लोजपा में बंटवारे के बाद अहमदाबाद में बीजेपी नेता से चिराग की मुलाकात, राजनीतिक सुगबुगाहट तेज
अहमदाबादः बिहार की राजनीति में लोजपा दलित समाज की अगुवाई करने वाली पार्टी मानी जाती है। लेकिन अब लोजपा में दो फाड़ हो चुका है। जुमई से सांसद चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी में टूट से आहत नजर आ रहे हैं। सियासत में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे चिराग पासवान सोमवार 28 जून को अचानक गुजरात के अहमदाबाद पहुंच गए।
मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक करीबी नेता से मुलाकात की है। अहमदाबाद एयरपोर्ट से चिराग बीजेपी नेता के एसजी स्थित दफ्तर पहुंचे और दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। हालांकि, इस मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई, इसका खुलासा चिराग पासवान ने नहीं किया है। लेकिन बीजेपी नेता से चिराग के मिलने के बाद ये चर्चाएं तेज हो गयी है कि क्या वो भाजपा में शामिल होंगे। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर लोजपा सांसद ने एक निजी चैनल से इतना जरूर कहा कि यह पर्सनल ट्रिप है।
अटकलों का बाजार गर्म
लोजपा के अंदर जिस तरह की उठापटक मची है। पार्टी सांसदों और पशुपति पारस के बगावत के बाद चिराग पासवान जैसे बैकफुट पर आये हैं, ऐसे माहौल को देखते हुए इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के सबसे भरोसेमंद नेता से मुलाकात कर चिराग पासवान पार्टी पर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
भले ही चिराग ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को इशारों-इशारों में अपना छोटा भाई कहा हो, लेकिन 28 जून को हुई मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार इसलिए भी गर्म हो गया है, क्योंकि जमुई सांसद ने पीएम मोदी के बेहद करीबी नेता से मुलाकात की है। इधर पटना की सड़कों पर लगे पोस्टर अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। पोस्टर में चिराग को हनुमान बताया है, और लिखा गया है कि मोदी है तो मुमकिन है। बता दें कि चिराग ने यह मुलाकात पीएम मोदी और बीजेपी से की गई अपील पर कोई रिस्पॉन्स न मिलने पर की है। दरअसल, चिराग ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'यह सही नहीं है कि जब हनुमान का वध हो रहा हो तो राम चुप रहें।'
चिराग को अपने साथ लाने की जुगत में जुटी आरजेडी
बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। पार्टी में फूट से हताश चिराग पासवान पर राष्ट्रीय जनता दल की नजर है। और आरजेडी ने उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। आरजेडी ने चिराग के पिता और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती मनाने का ऐलान कर दिया है। पार्टी इसी 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी। गौरतलब है कि चिराग को लेकर एक इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने कहा था कि वह अपने पिता राम विलास पासवान की विरासत को आरएसएस विचारक एम एस गोलवलकर के विचारों के खिलाफ 'अस्तित्व की लड़ाई' में शामिल होकर ही आगे ले जा सकते हैं। चिराग के साथ हमदर्दी जताते हुए तेजस्वी ने कहा था कि- काम निकलने पर दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंकती है बीजेपी।
बिहार बीजेपी में बेचैनी
इधर चिराग पासवान को लेकर राजद के रवैये से बिहार बीजेपी में खलबली दिखनी शुरू हो गई है। आरजेडी द्वारा रामविलास पासवान की जयंती मनाने पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय खुद जवाब देने उतर गए हैं। मंगल पांडेय ने कहा कि 'ऐसे वरिष्ठ लोगों की जयंती या पुण्यतिथि लोगों को मनानी चाहिए। लेकिन किसी लाभ और हानि की बात करना मैं उचित नहीं समझता। पूर्व केंद्रीय मंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि रामविलास पासवान जैसा व्यक्ति होना मुश्किल है, वो हमेशा से लोगों की मदद करते रहे और उनका व्यक्तिगत सानिध्य भी मुझे मिला है। इस जयंती में कहीं भी राजनीति का लाभ नहीं देखना चाहिए।'