्तरी दिशा में उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में भारत व नेपाल के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का बंटवारा दोनो देशों के बीच से होकर बहने वाली काली नदी करती है। इस नदी के आर-पार बसे दोनों देशों के लोगों के बीच रोटी बेटी के रिश्ते हैं। एक दूसरे देश की सीमा में जाने के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता न होने के कारण दोनों देशों के नागरिक उत्तराखंड से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक बने कई मार्गों से इधर से उधर जाते रहते हैं।

उत्तराखंड के ही धारचूला और बनवसा नामक दो क्षेत्र से नेपाल को खुली आवाजाही होती है। धारचूला में यह आवाजाही काली नदी पर बने एक झूला पुल के माध्यम से होती है। दोनों देशों की सीमा के मध्य से बहकर गुजरने वाली काली नदी बरसात में रौद्र रूप धारण कर लेती है। दोनो देशों के क्षेत्रों में इस दौरान भारी भू कटाव के साथ व्यापक तबाही होती रहती है। इसी तबाही को रोकने के लिए भारत की ओर से काली नदी के पानी का बहाव अपनी सीमा में घुसने से रोकने के लिए धारचूला क्षेत्र की भारतीय सीमा में तटबंध का निर्माण कराया जा रहा है।

लेकिन नेपाली नागरिकों की ओर से भारतीय सीमा में चल रहे इस निर्माण कार्य पर आपत्ति उठाई जाती है। नेपाली नागरिकों का इल्जाम है कि नदी के एक तट पर बने अवरोध के कारण नदी का पानी पलटकर दोगुने वेग के साथ दूसरी ओर नेपाली क्षेत्र में आकर तबाही मचाएगा। पहले से ही उनकी तमाम कृषि भूमि काली नदी की चपेट में आ चुकी है। भविष्य में इस नुकसान के बढ़ने की पूरी संभावना है।

इस विवाद के मद्देनजर नेपाल सीमा की ओर से भारतीय सीमा में चल रहे निर्माण कार्य के विरोध में अक्सर पत्थरबाजी की जाती है। गुजरे बुधवार को भी नेपाल विप्लव कम्युनिस्ट माओवादी पार्टी के छात्र नेताओं ने नेपाल में जुलूस निकालते हुए नेपाल के धारचूला जिले में भारतीय क्षेत्र में कार्य कर रही कंपनी के ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। हालांकि हर पत्थरबाजी की घटना के बाद दोनों देशों के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में इस पर चर्चा के बाद तटबंध का काम जारी रहता है।, लेकिन नेपाल के नागरिक विरोध में ही रहते हैं। इसी के चलते शुक्रवार 23 दिसंबर की शाम को भी धारचूला के घटधार इलाके में काली नदी में काम कर रहे भारतीय मजदूरों पर नेपाल की तरफ से भारी पत्थरबाजी हुई।

पथराव पर मूकदर्शक बना रहा नेपाल प्रशासन

पत्थरबाजी की इस ताजा घटना में मौके पर काम कर रहे कई भारतीय मजदूर घायल हुए हैं। जबकि तीन वाहनों के शीशे तोड़ दिए गए। मजदूरों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। इस एक महीने में पत्थरबाजी की यह 11वीं घटना बताई जा रही है, जब भारतीय मजदूर काली नदी में तटबंध बना रहे थे तो तभी अचानक उन पर नेपाल की तरफ से जोरदार पत्थरबाजी की गई। इस पथराव से मौके पर मौजूद मजदूरों में भगदड़ मच गई।

मजदूर पत्थरबाजी से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान गुलेल से भी पथराव कर भारत में कार्य कर रही डंपर मशीनों और मिट्टी गिरा रहे टिप्परों पर पत्थर मारे गए, जिससे डंपर और टिप्पर से शीशे टूट गए। नदी में खड़ी डंपरों के आपरेटरों ने पानी में कूद मारते भाग कर जान बचाई। टिप्पर चालक के सामने का शीशा तोड़ते हुए पत्थर उसकी बांह पर लगा और चालक घायल हो गया।

आरोप है कि नेपाल से हो रहे पथराव के दौरान नेपाल में तैनात नेपाल प्रहरी के जवान मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने पथराव करने वालों को रोकने का भी कोई प्रयास भी नहीं किया गया। भारत में कार्य कर रहे मजदूर व कर्मी नेपाल प्रहरी को पथराव के बारे में इशारे करते रहे, परंतु नेपाल में किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं हुई।

घटधार का मलबा बना है मुश्किल

जिस जगह पर पथराव की यह ताजा घटना हुई है, वहां नेपाल में भारत के घटधार के पास भारी मलबा जमा है। यही मलबा सारे विवादों का कारण बना हुआ है। भारत में घटधार के पास ही आसन्न संकट बना हुआ है। घटधार से ही तटबंध बनने हैं। इस संबंध में नेपाल के लोगों का कहना है कि भारत में तटबंध बनते ही काली नदी का बहाव नेपाल की तरफ हो जाएगा। जबकि भारत का कहना है कि नेपाल अपनी तरफ से मलबा हटाए। मलबा नहीं हटने के कारण घटधार में तटबंध निर्माण नहीं हो रहा है। जैसे ही भारत की तरफ यहां निर्माण शुरू होता है, नेपाल की ओर से पथराव होने लगता है।

पथराव से काम करना मुश्किल : सिंचाई विभाग

इस मामले में सिंचाई विभाग धारचूला के एसडीओ फरजान अहमद कहते हैं, 23 दिसंबर की शाम हुए पथराव से दो डंपर और दो टिप्परों के शीशे टूटे। चालक बाल-बाल बचे। जिस समय नेपाल से पथराव हो रहा था उस समय नेपाल पुलिस और सुरक्षा बल के जवान पास में ही खड़े थे, परंतु उन्होंने पथराव करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में कार्यस्थल पर कार्य करना मुश्किल हो चुका है। उनका कहना है कि अभी नदी में पानी कम होने के कारण काम करना आसान है। यदि इसी तरह निर्माण कार्य में अवरोध पैदा होता रहा तो आने वाले बरसात के मौसम तक नदी का जलस्तर बढ़ने से निर्माणाधीन काम को भी नुकसान होने की संभावना है। दूसरी ओर इस पथराव की सूचना मिलते ही धारचूला के उपजिलाधिकारी दिवेश शाशनी ने नेपाल के प्रशासन से वार्ता कर सूचना दी और कार्य को बंद करने के निर्देश दिए।

पहले भी बंद हो चुका है झूला पुल

इससे पूर्व भी नेपाल की ओर से की गई पत्थरबाजी की घटना में एक मजदूर घायल हो गया था। इस घटना के विरोध में भारतीय व्यापारियों ने झूला पुल बंद कराया था। तनाव को देखते हुए दोनों देशों के अधिकारियों ने बैठक कर आपसी समन्वय से समस्या का हल निकालने की बात कही थी, जिसके बाद नेपाल के सीडीओ ने भी भारत आकर स्थिति का जायजा लिया था। एक दिन पूर्व बृहस्पतिवार 22 दिसंबर को नेपाल से आए इंजीनियरों ने भी स्थानीय प्रशासन के साथ स्थलीय निरीक्षण किया था। बावजूद इसके नेपाल की ओर से पथराव किया जाना जारी है। इस मामले में एसडीएम धारचूला दिवेश शाशनी ने बताया कि नेपाल प्रशासन से लगातार बात की जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बना झूला पुल बंद करने की चेतावनी

इधर भाजपा जिला उपाध्यक्ष महेंद्र बुदियाल ने नेपाल से हो रही पत्थरबाजी के विरोध में सीमा पर बने अंतरराष्ट्रीय झूला पुल को बंद करने की चेतावनी दी है। बुदियाल का कहना है कि नेपाल प्रशासन बार-बार की जा रही पत्थरबाजी की घटना को रोकने में विफल साबित हो रहा है। इससे धारचूला की सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे तटबंध का निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। यदि नेपाल की ओर से अराजकतत्वों की हरकतों पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो अंतर्राष्ट्रीय झूला पुल को बंद कर दिया जाएगा।

इससे पहले इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेपाल और भारत के प्रशासन को लगातार संपर्क में बताते हुए कहा था कि दोनों राष्ट्रों का रोटी-बेटी का संबंध रहा है, भाई-भाई का संबंध रहा है, सदियों पुराना संबंध है। मैं समझता हूं कुछ लोग उकसाने का काम कर रहे होंगे। लेकिन प्रशासन के स्तर पर कहीं कोई विरोधाभास नहीं है।

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