Adasmeta Kand : पहली बार सरकार ने सार्वजनिक की रिपोर्ट, सुरक्षाबलों ने निर्दोष आदिवासियों पर की थी गोलीबारी, 3 नाबालिग समेत हुईं थी 9 की मौत
( सुरक्षाबलों ने निर्दोष आदिवासियों पर की थी गोलीबारी, 3 नाबालिग समेत हुईं थी 9 की मौत)
Adasmeta Kand : बीजापुर (Bijapur) के एडसमेटा कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत की गई| बता दें कि पहली बार सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि बीजापुर के एडसमेटा में 17 मई 2013 को सुरक्षाबलों के जवानों ने निर्दोष आदिवासियों को घेर कर एकतरफा गोलीबारी की थी| इस गोलीबारी में तीन नाबालिग समेत 9 आदिवासी मारे गए थे। तत्कालीन भाजपा सरकार ने तब दावा किया था कि मारे जाने वाले लोग माओवादी थे।
कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए की थी जांच की मांग
राज्य सरकार के प्रवक्ता और मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि 'जब हम विपक्ष में थे, तब हमने मान की थी कि मुठभेड़ फर्जी है और प्राइमरी जो रिपोर्ट न्यायिक जांच की सबमिट हुई है, कांग्रेस के जो आरोप थे, वो लगभग उसमें सही पाए गए हैं। अब आगे उसमें एक्शन टेकन के बाद किस तरीके से और आदेश जारी होंगे, वो भविष्य की बातें हैं।'
एडसमेटा जैसे हालात बस्तर में भी है
बता दें कि बस्तर में आदिवासियों के मामले में सक्रीय, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया का कहना है कि 'एडसमेटा में जो भी कुछ हुआ, वह बस्तर में कई सालों से हो रहा है। सरकारें इन रिपोर्टों पर कार्यवाई करने में विफल रही हैं|' असल में ये न्यायिक जांच आयोग की कोई पहली रिपोर्ट नहीं है।
जांच आयोग की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2 दिसंबर 2019 को बीजापुर के सारकेगुड़ा में हुई मुठभेड़ की न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की गई थी। 28-29 जून 2012 की रत बीजापुर के सारकेगुड़ा इलाके में सीआरपीएफ के सुरक्षाबलों के हमले में 17 लोग मरे गए थे।
सरकार ने उस समय दावा किया था कि बीजापुर में सुरक्षाबलों के जवानों ने एक मुठभेड़ में 17 माओवादियों को मार डाला है। तब राज्य में भाजपा और केंद्र में यूपीए की सरकार थी। तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इसे बड़ी उपलब्धि माना था लेकिन न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में इस पुरे दावे को फर्जी ठहराते हुए कहा गया कि मारे जाने वाले लोग निर्दोष आदिवासी थे और पुलिस की एकतरफा गोलीबारी में मारे गए थे।