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राष्ट्रीय

बिहार के 90 हजार नियोजित शिक्षकों को अपनी नियुक्ति फर्जी न होने का खुद देना होगा सबूत

Janjwar Desk
18 Jun 2021 10:37 AM GMT
बिहार के 90 हजार नियोजित शिक्षकों को अपनी नियुक्ति फर्जी न होने का खुद देना होगा सबूत
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बिहार में 2006-2015 के बीच पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की ओर से तकरीबन पौने चार लाख शिक्षकों का नियोजन किया गया था। इस नियोजन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे। यह कहा गया कि अयोग्य लोगों को शिक्षक बना दिया गया...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। बिहार में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की फर्जी भर्ती को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। तकरीबन 90 हजार नियोजित शिक्षकों से शिक्षा विभाग ने वैध प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने का सबूत खुद पेश करने को कहा है। जिसके तहत शासन द्वारा जारी वेव पोर्टल पर इन शिक्षकों को अपना सभी प्रमाण पत्र अपलोड करना होगा। जिसके लिए एक माह का मोहलत दिया गया है। इस अवधि में सरकारी आदेश का पालन न करने वाले शिक्षकों की भर्ती फर्जी मानते हुए सेवा समाप्त कर दी जाएगी साथ ही वेतन की रिकवरी भी की जाएगी।

वर्ष 2006 से 2015 के बीच के भर्ती की चल रही जांच

बिहार में 2006-2015 के बीच पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की ओर से तकरीबन पौने चार लाख शिक्षकों का नियोजन किया गया था। इस नियोजन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे। यह कहा गया कि अयोग्य लोगों को शिक्षक बना दिया गया। इसका मामला हाई कोर्ट चला गया। रंजीत पंडित बनाम सरकार के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपने आदेश संख्या सीडब्ल्यूसी संख्या 15459/2014 में दिनांक 5 जून 2016 को आदेश जारी किया।

इसमें पंचायती राज संस्थान व नगर निकाय संस्थान के नियोजन इकाई द्वारा की गई नियुक्ति की निगरानी अन्वेषण ब्यूरो निगरानी विभाग से सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच करने का निर्देश दिया।नियुक्त सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच निगरानी विभाग द्वारा उसी समय से की जा रही है। उच्च न्यायालय के आदेश के साढ़े चार वर्ष बीत जाने के बाद भी सभी शिक्षकों का प्रमाण पत्र का फोल्डर जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा निगरानी विभाग को जांच के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है।इस बीच विभाग के मुताबिक अब तक के जांच में तकरीबन 90 हजार शिक्षकों द्वारा प्रमाण पत्र संबंधित फोल्डर जमा न किए की जाने की बात सामने आई है। जिनके द्वारा सभी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का अंतिम मौका दिया गया है।

शिक्षा विभाग के निदेशक (प्राथमिक) डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने इसके पूर्व जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र निगरानी जांच के लिए नहीं सौंपे गए हैं, उनके ब्योरे को प्रत्येक जिले की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया था। ब्योरे के रूप में शिक्षक का नाम, संबंधित प्रखंड का नाम, नियोजन इकाई का नाम, शिक्षक/ शिक्षिका के पिता या पति का नाम, पदस्थापित विद्यालय का नाम, नियुक्ति की तिथि, ईपीएफ खाता संख्या के साथ एनआइसी की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया था। रिपोर्ट 31 मई तक ई-मेल पर मुख्यालय को मुहैया कराने का निर्देश दिया गया था।

21 जून से लेकर 20 जुलाई के बीच शिक्षकों को वेब पोर्टल पर अपलोड करना है प्रमाण पत्र

पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकाय संस्थाओं के माध्यम से जिन शिक्षकों द्वारा प्रमाण पत्र जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया .है उनका प्रमाण पत्र निगरानी विभाग को शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए वेब पोर्टल तैयार किया गया है। जिस पर 21 जून से लेकर 20 जुलाई के बीच ऐसे शिक्षकों को वेब पोर्टल पर अपना प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना है, जो शिक्षक अंतिम तिथि तक अपना प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराएंगे। विधायक के मुताबिक यह माना जाएगा कि उन्हें अपने नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ नहीं कहना है। उनकी नियुक्ति को प्रथम दृष्टया अवैध माना जाएगा और उनकी सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनके द्वारा नियत वेतन वेतनमान के रूप में प्राप्त राशि की वसूली भी अधिनियम प्रावधान के तहत की जाएगी।

प्रगतिशील प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मंगल कुमार शाह का कहना है कि पूर्व में भी कई बार शिक्षकों द्वारा फोल्डर जमा किया जा चुका है। यह फोल्डर नियोजन इकाई के पास सुरक्षित नहीं रह गए। जिसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ा रहा है। इसके बावजूद शिक्षक सरकार के सभी जांच प्रक्रिया में सहयोग करने को तैयार हैं। टीईटी शिक्षक संघ के सिवान जिलाध्यक्ष रजनीश कुमार मिश्र ने कहा कि अधिकांश ऐसे ही शिक्षक है जिन्होंने किसी कारणों से नौकरी छोड़ दी है। अवैध शिक्षकों के खिलाफ सरकार कुवा न्यायालय को कदम उठाना चाहिए।

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी के मुताबिक वर्ष 2006 से 2015 तक करीब पौने चार लाख शिक्षक नियोजित हुए। पांच साल बीत जाने के बाद भी करीब ढाई लाख शिक्षकों के ही शैक्षणिक दस्तावेज उनके फोल्डर में जमा हो पाए। मामला निगरानी विभाग के पास है। निगरानी विभाग शिक्षकों के बदले उन्हें नियोजित करने वाले प्राधिकारों से दस्तावेजों की मांग कर रहा है। विभाग ने शिक्षकों को दस्तावेज जमा करने के लिए आनलाइन का विकल्प भी दिया है। 20 जुलाई से पहले शिक्षक आनलाइन दस्तावेज जमा कर सकते हैं। यह उनके लिए अंतिम मौका है। इसके बाद सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।

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