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5 Years After Demonetization : नोटबंदी के 5वीं बरसी पर बोली जनता, देश को आर्थिक रूप बर्बाद किया मोदी के इस कदम ने

Janjwar Desk
8 Nov 2021 4:05 PM GMT
5 Years After Demonetization : नोटबंदी के 5वीं बरसी पर बोली जनता, देश को आर्थिक रूप बर्बाद किया मोदी के इस कदम ने
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5 Years Of Demonetization : केंद्र की मोदी सरकार ने इस फैसले के पीछे तर्क दिया था कि उसने देश में मौजूद काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद की समस्या को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है।

5 Years Of Demonetization। देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में 8 नवंबर का दिन खासतौर पर दर्ज हो चुका है। दरअसल आज से पांच साल पहले आज ही के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन करके पूरे देश को चौंका दिया था। यही नहीं भारतीय रिजर्व बैंक भी इस फैसले से चौंक गया था। प्रधानमंत्री ने देश में 500 और 1000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ ही अगले दिन से अफरा-तफरा का माहौल बन गया था। कुछ ही दिन के भीतर देश में कैश का भारी संकट हो गया था। बैंकों और एटीएम (Banks And ATMs) के बाहर आम जनता की लंबी-लंबी कतारें लग गई थी। इन्हीं लंबी-लंबी लाइनों में लगते हुए कथित तौर पर 100 से ज्यादा लोगों की देशभर में मौत भी हो गई। हालांकि सरकार ने बैंक की लाइन में लगते हुए लोगों की मौत की बात को कभी स्वीकार नहीं किया। विमुद्रीकरण या नोटबंदी (Demonetisation) की इस घटना ने खूब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटौरी थीं।

केंद्र की मोदी सरकार ने इस फैसले के पीछे तर्क दिया था कि उसने देश में मौजूद काले धन (Black Money), नकली मुद्रा (Fake Currency) और आतंकवाद (Terrorism) की समस्या को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है। सरकार की दलील थी कि इससे नक्सल गतिविधियों में कमी के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। देश में भारी कैश संकट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सभा में यहां तक कहा था - ''मैंने सिर्फ देश से पचास दिन मांगे हैं। पचास दिन। 30 दिसंबर तक मुझे मौका दीजिए मेरे भाइयों बहनों। अगर 30 दिसंबर के बाद कोई कमी रह जाए, कोई मेरी गलती निकल जाए, कोई मेरा गलत इरादा निकल जाए। आप जिस चौराहे पर मुझे खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर देश जो सजा करेगा वो सजा भुगतने को तैयार हूं।'' लेकिन पचास दिन बाद भी स्थिति नहीं सुधरी थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां भी बैंक की लाइन में खड़ी दिखीं थीं।

नोटबंदी की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कौन सा ईमानदार आदमी सरकारी अधिकारियों के बिस्तरों के नीचे रखे करोड़ों के नोटों की रिपोर्ट से या बोरियों में मिलने वाले नोटों की कबर से दुखी नहीं होगा? कुल मिलाकर विचार यही था कि इससे जिने पास बेहिसाब नकदी थी, वो उसे या तो सार्वजनिक करें या फिर उसे नष्ट कर दें। कुछ लोगों ने इस कदम को भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के तौर पर भी देखा लेकिन नोटबंदी के दो महीने काबद ही सरकार द्वारा जारी एक बयान में ये उम्मीदें खत्म हो गईं, जब 2 फरवरी 2017 को अपने बजट भाषण में तत्काली वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पहला संकेत दिया था कि नोटबंदी से बड़े पैमाने पर बेहिसाब नकदी का शुद्धिकरण नहीं हुआ है।

बाद में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 500 और 1000 के लगभग पुराने नोट वापस बैंकों में जमा हो गए हैं यानिक सरकार ने जो उम्मीद जताई थी कि बड़ी मात्रा में काला धन निकलेगा, ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक 500 और 1000 के 99.3 प्रतिशत नोट बैंक में लौट आए। देश में इससे पहले 16 जनवरी 1978 को जनता पार्टी की गठबंधन सरकार ने भी इन्हीं कारणों से 1000, 5000 और 10000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण किया था।

नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान तो हुआ ही है साथ ही आम लोगों के हरे जख्म अब भी नहीं भरे हैं। नोटबंदी की पांचवीं बरसी पर हमने लोगों की प्रतिक्रियाएं जानने की कोशिश की। आईसीआईसी एटीएम के बाहर खड़े संभव नाम के व्यक्ति बताते हैं कि इस नोटबंदी से आम आदमी के जीवन शैली में काफी मुश्किल आई थी। लोगों की नौकरियां चली गयीं, साथ ही मध्यम वर्ग को नोटबंदी ने काफी प्रभावित किया। नोटबंदी के ही दौरान कालेधन वालों ने अपना प्रॉब्लम शाट-आउट कर लिया था। नोटबंदी से जो दिक्क्त हुई उसे तो गरीबों को झेलना पड़ा है। ऐसे कितने गरीब लोग थे जिनका नोट तक नहीं बदल पाया। इस नोटबंदी से देश की जनता को कुछ फायदा नहीं हुआ है।

छोटे दुकानदारों की दिक्कतें

दिल्ली से सटे वसुंधरा में ऑप्टिकल की दुकान चला रहे ऋतिक नोटबंदी को याद करते हुए बताते हैं कि उस वक्त वक्त घंटो लाइन में लगकर 1000- 2000 रुपये ही निकाल पाया था। उस वक्त मार्केट के हालात बहुत ही खराब थे, उस समय जब हमारे पास ही पैसे नहीं थे तो ग्राहक कहां से पैसे लाते। अब धीरे-धीरे सब कुछ थोड़ा सामान्य हो गया वरना इस नोटबंदी का कुछ फायदा नहीं हुआ। इस नोटबंदी के बाद तो कोरोना और लॉकडाउन ने सब कुछ बदल दिया पहले जैसा कुछ नहीं रहा। सरकार गरीब वर्ग को किसी की तरह की कोई मदद नहीं कर रही। यहां मकान मालिक मनमाना किराया मांग रहे हैं और आमदनी कुछ भी नहीं है। सरकार हम जैसे छोटे दुकानदारों को कोई आर्थिक मदद नहीं कर रही हैं।

एसबीआई एटीएम लाइन में खड़े एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने बताया कि नोटबंदी के समय कुछ समझ में ही नहीं आया, क्या फायदा होगा और क्या नुकसान। लेकिन अब इससे कुछ फायदा नहीं दिख रहा है। सरकार ने ऊपर से 2000 रुपए के नोट निकाल दिए। इससे और मुसीबत खड़ी हो रही है। नोटबंदी के बाद से घर में किसी के पास पैसे ही नहीं टिक रहे हैं। कालेधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि आप ही बताओ कहां टैंकों से भरकर कालाधन पकड़ा गया है। सरकार ने कालाधन तो नहीं पकड़ा लेकिन लोगों के पॉकेट खाली कर दिए हैं। लोगो के पास अब पैसे नहीं बचे हैं।

एक अन्य व्यक्ति बताते हैं कि बीते 5 साल में आम जनता की आमदनी कम हुई तो मंगाई बढ़ी है। रोज़गार की मुद्दे पर वे आगे बताते हैं कि मेरे घर पर खुद चार ग्रेजुएट हैं। किसी के पास कोई रोजगार नहीं है। सब घर में बेरोज़गार बैठे हैं। भले सरकार हिन्दू -मुस्लिम करले लेकिन लोगों को तो रोज़गार चाहिए। सरकार कुछ भी करके लोगों को रोजगार दे।

वह आगे कहते हैं कि वोट तो मैंने खुद बीजेपी को दिया लेकिन महंगाई और रोजगारी पर इनका सिस्टम खत्म है। विपक्ष कमज़ोर है इसी का फ़ायदा ये उठा रहे हैं। देश में महंगाई आसमान छू रही है। गैस के दाम बीते पांच साल में बढ़ गए। साथ ही सरकार ने पट्रोल और डीजल के भी दाम बढ़ा दिए हैं। पूरे गाज़ियाबाद में कोई अपनी टंकी फुल नहीं करवा रहा, कोई भी 100 या 200 से ज्यादा रुपये का पेट्रोल नहीं भरवा रहा है। लोग घर में बचे हुए पैसे खा रहे,आमदनी इस समय कुछ नहीं हो पा रही है।

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