कृषि विधेयक : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बोल - विधेयक का विरोध कोई करे क्या फर्क पड़ता है
जनज्वार। कृषि विधेयक पर घिर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार लगातार इसको लेकर सफाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस पर लगातार सफाई दिए जाने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस पर सफाई दी है। नरेंद्र सिंह तोमर ने न्यूज एजेंसी एएनआइ को दिए एक इंटरव्यू में सरकार द्वारा पारित कराये गए दो कृषि विधेयकों का बचाव किया।
नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पर पर्याप्त विचार विमर्श नहीं किए जाने पर कहा ज्यादा विचार-विमर्श तब होता है जब नीयत में खोट हो। उन्होंने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग पर कहा कि ऐसा तब किया जाता है जब बिल 50-60 पन्ने का हो या बिल तो 2 पंक्ति का है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस के इस बिल पर विरोध के सवाल पर कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व बौना हो चुका है और अब उनकी बात कोई उनकी अपनी पार्टी में भी नहीं सुनता है।
#WATCH: Minister of Agriculture and Farmer Welfare, Narendra Singh Tomar speaks to ANI on #FarmBills. https://t.co/WckKA1WcCI
— ANI (@ANI) September 24, 2020
तोमर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय कर लिया कि देश के हित में जीएसटी आएगा तो आया, इसी तरह जब तय कर लिया कि किसानों के हित में कृषि बिल आएगा तो आया, कोई राजनैतिक विरोध करे क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार कुछ लोगों के दबाव में जीएसटी नहीं लायी थी।
तोमर ने बिल के विरोध को राजनैतिक बताया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में इस पर चार-साढे चार घंटे बहस हुई। इसके बाद मुझे जवाब देने के लिए उपसभापति ने दी। इसके बाद विपक्ष के सांसदों नेे उपसभापति के साथ कायराना हरकत की। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही देखिए, उसमें बिल पर कोई बोला ही नहीं। विपक्ष ने उस पर पाॅलिटिकल भाषण दिया।
कृषि मंत्री ने कहा कि नरेेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का कार्यकाल संभालने के बाद से सरकार की प्रतिबद्धता व प्रााथमिकता किसानों के प्रति रही है। उन्होंने कहा कि मोदी ने किसानों को एमएसपी लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़ कर घोषित किया, जिसे यूपीए नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादकता बढाने के लिए अभियान चलाया गया।
तोमर ने कहा कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर मिशन मोड में काम किया। उन्होंने कहा कि अभी किसान को अपनी उपल लेकर मंडी तक जाना पड़ता है और 25 से 30 व्यापारी उनका आॅक्शन करते थे और उसी भाव पर किसान को उत्पाद बेचने के लिए मजबूर होना होता था। उन्होंने कहा कि मंडी आने जाने में किसान को खर्च आता था, इसलिए वह जो भाव लग जाता था उसी में माल बेच देता था।
उन्होंने कहा कि यह एक्ट मंडी से बाहर भी किसान को किसी भी स्थान पर अपना उत्पाद बेच सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रावधान में केंद्र व राज्य के टैक्स से छूट दी गई है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस कानून का क्रियान्वयन होने दीजिए निश्चित रूप से इससे आपके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्या बोले कृषि मंत्री?
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी पर खरीद होती रही है और होती रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने खरीफ और रबी की एमएसपी घोषित कर दी है। खरीफ की फसल जैसे तैयार हो जाएगी, इस पर सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी। बिल में एमएसपी का जिक्र नहीं होने व इस संबंध में मौखिक आश्वासन दिए जाने के सवाल पर तोमर ने कहा कि जो ऐसा कह रहे हैं वे बताएं कि इससे पहले किसी कानून का अंग एमएसपी था क्या। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जो लोग यह सवाल पूछते हैं उन्होंने इसे कानून में क्यों नहीं डाला।
कृषि मंत्री ने कहा कि एमएसपी किसी कानून का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिल पर बोलने की हैसियत नहीं रखती है, इसलिए वह एमएसपी पर बात करती है। उन्होंने कहा कि एमएसपी पहले भी भारत सरकार का प्रशासनिक निर्णय था और आज भी प्रशासनिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि जब एमएसपी घोषित कर दी गई है, प्रधानमंत्री ने कहा दिया है तो इस पर बहस करने की क्या जरूरत है।